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Showing posts from August, 2021

दवाईयों_और_बीमारी_से_कब_तक_मिलेगा_छुटकारा

#दवाईयों_और_बीमारी_से_कब_तक_मिलेगा_छुटकारा ?         आज बात करते है बीमारियां लगी हुई है ,दवाइयां चलती रहती है तो क्या बीमारी और दवाइयों से छुटकारा कभी मिल पायेगा और क्या करे जिससे दवाइयों और बीमारियों से छुटकारा मिलकर स्वास्थ्य अच्छा रहे आदि।।                                                                       जन्मकुंडली में लग्न मंतलब पहला भाव और इस भाव का स्वामी ही स्वास्थ्य, बीमारी से क्या मुक्ति मिल पाएगी, दवाइयों से क्या छुटाकरा मिल पायेगा और कब तक, और क्या करे कि छुटकारा मिल जाये  के बारे में बताएगा।जब भी लग्न और लगन स्वामी(पहला भाव और पहला भाव स्वामी) कमजोर होकर बहुत ज्यादा छठे आठवे या बारहवें भाव स्वामियो द्वारा पीड़ित होगा तब बीमारी लगी रहेगी और बीमारियों पर दवाई खर्च बना रहेगा।अब ऐसी स्थिति में लग्न और लग्नेश बलवान है और कही न कही शुभ या अच्छे भाव स्वामी के साथ सम्बन्ध में है और नवमांश कुंडली मे भी लग्नेश बलवान है तब बीमारियों और दवाईयो से छुटकारा मिल जाएगा, अन्यथा बाकी लग्न लग्नेश की स्थिति पर निर्भर करेगा कितनी जल्दी बीमारियों और दवाईयो से छुटकारा मिल जाएगा।अब कुछ उदाहरणो

उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चारों चरण में शनि, राहु और केतु का फल कथन :-

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उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र के चारों चरण में शनि, राहु और केतु का फल कथन :-                                     शनि शनि पर सूर्य की दृष्टि हो तो जातक सीधे मुंह बात नहीं करता और अपने पिता का शत्रु रहता है। यही कारण है कि उसे पैतृक संपत्ति प्राप्त नहीं होती। चंद्र की दृष्टि हो तो छोटी बहन विधवा होती है। उसका दायित्व जातक पर आता है। मंगल की दृष्टि हो तो सहोदर जीवित नहीं रहते। बुध की दृष्टि हो तो वह उच्च शिक्षा प्राप्त करता है, वैवाहिक जीवन असंतुलित रहता है। बृहस्पति की दृष्टि होने पर शासन से लाभान्वित होता है। सभी से मान-सम्मान प्राप्त होता है। शुक्र की दृष्टि हो तो दो विवाह होते हैं। स्वर्ण-रजत के व्यापार से धन प्राप्ति होती है। ★ प्रथम चरण में शनि हो तो जातक को मां का सुख प्राप्त नहीं होता। शनि के साथ राहु या केतु हो एवं उस पर मंगल की दृष्टि हो तो जातक की आयु के सातवें वर्ष में मां की मृत्यु होती है। जातक के एक ही भाई रहता है, वह भी परदेश में रहता है, उससे ज़ातक को आर्थिक लाभ मिलता है। ★ द्वितीय चरण में शनि हो तो ऐसी महिला जातक सुंदर होती है। असमय केश पक जाते हैं और मुखमंडल में

पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल

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पशुपतिनाथ मंदिर           नेपाल  ***************** केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का भाग माने जाने वाले पशुपतिनाथ मंदिर का रहस्य???? भोलेनाथ,,,भारत समेत विश्वभर में हिन्दू देवी-देवताओं से संबंधित कई मंदिर और तीर्थ स्थान मौजूद है। आज हम जिस धार्मिक स्थल की बात कर रहे हैं वह भगवान शिव, जिन्हें उनके भक्त भोलेनाथ, महादेव, रुद्र, आदि नाम से जानते हैं, को समर्पित स्थान है। पशुपतिनाथ मंदिर,,,नेपाल का पशुपतिनाथ मंदिर ऐसा ही एक स्थान है, जिसके विषय में यह माना जाता है कि आज भी इसमें शिव की मौजूदगी है। केदारनाथ मंदिर,,,पशुपतिनाथ मंदिर को शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, केदारनाथ मंदिर का आधा भाग माना जाता है। पशुपतिनाथ मंदिर नेपाल की राजधानी काठमांडू से किलोमीटर उत्तर-पश्चिम देवपाटन गांव में बागमती नदी के तट पर है स्थित है। भगवान शिव,,,यूं तो भगवान शिव की महिमा अद्भुत है, उनसे जुड़ी कहानियां किसी के भी मस्तिष्क में हैरानी के भाव पैदा कर सकती हैं। उनसे जुड़े रहस्य और पौराणिक घटनाएं उनके भक्तों को आज भी उनसे जोड़कर रखती हैं। काठमांडू,,,केदारनाथ ज्योतिर्लिंग का आधा भाग माने जाने की वजह से काठमां

, ट्रेन में साधु

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अक्सर अपने देखा होगा की टीटी, ट्रेन में साधु या फकीर से टिकट नहीं मांगता है, जबकि वो जानता है कि ये बिना टिकट यात्रा कर रहे हैं? आइए जानते हैं इस अनोखी कथा के बारे में।  संत-महात्मा भारत जैसे राष्ट्र की धरोहर होते हैं। इन्हीं अध्यात्मिक गुरुओं के कारण भारत आदिकाल से धर्म गुरु के रूप में विश्वगुरु बनकर विख्यात रहा है। वर्तमान युग में भी अनेक संत, ज्ञानी, योगी और प्रवचनकर्ता अपने कार्यों और चमत्कारों से विश्व को चमत्कृत करते रहे हैं परंतु बाबा नीम करौली की बात ही अलग थी। बाबा का जन्म उत्तर प्रदेश के अकबरपुर में हुआ था। उनके पिता का नाम दुर्गा प्रसाद शर्मा था। माना जाता है कि बाबा ने लगभग सन् 1900 के आसपास जन्म लिया था और उनका नाम लक्ष्मी नारायण रखा गया था। महज 11 वर्ष की उम्र में ही बाबा की शादी करा दी गई थी। बाद में उन्होंने अपने घर को छोड़ दिया था। एक दिन उनके पिताजी ने उन्हें नीम करौली नामक गांव के आसपास देख लिया था। यह नीम करौली ग्राम खिमसपुर, फर्रूखाबाद के पास ही था। बाबा को फिर आगे इसी नाम से जाना जाने लगा। माना जाता है कि लगभग 17 वर्ष की उम्र में उन्हें ज्ञान की प्राप्

स्त्री की कुण्डली में "मंगल"की पति सुख और वैवाहिक जीवन मे भूमिका

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स्त्री की कुण्डली में "मंगल"की पति सुख और वैवाहिक जीवन मे भूमिका  स्त्री की कुण्डली में मंगल का बलवान होना जहाँ अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन देता है तो वहीँ मंगल पीड़ित या कमजोर होने पर विवाह में विलब, पति सुख और वैवाहिक जीवन में बहुत सी समस्याएं और उतार चढ़ाव का सामना करना पड़ता है।   स्त्री की कुंडली में मंगल यदि स्व उच्च राशि (मेष, वृश्चिक, मकर) में हो, केंद्र (1,4,7,10) त्रिकोण (1,5,9) आदि शुभ भावों में हो और पाप प्रभाव से मुक्त हो तो ऐसे में अच्छा पति सुख और वैवाहिक जीवन प्राप्त होता है दीर्घ काल तक माँगल्य और सौभाग्य बना रहता है, पर स्त्री की कुण्डली में मंगल यदि नीच राशि (कर्क) में हो, दुःख भाव (6,8,12) में हो विशेषकर आठवे भाव में हो, मंगल, राहु या शनि के साथ होने से पीड़ित हो या मंगल पर राहु या शनि की दृष्टि हो तो ऐसे में पति सुख बाधित होता है और वैवाहिक जीवन में संघर्ष और समस्याओं की स्थिति उत्पन्न होती है, पति का स्वास्थ बाधित और जीवन संघर्षमय रहता है, स्त्रियों की कुंडली में मंगल का पीड़ित होना विवाह में विलम्ब का भी कारण बनता है, यदि स्त्री की कुंडली में प

