Posts

Showing posts from January, 2020

सत्संग स्टोरी

⁠⁠⁠ " सत्संग से लाभ ही लाभ है । " व्यापार में तो लाभ और हानि दोनों होते हैं , पर सत्संग में लाभ ही लाभ होता है , नुकसान होता ही नहीं ।  जैसे माँ की गोद में पड़ा हुआ बालक अपने आप बड़ा होता है , बड़ा होने के लिए उसको उद्योग नहीं करना पड़ता । ऐसे ही सत्संग में लगे रहने से मनुष्य का अपने आप विकास होता है । सत्संग से विवेक जाग्रत होता है । गुरसिख जितने अंश में सतगुरु की बातो को महत्व देता है , उतने ही अंश में उसके काम - क्रोध आदि विकार नष्ट हो जाते हैं । सत्संग का असली भाव है संतों का संग। संतों का संग करने से इंसान के जीवन में गुण आने शुरू हो जाते है। संतों का संग करने से इंसान में इंसानियत, प्यार, निर्माता व सहनशीलता आती है।  ऐसे ही एक घटना है जो हमें सिखाता हैं  नदी किनारे एक लम्बा पेड़ था,आंधी में वो नदी के ऊपर गिर गया जिससे दोनों सिरे दोनों किनारों को छूने लगे,लोगो ने उससे पुल का काम लेना शुरु कर दिया, एक दिन दो आदमी दोनों ओर से एक साथ पुल पार करने के लिये चढ़ा,बीच में इतना जगह नही था कि दोनो पार हो सके,दोनों एक दुसरे को पिछे हटने के लिये कहने लगे पर कोई पीछे नही हटा, दोनों ने लड़

#वर्गोत्तम_ग्रह_की_महादशा

||#वर्गोत्तम_ग्रह_की_महादशा||                                     किसी भी ग्रह की महादशा का फल कुंडली में उस ग्रह की स्थिति भाव स्वामित्व भाव स्थित स्थिति अन्य ग्रहो से सम्बन्ध आदि पर निर्भर करता है जिस तरह की ग्रह की स्थिति होगी उसी तरह का फल ग्रह अपनी महादशा में देता है।ग्रहो में वर्गोत्तम ग्रह के बारे में अधिकतर जातक तो जानते ही है कि जब कोई ग्रह लग्न कुंडली और नवमांश कुंडली में एक ही राशि में होता है तो ऐसा ग्रह वर्गोत्तम ग्रह होता है।वर्गोत्तम ग्रह लग्नानुसार किसी भी भाव का स्वामी होकर अपने अनुकूल भाव स्वामित्व के अनुसार किसी अनुकूल भाव में वर्गोत्तम होकर बैठा हो तो बहुत ही शुभ फल देता है।वर्गोत्तम ग्रह अपनी जितनी बली राशि जैसे उच्च राशि, मूलत्रिकोण राशि, स्वराशि, मित्रराशि आदि अपनी किसी भी बली राशि में बैठा होगा वह बहुत अच्छे फल देता है वर्गोत्तम ग्रह यदि अशुभ भाव का स्वामी हो तो अशुभ भाव में ही बैठा हो तब अच्छा फल करता है।अशुभ भाव का स्वमज होकर शुभ भाव में बैठने पर अच्छे फल में कमी भी कर सकता है।अनुकूल वर्गोत्तम ग्रह की महादशा जातक के लिए सुख, सौभाग्य, उन्नति, सफलता दिलाने वाली

story

एक नाग मस्जिद में एक बिल में रहता था। प्रतिदिन 5 बार नमाज सुनता, प्रतिदिन की तक़रीर भी ध्यान लगाकर सुनता रहता था। एक दिन उसका मन हुआ नमाज की इतनी महिमा है तो एक दिन नमाज पढ़ ही लेता हूँ, शायद मुझे भी जन्नत मिल जाय। बस क्या था, बेचारा एक दिन ठीक नमाज के समय बाहर निकल के नमाजियों की लाईन में लगने चल पड़ा। नमाजियों ने नाग देखा तो लाठी डंडा लेकर दौड़ा लिया, अब नाग आगे आगे भागे, नमाजी पीछे पीछे डंडा लेकर। भागते भागते नाग को एक पुराना सा मंदिर दिख गया। बेचारा वहीं घुस कर शिवलिंग से लिपट गया, जान बच गयी। हिन्दुओं ने जब शिवलिंग पर नाग लिपटा देखा शोर मच गया, भीड़ जमा हो गयी, आरती पूजा शुरू हो गयी, लोग दूध पिलाने लगे। नाग सोच रहा था, यार  मैं भी कहाँ फंसा पड़ा था, मैं तो नमाज पढ़ना चाहता था, उन्होंने लट्ठ लेकर दौड़ा लिया, पत्थर मारने लगे। यहाँ तो पत्थर के भोलेनाथ की शरण में दो घड़ी क्या आया, स्वयं ही नाग से शेषनाग हो गया। यही अँतर है इस्लाम और सनातन मे💐🙏⛳  *#घर_वापसी_का_सकून*   वैदिक सनातन धर्म की जय 🚩🚩 ये सनातन धर्म है भाइयों यहां तो जहर को भी बेइंतेहा मोहब्बत की जाती है ।। जय माता दी 🙏🙏🙏

शनि वक्री

||#जन्मकुंडली_में_वर्गोत्तम_और_वक्री_शनि||                      जन्मकुंडली में शनि वक्री और वर्गोत्तम होने पर किस तरह से प्रभावित करता है/ फल देता है इस विषय पर बात करते है।पहले बात करते है वर्गोत्तम शनि की, जब जिस भी जातक की जन्मकुंडली में शनि वर्गोत्तम होता है तो यह एक परम शुभ स्थिति होती है वर्गोत्तम होने पर शनि यदि कुंडली मे अशुभ भी है तब अशुभ फल नही देगा और यदि शुभ होकर वर्गोत्तम हुआ है, वर्गोत्तम होकर कोई राजयोग बना रहा है या अकेला भी शुभ होकर वर्गोत्तम होकर कुंडली मे बैठा है तब जो सुख राजा भोगता है उस तरह शनि के शुभ फल फल होंगे, शनि का अपनी बलवान जैसे मित्र राशि, स्वराशि, उच्च राशि मे वर्गोत्तम होना बेहद शुभ होता है नीच राशिगत वर्गोत्तम होने पर यह बलवान होगा।।                                                                             अब शनि वर्गोत्तम होता कैसे है?... जब लग्न कुंडली और नवमांश कुंडली दोनो कुंडलियो में यह एक ही राशि मे हो तब वर्गोत्तम होगा जैसे लग्न कुंडली मे भी वृष राशि का हो और नबमेंश कुंडली मे भी वृष राशि का होकर बेठा हो।।                                       

शनि वक्री

||#जन्मकुंडली_में_वर्गोत्तम_और_वक्री_शनि||                      जन्मकुंडली में शनि वक्री और वर्गोत्तम होने पर किस तरह से प्रभावित करता है/ फल देता है इस विषय पर बात करते है।पहले बात करते है वर्गोत्तम शनि की, जब जिस भी जातक की जन्मकुंडली में शनि वर्गोत्तम होता है तो यह एक परम शुभ स्थिति होती है वर्गोत्तम होने पर शनि यदि कुंडली मे अशुभ भी है तब अशुभ फल नही देगा और यदि शुभ होकर वर्गोत्तम हुआ है, वर्गोत्तम होकर कोई राजयोग बना रहा है या अकेला भी शुभ होकर वर्गोत्तम होकर कुंडली मे बैठा है तब जो सुख राजा भोगता है उस तरह शनि के शुभ फल फल होंगे, शनि का अपनी बलवान जैसे मित्र राशि, स्वराशि, उच्च राशि मे वर्गोत्तम होना बेहद शुभ होता है नीच राशिगत वर्गोत्तम होने पर यह बलवान होगा।।                                                                             अब शनि वर्गोत्तम होता कैसे है?... जब लग्न कुंडली और नवमांश कुंडली दोनो कुंडलियो में यह एक ही राशि मे हो तब वर्गोत्तम होगा जैसे लग्न कुंडली मे भी वृष राशि का हो और नबमेंश कुंडली मे भी वृष राशि का होकर बेठा हो।।                                       

बातें बिल्व वृक्ष की

बातें बिल्व वृक्ष की- 1. बिल्व वृक्ष के आसपास सांप नहीं आते  2. अगर किसी की शव यात्रा बिल्व वृक्ष की छाया से होकर गुजरे तो उसका मोक्ष हो जाता है  3. वायुमंडल में व्याप्त अशुध्दियों को सोखने की क्षमता सबसे ज्यादा बिल्व वृक्ष में होती है  4. चार पांच छः या सात पत्तो वाले बिल्व पत्रक पाने वाला परम भाग्यशाली और शिव को अर्पण करने से अनंत गुना फल मिलता है  5. बेल वृक्ष को काटने से वंश का नाश होता है।और बेल वृक्ष लगाने से वंश की वृद्धि होती है। 6. सुबह शाम बेल वृक्ष के दर्शन मात्र से पापो का नाश होता है। 7. बेल वृक्ष को सींचने से पितर तृप्त होते है। 8. बेल वृक्ष और सफ़ेद आक् को जोड़े से लगाने पर अटूट लक्ष्मी की प्राप्ति होती है। 9. बेल पत्र और ताम्र धातु के एक विशेष प्रयोग से ऋषि मुनि स्वर्ण धातु का उत्पादन करते थे । 10. जीवन में सिर्फ एक बार और वो भी यदि भूल से भी शिव लिंग पर बेल पत्र चढ़ा दिया हो तो भी उसके सारे पाप मुक्त हो जाते है  11. बेल वृक्ष का रोपण, पोषण और संवर्धन करने से महादेव से साक्षात्कार करने का अवश्य लाभ मिलता है। कृपया बिल्व पत्र का पेड़ जरूर लगाये । बिल्व पत्र के लिए पेड़ को क्ष
एक नाग मस्जिद में एक बिल में रहता था। प्रतिदिन 5 बार नमाज सुनता, प्रतिदिन की तक़रीर भी ध्यान लगाकर सुनता रहता था। एक दिन उसका मन हुआ नमाज की इतनी महिमा है तो एक दिन नमाज पढ़ ही लेता हूँ, शायद मुझे भी जन्नत मिल जाय। बस क्या था, बेचारा एक दिन ठीक नमाज के समय बाहर निकल के नमाजियों की लाईन में लगने चल पड़ा। नमाजियों ने नाग देखा तो लाठी डंडा लेकर दौड़ा लिया, अब नाग आगे आगे भागे, नमाजी पीछे पीछे डंडा लेकर। भागते भागते नाग को एक पुराना सा मंदिर दिख गया। बेचारा वहीं घुस कर शिवलिंग से लिपट गया, जान बच गयी। हिन्दुओं ने जब शिवलिंग पर नाग लिपटा देखा शोर मच गया, भीड़ जमा हो गयी, आरती पूजा शुरू हो गयी, लोग दूध पिलाने लगे। नाग सोच रहा था, यार  मैं भी कहाँ फंसा पड़ा था, मैं तो नमाज पढ़ना चाहता था, उन्होंने लट्ठ लेकर दौड़ा लिया, पत्थर मारने लगे। यहाँ तो पत्थर के भोलेनाथ की शरण में दो घड़ी क्या आया, स्वयं ही नाग से शेषनाग हो गया। यही अँतर है इस्लाम और सनातन मे💐🙏⛳  *#घर_वापसी_का_सकून*   वैदिक सनातन धर्म की जय 🚩🚩 ये सनातन धर्म है भाइयों यहां तो जहर को भी बेइंतेहा मोहब्बत की जाती है ।। जय माता दी 🙏🙏🙏