केतु

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🌚#केतु🌚   🙏#नमस्कार #मित्रो🙏  आज बात करते हैं केतु ग्रह के बारे में। केतु और राहु हमेशा एक दूसरे के ऑपोजिट होते हैं  केतु लग्न में है तो राहु सप्तम में होगा राहु  लग्न में है तो केतु सप्तम में होगा।केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की चिंता जरूर देता है उसी स्थान से संबंधित क्षेत्रों में समस्या जरूर देता है कुंडली के 12 घरों में केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की समस्या हर व्यक्ति को होती है किसी भी हजारों लाखों कुंडलियों में देख ले।  ✍️लग्न में केतु डिसीजन क्षमता कम करेगा साथ में यदि मंगल का प्रभाव हुआ यहां तो जैसे लोगों को ब्रेन हेमरेज जरूर होता है।   ✍️द्वितीय स्थान का केतु धन के लिए संघर्ष कर आएगा। इसका संबंध मुख से है वाणी से है ऐसे लोगों की वाणी ठीक नहीं होती परिवार में ऐसे लोगों का मतभेद जरूर रहता है  ऐसे जातक से परिवार वाले हमेशा ना खुश रहते हैं धन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है जीवन में 41 वर्ष के बाद धन में स्थिरता आती है। कभी-कभी ऐसे ।लोगों के दांत आगे पीछे या एक के ऊपर एक ही होते हैं। ✍️ तृतीय स्थान का केतु -दाई भुजा में एक जख्म जरूर देता है छोटे भाई

*मोरपंख के गुण*🦅

🦅 *मोरपंख के गुण*🦅           🚩जय माता दी🚩  🕉चलिये मोरपंख के अद्भुत लाभों को जानते हैं जो शायद  आप को पता भी हो.......  ****** 🕉 जो व्यक्ति अपने घर में दो मोरपंख रखता हैं, उस परिवार में कभी फूट पैदा नहीं होती है  🦅घर में दो मोरपंख रखने से घर में लड़ाई - झगड़े नहीं होते हैं और परिवार साथ मिल ख़ुशी- ख़ुशी रहता है...... 🕉. जो व्यक्ति अपने साथ हमेशा मोरपंख रखता हैं उसके साथ कभी कोई दुर्घटना नहीं होती है........ 🦅 मोरपंख सदैव अपने पास रखने से आपका भाग्य प्रबल हो जाता हैं और किसी भी दुर्घटना का भाग नहीं बनते हो.... 🕉. मोरपंख को घर में रखने से नकारात्मक उर्जा घर से बाहर निकल जाती हैं और सकारात्मक उर्जा घर के अन्दर आ जाती है... 🦅आप तो जानते ही हैं जिस घर में सकारात्मक उर्जा रहती हैं वहां लक्ष्मी जी जल्दी आती है.. 🕉. यदि आप का बच्चा पढ़ाई में कमजोर हैं या उसका पढ़ाई लिखाई में मन नहीं लगता हैं तो आप उसके स्कूल बैग में एक मोरपंख रख दे.....  🦅ऐसा करने से आपके बच्चे का पढ़ाई में मन लगेगा और वो परीक्षा में अच्छे अंको से पास होगा... 🕉 जिन लोगो की राशि में राहू दोष होता हैं उन्हें अपनी जेब या डा