राधा जी

☘🌸☘🌸☘🌸☘🌸 राधा जी के 32 नाम, देते हैं प्रेम का विशेष वरदान श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम और शांति.. श्री राधा जी के यह नाम जीवन को बनाते हैं शांत और सुखमयी...  1 : मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !! 2 : सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !! 3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !! 4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !! 5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !! 6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !! 7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !! 8 : अति ही भोरी राधा ! राधा !! 9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !! 10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !! 11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !! 12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !! 13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !! 14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !! 15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !! 16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !! 17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !! 18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !! 19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !! 20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !! 21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !! 22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !! 23
दो भाइयों की मार्मिक कहानी... *"भैया, परसों नये मकान पे हवन है। छुट्टी (इतवार) का दिन है। आप सभी को आना है, मैं गाड़ी भेज दूँगा।" छोटे भाई लक्ष्मण ने बड़े भाई भरत से मोबाईल पर बात करते हुए कहा।* "क्या छोटे, किराये के किसी दूसरे मकान में शिफ्ट हो रहे हो?" *" नहीं भैया, ये अपना मकान है, किराये का नहीं । "* अपना मकान", भरपूर आश्चर्य के साथ भरत के मुँह से निकला। *"छोटे तूने बताया भी नहीं कि तूने अपना मकान ले लिया है।"* " बस भैया", कहते हुए लक्ष्मण ने फोन काट दिया। "अपना मकान", " बस भैया " ये शब्द भरत के दिमाग़ में हथौड़े की तरह बज रहे थे। *भरत और लक्ष्मण दो सगे भाई और उन दोनों में उम्र का अंतर था करीब पन्द्रह साल।* लक्ष्मण जब करीब सात साल का था तभी उनके माँ-बाप की एक दुर्घटना में मौत हो गयी। अब लक्ष्मण के पालन-पोषण की सारी जिम्मेदारी भरत पर थी। *इस चक्कर में उसने जल्द ही शादी कर ली कि जिससे लक्ष्मण की देख-रेख ठीक से हो जाये।* प्राईवेट कम्पनी में क्लर्क का काम करते भरत की तनख़्वाह का बड़ा हिस्सा दो कमरे के किराये के मकान औ

रसोई टिप्स

🛑आज की टिप्स ************************************* ⭕1. ढोकले में कुनकुने पानी का ही प्रयोग करें. इस से ढोकला स्पंजी बनता है. ********; ⭕2. करेलों का कड़वापन दूर करने के लिए उन्हें खुरच कर सिरके में नमक व हलदी का बना "घोल लगा दें. 1 घंटे बाद अच्छी तरह धो लें. कड़वापन दूर हो जाएगा. ********* ⭕3. धनियापुदीने की चटनी बनाते समय उस में पानी की जगह बर्फ के क्यूब्स डाल कर :पीसें. चटनी कई दिनों तक हरी बनी रहेगी. ******** ⭕4. फूलेफूले स्वादिष्ठ पौपकौर्न बनाने के लिए उन्हें बनाने से थोड़ी देर पहले फ्रीजर में रख दें. फिर बनाएं. अच्छेफूलेगे :******* ⭕5,आलू, गोभी आदि का अचारी परांठा बनाने के लिए आम या मिर्च के अचार को मिक्सी में पीस कर पेस्ट बना लें. परांठा बेलें. पहले उस पर अचार का पेस्ट लगाएं,  फिर भरावन की ;सामग्री. परांठा बहुत ही स्वादिष्ठ बनेगा. ******* ⭕6. "चाय बनाते समय यदि अदरक कम हो तो चाय बनने के बाद उस में कद्दूकस कर के अदरक डालें और एक उबाल लगा दें. चाय में अदरक का पूरा स्वाद आएगा. ******* ⭕7. मलाईकोफ्ता या दूसरे प्रकार के कोफ्ते बहुत मुलायम हों तो उन्हें बना कर 1 घंटा फ्रिज म
क्यों है शनि देव की दृष्टि में दोष  ।                                                           भगवान शनि देव शुरू से ही भगवान शिव के परम भक्त रहे हैं।वे उनकी पूजा पाठ तपस्या में अपने जीवन को व्यस्त रखते थे। युवा अवस्था में शनि का विवाह चित्ररथ की पुत्री से कर दिया गया। वह स्त्री अत्यंत सुंदर और तेजस्वनी थी एक बार वो ऋतुस्नाता हुई तब उसकी अपने पति से संबंध बनाने की इच्छा हुई। अत्यंत सौन्दर्यवान होने के बाद भी उसने 16 श्रृंगार किए और अपने पति से मिलने उनके कक्ष में आ गई। वो रूप स्वर्ग की अप्सराओं जैसा था जो किसी को भी मोहित कर सकता था।                                                                            कक्ष में जाकर उसने देखा तो पाया की उसका पति शनि अभी रात्रि में भी भगवान शिव के ध्यान में मग्न है। उस कन्या ने अपने पति का ध्यान खींचने के लिए हर कोशिश की पर हर बार उसे निराशा ही हाथ लगी। ऋतुस्नाता की अवधि में इस तरह अपना और अपने यौवन का अपमान वह सहन नहीं कर सकी। अब उसका क्रोध अपने चरम पर था। उसने अपने पति को नाराज होकर श्राप दे दिया की तुम्हारे कारण मेरा ऋतुकाल नष्ट हो गया और तुमने

राधा जी

☘🌸☘🌸☘🌸☘🌸 राधा जी के 32 नाम, देते हैं प्रेम का विशेष वरदान श्री राधा जी के 32 नामों का स्मरण करने से जीवन में सुख, प्रेम और शांति का वरदान मिलता है। धन और संपंत्ति तो आती जाती है जीवन में सबसे जरूरी है प्रेम और शांति.. श्री राधा जी के यह नाम जीवन को बनाते हैं शांत और सुखमयी...  1 : मृदुल भाषिणी राधा ! राधा !! 2 : सौंदर्य राषिणी राधा ! राधा !! 3 : परम् पुनीता राधा ! राधा !! 4 : नित्य नवनीता राधा ! राधा !! 5 : रास विलासिनी राधा ! राधा !! 6 : दिव्य सुवासिनी राधा ! राधा !! 7 : नवल किशोरी राधा ! राधा !! 8 : अति ही भोरी राधा ! राधा !! 9 : कंचनवर्णी राधा ! राधा !! 10 : नित्य सुखकरणी राधा ! राधा !! 11 : सुभग भामिनी राधा ! राधा !! 12 : जगत स्वामिनी राधा ! राधा !! 13 : कृष्ण आनन्दिनी राधा ! राधा !! 14 : आनंद कन्दिनी राधा ! राधा !! 15 : प्रेम मूर्ति राधा ! राधा !! 16 : रस आपूर्ति राधा ! राधा !! 17 : नवल ब्रजेश्वरी राधा ! राधा !! 18: नित्य रासेश्वरी राधा ! राधा !! 19 : कोमल अंगिनी राधा ! राधा !! 20 : कृष्ण संगिनी राधा ! राधा !! 21 : कृपा वर्षिणी राधा ! राधा !! 22: परम् हर्षिणी राधा ! राधा !! 23

ह्रदय रेखा

🥀🥀🥀🥀 ~~~   हृदय रेखा  ~~~ 🥀🥀🥀🥀 दोस्तों नमस्कार ..🙏🙏..... दोस्तों चाहे जैसा भी हाथ हो हर व्यक्ति के हाथ में तीन रेखाएं जरूर होती हैं, हृदय रेखा, मस्तिष्क रेखा और जीवन रेखा। जीवन रेखा से हम व्यक्ति की आयु और जीवन में कष्टों का विचार करते हैं। मस्तिष्क रेखा से व्यक्ति की दिमागी स्थिति के बारे में जानते हैं और हृदय रेखा से हम व्यक्ति के मानसिक प्रेम, स्नेह भावनाओं, विपरीत लिंग के मध्य आकर्षण, भावनात्मक स्थिरता, मनोवैज्ञानिक सहनशक्ति और स्वभाव के बारे में जान सकते हैं। तो आइए जानते हैं... ह्रदय रेखा हथेली में अंगुलियों के नीचे स्थित होती है। यह रेखा प्रयाः प्रथम अंगुली से आरम्भ होकर करतल को पार करती हुई   चौथी या छोटी अंगुली के मूल पर हथेली के अंत में समाप्त होती है। हृदय रेखा के प्रारम्भिक स्थान को लेकर कुछ हस्त रेखा विशेषज्ञों के अलग - अलग मत हैं लेकिन मैं यहां सिर्फ अपना अनुभव व्यक्त कर रहा हूं। 1.÷ जब हृदय रेखा बृहस्पति क्षेत्र के बिल्कुल बाहर से आरम्भ होती है तो व्यक्ति प्रेम में अंधा हो जाता है। ऐसे जातक को  अपने प्रेमी या प्रेमिका में कोई दोष नज़र नहीं आता और वह उसकी पूजा क