गौरीशंकर रुद्रास

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प्राकृतिक रूप से जुड़े दो रूद्राक्षों को गौरी शंकर रूद्राक्ष कहा जाता है। यह रूद्राक्ष भगवान शिव एवं माता पार्वती का प्रत्यक्ष स्वरूप है। इसे धारण करने वाले को शिव और शक्ति दोनों की कृपा प्राप्त होती है। यह रूद्राक्ष गृहस्थ सुख की प्राप्ति के लिए अत्यंत शुभ माना गया है। इसलिए जिन लोगों का दांपत्य जीवन ठीक नहीं चल रहा है, या जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो रहा है उन्हें गौरी शंकर रूद्राक्ष अवश्य धारण करना चाहिए। जिन स्त्रियों को संतानसुख प्राप्त नहीं हो पा रहा है या गर्भ से संबंधित कोई समस्या है उन्हें भी यह रूद्राक्ष जरूर पहनना चाहिए। गृहस्थ जीवन में सुख-शांति के लिए धारण करें ये रूद्राक्ष गृहस्थ जीवन में सुख-शांति और आपसी प्रेम बढ़ाने में गौरी शंकर रूद्राक्ष चमत्कारिक रूप से कार्य करता है। जिन लोगों को पारिवारिक सुखों की कमी है वे यह रूद्राक्ष पहनें। पारिवारिक शांति और वंश वृद्धि में भी यह रूद्राक्ष सहायक माना गया है। जिन स्त्रियों को गर्भ ठहरने में समस्या है वे इसे धारण करें। आध्यात्मिक राह पर चलने की इच्छा रखने वाले लोग इस रूद्राक्ष को चांदी की चेन में धारण करें।

Full Moon in Aquarius (Dhanishta Nakshatra)

✨Full Moon in Aquarius (Dhanishta Nakshatra) “Be optimistic...your wish on its way” We’re going to witness a full moon in Aquarius on Sunday at 5’30’’ of Dhanishta Nakshatra. This Full Moon can be considered one of the most powerful lunar cycles, due to the connectivity of Jupiter which is the planet of abundance. And dhanishta is considered as the most prosperous star constellation. Overall energy  Dhanishta Nakshatra is connected to Mars, and Lord Ashtavasu. It’s the energy of taking action and a leap of faith to manifest a new beginning and abundance in life. Note that the current Full Moon will be in close conjunction with Jupiter. Brihaspati is considered to be a planet of expansion, so the outcome of the upcoming full moon will be positive and in our favor. Mars and Mercury are also involved in the Purnima, we can see that there is a tremendous amount of fiery and energetic impulses in the sky forcing us to step up and take action.  What to expect?  If you notice, most planets ar

अक्षय पात्र का रहस्य : महाभारत की एक कथा

अक्षय पात्र का रहस्य : महाभारत की एक कथा  महाभारत में अक्षय पात्र संबंधित एक कथा है। जब पांचों पांडव द्रौपदी के साथ 12 वर्षों के लिए जंगल में रहने चले गए थे, तब उनकी मुलाकात कई तरह के साधु-संतों से होती थी लेकिन पांचों पांडवों सहित द्रौपदी को यही चिंता रहती थी कि वे 6 प्राणी अकेले भोजन कैसे करें और उन सैकड़ों-हजारों के लिए भोजन कहां से आए? तब पुरोहित धौम्य उन्हें सूर्य की 108 नामों के साथ आराधना करने के लिए कहते हैं। द्रौपदी इन नामों का बड़ी आस्था के साथ जाप करती हैं। अंत में भगवान सूर्य प्रसन्न होकर द्रौपदी से इस पूजा-अर्चना का आशय पूछते है? तब द्रौपदी कहती हैं कि हे प्रभु! मैं हजारों लोगों को भोजन कराने में असमर्थ हूं। मैं आपसे अन्न की अपेक्षा रखती हूं। किस युक्ति से हजारों लोगों को खिलाया जाए, ऐसा कोई साधन मांगती हूं। तब सूर्यदेव एक ताम्बे का पात्र देकर उन्हें कहते हैं- द्रौपदी! तुम्हारी कामना पूर्ण हो। मैं 12 वर्ष तक तुम्हें अन्नदान करूंगा। यह ताम्बे का बर्तन मैं तुम्हें देता हूं। तुम्हारे पास फल, फूल, शाक आदि 4 प्रकार की भोजन सामग्रियां तब तक अक्षय रहेंगी, जब तक कि तुम परोसती रहोग