अस्त ग्रह के असुभ फल से बचे

||#अस्त_ग्रहो_के_अशुभ_फलों_से_कैसे_बचें??||                                            कोई भी ग्रह जब अस्त होता है तब वह सूर्य के कारण अस्त होता है।सूर्य के नजदीक अंशो में होने से ग्रह अस्त हो जाते है हालांकि कितने अंशो से कितनी दूरी पर कोई ग्रह अस्त हुआ है यह एक अलग बात हैं।लेकिन जब भी कोई ग्रह अस्त होता है तब वह अपने शुभ फल किसी भी तरह से नही देता पाता।ऐसे अस्त ग्रहो के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सूर्य को रोज जल देना चाहिए क्योंकि ग्रह के ताप के कारण अस्त होते है जब सूर्य को जल दिया जाएगा तब ऐसे जातक की कुंडली मे सूर्य का ताप अस्त ग्रह को पीड़ा नही पहुचाएगा साथ ही जो ग्रह अस्त हुआ है यदि वह लग्न अनुसार केंद्र त्रिकोण भाव का स्वामी है तब उसका रत्न पहनकर साथ ही उस ग्रह के मन्त्र जप से ऐसे ग्रह के शुभ फल में वृद्धि होने लगती है।अस्त ग्रहो के उपाय में या जिन जातकों की कुंडली मे ग्रह अस्त हो जाते हसि ऐसे जातकों को सूर्य को रोज जल जरूर देना चाहिए।अस्त ग्रह निश्चित रूप से दुखदाई होते है, एक या एक से ज्यादा ग्रह एक साथ अस्त हो सकते है।कुछ महत्वपूर्ण बातें अस्त ग्रहो की;-                     

वृश्चिक_राशि_चन्द्रमा_नीच_होने_पर_होगा_बलवान_और_शुभ_यदि_सूर्य_से_दूर_हो

#वृश्चिक_राशि_चन्द्रमा_नीच_होने_पर_होगा_बलवान_और_शुभ_यदि_सूर्य_से_दूर_हो                                            ग्रहो का अपनी नीच राशि मे होना अच्छा नही होता है, कारण क्योंकि कोई भी ग्रह अपनी नीच में होने पर बिल्कुल ही कमजोर  होता है,लेकिन एक मात्र चन्द्रमा ऐसा ग्रह है जो अपनी नीच राशि वृश्चिक में भी होने पर शुभ और बलवान शाली फल दे सकता है, चन्द्रमा के शुभ अशुभ फल या चन्द्रमा का बल राशियों से ज्यादा नही जांचा जाता है।चन्द्रमा का बल और शुभता सूर्य की स्थिति से देखा जाती है।चन्द्रमा नीच राशि वृश्चिक का ही क्यों न हो यदि चन्द्रमा सूर्य से काफी दूर बेठा है कम से कम 180अंश की दूरी पर है मतलब जिस भाव मे सूर्य बेठा है उस भाव से चन्द्रमा लगभग 4भाव आगे होने पर या सूर्य से 4भाव से भी दूर होने पर बलवान और शुभ होता है अब चन्द्रमा वृश्चिक राशि का ही क्यों न हो? क्योंकि चन्द्रमा सूर्य के जितना नजदीक जन्मकुंडली में होगा उतना कमजोर और अशुभ होता जाता है चाहे यह उच्च राशि का हो या अपनी स्वयम की राशि कर्क में ही सूर्य के नजदीक होने पर भी कमजोर होगा, क्योंकि चन्द्रमा का बल और शुभता राशियों पर नही सूर्

कुछ_उपाए_तंत्र_के

कुछ_उपाए_तंत्र_के 👉वशीकरण को तोड़ने के लिए सफेद आंकडे के पौधे की जड़ को गले में बांध लें और फिर निकाल भी दें। 👉किसी टोटके के प्रभाव के कारण अगर आपको एकदम से बहुत ज्यादा गुस्सा आता है तो शनिवार के दिन लोबान, राई तथा काली मिर्च लेकर हनुमानजी के ऊपर से 7 बार उबारकर पीडि़त व्यक्ति की जेब में कुछ दिन रखें। बाद में घर से बाहर ले जाकर गाय के कंडे पर जला दें। 👉तंत्र मंत्र के प्रकोप के कारण मानसिक रूप से अस्थिर हो जाने पर जावित्री, गायत्री केसर तथा गूगल मिलाकर 21 दिन तक सुबह-शाम गाय के कंडे पर रखकर जलाएं। 👉दुकान बंधी हो टोटको के कारण समस्या हो यानि कड़ी मेहनत के बाद भी बार-बार असफलता मिल रही है तो एक नींबू और 4 लौंग लेकर किसी निकट के हनुमान मंदिर में जाएं। वहां हनुमानजी की प्रतिमा के सामने बैठकर नींबू के ऊपर चारों लौंग लगा दें, इसके बाद हनुमानचालिसा का पाठ करें। पाठ करने के बाद हनुमानजी से सफलता दिलवाने की प्रार्थना करें और इस नींबू को जेब में लेकर जाएं।
ॐ। 1. एक ही सिद्धांत, एक ही इष्ट एक ही मंत्र, एक ही माला, एक ही समय, एक ही आसन, एक ही स्थान हो तो जल्दी सीधी होती है। 2. विष्णु, शंकर, गणेश, सूर्य और देवी - ये पाँचों एक ही हैं। विष्णु क़ी बुद्धि 'गणेश' है, अहम् 'शंकर', नेत्र 'सूर्य' है और शक्ति 'देवी' है। राम और कृष्ण विष्णु के अंतर्गत ही हैं। 3. कलियुग में कोई अपना उद्दार करना चाहे तो राम तथा कृष्ण क़ी प्रधानता है, और सिद्दियाँ प्राप्त करना चाहे तो शक्ति तथा गणेश क़ी प्रधानता है- 'कलौ चणडीविनायकौ'। 4. औषध से लाभ न तो हो भगवान् को पुकारना चाहिए। एकांत में बैठकर कातर भाव से, रोकर भगवान् से प्रार्थना करें जो काम औषध से नहीं होता, वह प्रार्थना से हो जाता है। मन्त्रों में अनुष्ठान में उतनी शक्ति नहीं है, जितनी शक्ति प्रार्थना में है। प्रार्थना जपसे भी तेज है। 5. भक्तों के नाम से भगवान् राजी होते हैं। शंकर के मन्दिर में घंटाकर्ण आदि का, राम के मन्दिर में हनुमान, शबरी आदि का नाम लो। शंकर के मन्दिर में रामायण का पाठ करो। राम के मन्दिर में शिव्तान्दाव, शिवमहिम्न: आदि का पाठ करो। वे राजी हो जायेंगे। हनुम

kala hakik

अगर आपको बार बार नजर लग जाती हो या अगर आपके घर मे बरकत ना हो रही हो तो काला हकीक आपको राहत देगा क्यूंकि हकीक पत्थर लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। माना जाता है कि जिसके घर में हकीक होता है वह कभी द्ररिद्र नहीं हो सकता और माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है 1.काला हकीक का प्रयोग कई स्वस्थ्या सम्बंधित जैसे चक्कर आने, सिरदर्द ,त्वचा की परेशानियों , खाना ना पचना जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी किया जाता है। 2.काला हकीक को धारण करने से शनि देव का आशीर्वाद मिलता है, शनि से संबंधित सभी दोष दूर होते है। शनि देव को खुश करने के लिए काला हकीक बहुतब प्रभावशाली है 3.यदि कोई छात्र कड़ी मेहनत के बाद भी परीक्षाओं में सफल ना हो पा रहा हो मन पढाई में ना लगता हो तो उसे काले हकीक की माला पहनानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं के लिए काला हकीक रत्न अच्छा माना गया है। 4.काला हकीक उनके लिए अनमोल है जो बिज़नेस में तरक्की ना कर पा रहे हो तो काला हकीक फायदेमंद है क्यूंकि यह आपकी बाधाओं को दूर करता है 5. काला हकीक बुरी नज़र को और जादू टोने के लिए पहना जाता है कभी आपको लगे के बार बार नजर लगती है या आपके ऊपर कोई जादू टोना है

सुंदरकाणड सें जुङी 5 अहम बातें

#सुंदरकाणड  सें  जुङी  5  अहम  बातें   1 :-  सुंदरकाणड  का  नाम सुंदरकाणड  क्यों  रखा गया ?  हनुमानजी,  सीताजी  की  खोज  में  लंका  गए  थें  और  लंका  त्रिकुटाचल  पर्वत  पर  बसी  हुई  थी ! त्रिकुटाचल  पर्वत  यानी  यहां  3 पर्वत  थें !  पहला  सुबैल पर्वत,  जहां  कें  मैदान  में  युद्ध  हुआ  था ! दुसरा नील  पर्वत, जहां  राक्षसों  कें  महल  बसें  हुए  थें ! और   तीसरे पर्वत  का  नाम  है  सुंदर  पर्वत, जहां  अशोक  वाटिका  नीर्मित थी !  इसी  वाटिका  में  हनुमानजी  और  सीताजी  की  भेंट  हुई  थी !  इस  काण्ड  की  यहीं  सबसें  प्रमुख  घटना  थी , इसलिए  इसका  नाम  सुंदरकाणड  रखा  गया  है ! 2 :-  शुभ  अवसरों  पर  ही  सुंदरकाणड  का  पाठ  क्यों ? शुभ  अवसरों  पर  गोस्वामी  तुलसीदासजी  द्वारा  रचित  श्रीरामचरितमानस  कें  सुंदरकाणड  का  पाठ  किया  जाता  हैं !  शुभ  कार्यों  की  शुरूआत  सें  पहलें  सुंदरकाणड  का  पाठ  करनें  का  विशेष  महत्व   माना  गया  है !  जबकि  किसी  व्यक्ति  कें  जीवन  में ज्यादा  परेशानीयाँ  हो , कोई  काम  नहीं  बन  पा  रहा  हैं,  आत्मविश्वास  की  कमी  हो  या  कोई  और  समस्या 

मंगल उच्च नीच

यदि मंगल नीच, अस्त या वक्री हो तथा कुंडली के 1, 4, 8 एवं 12 वें भाव में हो तो मंगल दोष कम हो जाता है। यदि मंगल दुर्बल है, 3, 6, 11वें भावों में अशुभ ग्रह, केंद्र, त्रिकोण में शुभ ग्रह हो तथा सप्तमेश सप्तम भाव में हो तो दोष कम हो जाता है। या फिर यदि मंगल नवांश में अपनी राशि में हो।   जिस जातक की जन्म कुंडली में 1, 4, 7, 8, 12 वें भाव में कहीं पर भी मंगल स्थित हो, उसके साथ शनि, सूर्य, राहु पाप ग्रह बैठे हों तो वह पुरुष जातक गोलिया मंगल, स्त्री जातक चुनड़ी मंगल हो जाती है अर्थात द्विगुणी मंगली उसको माना जाता है। यदि मंगल लाभदायक है, दूसरी कुंडली में भी 1, 4, 7, 8वें एवं 12वें भाव में पाप ग्रह शनि, राहु, सूर्य, मंगल हों तो भौम मंगल दोष शांत हो जाता है। यदि लड़का और लड़की दोनों मांगलिक हों, तो मंगल का प्रभाव कम हो जाता है। यदि मंगल स्वराशि मेष, वृश्चिक या मूल त्रिकोण उच्च या मित्र राशि में हो तो दोष में कमी आ जाती है। यदि मंगल सिंह के 8वें भाव में है और चन्द्र, गुरु या बुध से युति कर रहा हो तो  भी दोष कम हो जाता है। यदि मंगल धनु के 12 वें भाव में है और दूसरे भाव में मिथुन, कन्या का मंगल हो त

ग्रहों के उच्च नीच फल

ग्रहों की उच्‍चादि राशि स्थिति इस प्रकार है —- ग्रह उच्च राशि नीच राशि स्‍वग्रह राशि 1 सूर्य,मेष तुला सिंह 2 चन्द्रमा, वृषभ वृश्चिक कर्क 3 मंगल, मकर कर्क मेष, वृश्चिक 4 बुध, कन्या मीन मिथुन, कन्या 5 गुरू, कर्क मकर धनु, मीन 6 शुक्र, मीन कन्या वृषभ, तुला 7 शनि, तुला मेष मकर, कुम्भ 8 राहु, धनु मिथुन 9 केतु मिथुन धनु उपर की तालिका में कुछ ध्‍यान देने वाले बिन्‍दु इस प्रकार हैं - 1 ग्रह की उच्‍च राशि और नीच राशि एक दूसरे से सप्‍तम होती हैं। उदाहरणार्थ सूर्य मेष में उच्‍च का होता है जो कि राशि चक्र की पहली राशि है और तुला में नीच होता है जो कि राशि चक्र की सातवीं राशि है। 2 सूर्य और चन्‍द्र सिर्फ एक राशि के स्‍वामी हैं। राहु एवं केतु किसी भी राशि के स्‍वामी नहीं हैं। अन्‍य ग्रह दो-दो राशियों के स्‍वामी हैं। 3 राहु एवं केतु की अपनी कोई राशि नहीं होती। राहु-केतु की उच्‍च एवं नीच राशियां भी सभी ज्‍योतिषी प्रयोग नहीं करते हैं। सभी ग्रहों के बलाबल का राशि और अंशों के आधार पर मूल्यांकन किया जाता है। एक राशि में 30ए अंश होते हैं। ग्रहों के सूक्ष्म विश्लेषण के लिए ग्रह किस राशि में कितने अंश पर है य

kala hakik

अगर आपको बार बार नजर लग जाती हो या अगर आपके घर मे बरकत ना हो रही हो तो काला हकीक आपको राहत देगा क्यूंकि हकीक पत्थर लक्ष्मी का प्रतीक माना गया है। माना जाता है कि जिसके घर में हकीक होता है वह कभी द्ररिद्र नहीं हो सकता और माँ लक्ष्मी की कृपा बनी रहती है 1.काला हकीक का प्रयोग कई स्वस्थ्या सम्बंधित जैसे चक्कर आने, सिरदर्द ,त्वचा की परेशानियों , खाना ना पचना जैसी समस्याओं से निजात पाने के लिए भी किया जाता है। 2.काला हकीक को धारण करने से शनि देव का आशीर्वाद मिलता है, शनि से संबंधित सभी दोष दूर होते है। शनि देव को खुश करने के लिए काला हकीक बहुतब प्रभावशाली है 3.यदि कोई छात्र कड़ी मेहनत के बाद भी परीक्षाओं में सफल ना हो पा रहा हो मन पढाई में ना लगता हो तो उसे काले हकीक की माला पहनानी चाहिए। गर्भवती महिलाओं के लिए काला हकीक रत्न अच्छा माना गया है। 4.काला हकीक उनके लिए अनमोल है जो बिज़नेस में तरक्की ना कर पा रहे हो तो काला हकीक फायदेमंद है क्यूंकि यह आपकी बाधाओं को दूर करता है 5. काला हकीक बुरी नज़र को और जादू टोने के लिए पहना जाता है कभी आपको लगे के बार बार नजर लगती है या आपके ऊपर कोई जादू टोना है

शनि पर्वत पर त्रिभुज चिह्न

✍️....जिस व्यक्ति की हथेली में शनि पर्वत पर त्रिभुज का चिन्ह होता है उसे जीवन में अचानक ही धन लाभ मिलता है। 45 वर्ष की उम्र इन्हें अचानक प्रसिद्घि और बड़ा धन लाभ प्राप्त होता है। ✍️..जिनकी हथेली में चन्द्रपर्वत से निकलकर भाग्य रेखा शनि पर्वत तक पहुंचती है उन्हें शादी के बाद अचानक ही धन का लाभ प्राप्त होता और इनकी आर्थिक स्थिति बेहतर हो जाती है। ❇️❇️❇️❇️❇️❇️❇️❇️❇️❇️ ✍️ ..जिस व्यक्ति की हथेली में जीवन रेखा से निकलकर कुछ रेखाएं गुरु पर्वत तक आती हैं उन्हें भी बिना उम्मीद बड़ा लाभ मिलता है। मस्तिष्क रेखा से निकलकर कोई रेखा शनि पर्वत पर आती है तो व्यक्ति को 35 साल की उम्र के बाद विशेष धन लाभ प्राप्त है, जिसकी व्यक्ति को उम्मीद भी नहीं रहती है। हस्तरेखा विज्ञान के अनुसार अनामिका व मध्यमा उंगली पर कहीं भी वर्ग का निशान हो तो शुभ होता है। इससे व्यक्ति को अचानक धन लाभ प्राप्त होता है। जिनकी हथेली में हृदय रेखा, भाग्य रेखा और सूर्य रेखा से मिलकर त्रिभुज का चिन्ह बनता है उन्हें भी जीवन में अकस्मात ही धन लाभ मिलता रहता है। हथेली में गुरू पर्वत पर वर्ग का चिन्ह मौजूद है तो यह भी अचानक धन प्राप्ति क

अस्त ग्रह

||#अस्त_ग्रहो_के_अशुभ_फलों_से_कैसे_बचें??||                                            कोई भी ग्रह जब अस्त होता है तब वह सूर्य के कारण अस्त होता है।सूर्य के नजदीक अंशो में होने से ग्रह अस्त हो जाते है हालांकि कितने अंशो से कितनी दूरी पर कोई ग्रह अस्त हुआ है यह एक अलग बात हैं।लेकिन जब भी कोई ग्रह अस्त होता है तब वह अपने शुभ फल किसी भी तरह से नही देता पाता।ऐसे अस्त ग्रहो के अशुभ प्रभाव से बचने के लिए सूर्य को रोज जल देना चाहिए क्योंकि ग्रह के ताप के कारण अस्त होते है जब सूर्य को जल दिया जाएगा तब ऐसे जातक की कुंडली मे सूर्य का ताप अस्त ग्रह को पीड़ा नही पहुचाएगा साथ ही जो ग्रह अस्त हुआ है यदि वह लग्न अनुसार केंद्र त्रिकोण भाव का स्वामी है तब उसका रत्न पहनकर साथ ही उस ग्रह के मन्त्र जप से ऐसे ग्रह के शुभ फल में वृद्धि होने लगती है।अस्त ग्रहो के उपाय में या जिन जातकों की कुंडली मे ग्रह अस्त हो जाते हसि ऐसे जातकों को सूर्य को रोज जल जरूर देना चाहिए।अस्त ग्रह निश्चित रूप से दुखदाई होते है, एक या एक से ज्यादा ग्रह एक साथ अस्त हो सकते है।कुछ महत्वपूर्ण बातें अस्त ग्रहो की;-                     
#vimshottari #Dasha #sequence  Part - 3  Bhagwat Geeta - Chapter 2 - verse 47  || dehino 'smin yatha dehe kaumaram yauvanam jara| tatha dehantara-praptir dhiras tatra na muhyati || SYNONYMS dehinah—of the embodied; asmin—in this; yatha—as; dehe—in the body; kaumaram—boyhood; yauvanam—youth; jara—old age; tatha—similarly; dehantara—transference of the body; praptih—achievement; dhirah—the sober; tatra—thereupon; na—never; muhyati—deluded. TRANSLATION As the embodied soul continually passes, in this body, from boyhood to youth to old age, the soul similarly passes into another body at death. The self-realized soul is not bewildered by such a change. 🕉 Bhagwat Geeta have all answer regarding mankind but it's quote do also have jyotish hidden. Aatma is ajaramar, it has a shookma Sharir, it need sthoola sharir to experience life.   🔴 Geeta says human life starts from childhood (mercury)  we pass through youth (Mars)  and alas grow old age (Saturn)  however Aatma (soul)  never die
दिल छु लेगी ये Story ऐक बार जरूर पडें ।।।।।। जब एक इंसान के साथ धोखा होता है तो वह ना जाने क्या क्या सोचता है उसके दिमाग में कई तरह की बातें चलती हैं जैसे कि आखिर हमारे अंदर क्या कमी थी जो उसने हमारे साथ धोखा किया ऐसी कौन सी कमी थी क्या मैंने उसकी इच्छा की पूर्ति नहीं थी जिसकी वजह से उसने मुझे धोखा दे दिया | बहुत से ऐसे लोग होते हैं जो इतने दुखी हो जाते हैं कि उंहें यह नहीं समझ नहीं आता कि अब क्या करें और वह इसी असमंजस में कोई गलत कदम उठा लेते हैं जिसकी वजह से उनके परिवार को काफी गहरा सदमा लगता है | दोस्तों आज की इस लेख के माध्यम से हम आपको बस यही कहना चाहते हैं कि अगर आप जीवन में किसी के साथ रिश्ता रखते हैं तो फिर उसके साथ बुरा बर्ताव ना करें क्योंकि अगर आप उसे छोड़ देते हैं तो आप तो अपनी खुशियों में शामिल हो जाएंगे लेकिन वह इंसान किस हद तक टूट जाता है इस का अंदेशा वही लगा सकता है जिसने इन सब चीजों को देखा है और बर्दाश्त किया है |