राखी पर ये 5 सावधानी अवश् रखे

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 राखी पर ये 5 सावधानी अवश् रखे बहनो से निवेदन - अपने भाई को सूखे-नारियल गोले से मत बांधिये राखी...वरना अनर्थ होगा_ _राखी बांधते समय अपने भाई का हाथ भरा हुआ हो, तो ही राखी बांधी जाती है यह परम्परा है।_ _इसलिये बहने अपने भाई के हाथ में नारियल रखती हैं, भाई नारियल पकड़ता है और बहन राखी बांधती है।✊✊_ _हाथ भरा होने के पीछे यह कामना रहती है कि भाई के हाथ में सदैव लक्ष्मी बनी रहे। इसी कारण उसके हाथ में *‘‘श्री’’ फल* अर्थात नारियल रखा जाता है। 💵💸_ _कुछ लोगों के यहॉ केले, मिठाई अथवा सूखे नारियल गोले भी रखे जाने लगे हैं- यह पूर्णत: गलत है। ❌❌_ _👉आप कहेंगे कि यह परम्परा है - तो समझ लीजिये यह परम्परा भूल-वश चालू हो गई है जिसे तत्काल सुधार लेना चाहिये। 😳_ _👩 कौन बहन चाहती है कि उसके भाई के हाथ सूखे रह जायें- यदि बहन नहीं चाहती है तो उसेअपने भाई के हाथ में ‘‘जलयुक्त श्रीफल ही रखकर राखी बांधना चाहिये।’’ 🙋‍♂️🏵_ _👉 और भाईयों को भी ध्यान रखना चाहिये कि वह श्रीफल से ही राखी बंधवायें।_ 😳 _👉 रोचक जानकारी - परम्परा यह है कि शादी-शुदा बहने जब मायके आती हैं तो भाई के लिये नारिय

શા માટે કાંડે બાંધવામાં આવે છે નાડાછડી?

શા માટે કાંડે બાંધવામાં આવે છે નાડાછડી?  ભારતીય ધર્મ અને પુરાણોમાં દરેક જગ્યાએ જે વસ્તુઓનો અર્થ દર્શાવામાં આવ્યો છે, તે વિના કારણે નથી દર્શાવાયો. આવી જ એક વસ્તુ છે નાડાછડી એટલે કે રક્ષાસુત્ર. હંમેશા તમે જોયુ હશે કે કોઈ પણ ધાર્મિક કાર્ય કરતી વખતે બ્રાહ્મણ વિભિન્ન મંત્રો બોલી નાડાછડી બાંધે છે. સામાન્ય રીતે સ્ત્રીઓને ડાબા હાથ પર અને પુરુષોને જમણા હાથ પર એવી માન્યતા છે કે, નાડાછડીમાં દેવી કે દેવતા અદૃશ્ય રીતે વિરાજમાન હોય છે. નાડાછડીનો દોરો સૂતરમાંથી તૈયાર થાય છે અને તે ઘણા રંગો જેમ કે પીળો, સફેદ, લાલ કે પછી નારંગી રંગનો હોય છે. પણ શું તમે ક્યારેય વિચાર્યુ છે કે આ નાડાછડી શા માટે બંધાતી હશે અથવા આ એક નાનકડો દોરો તમારી શું રક્ષા કરી શકે છે? આ વાત વિશ્વાસની છે. હંમેશા આ દોરો અત્યંત વિશ્વાસ સાથે તમારા હાથ પર બાંધવામાં આવે છે, જેને કારણે તે અમૂલ્ય શક્તિનો પર્યાય બની જાય છે. ઈતિહાસ એવું મનાય છે કે યજ્ઞમાં જે યજ્ઞસૂત્ર બંધાય છે તે આગળ ચાલી 'રક્ષાસુત્ર' કહેવાય છે. પૌરાણિક કથાઓમાં તેનો ઉલ્લેખ જોવા મળે છે, જે પ્રમાણે ભગવાન વિષ્ણુના વામનાવતારે પણ રાજાબલીને રક્ષાસુત્ર બાંધ્યુ હતુ અને ત્યાર બા

કાબુલીવાલા-રવીન્દ્રનાથ ટાગોર

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કાબુલીવાલા -રવીન્દ્રનાથ ટાગોર  મારી પાંચ વરસની પોરી મીની એક ઘડી પણ બોલ્યા વિના રહી શકતી નથી. પૃથ્વી પર જન્મ ગ્રહણ કર્યા પછી ભાષા શીખવામાં તેણે માત્ર એક જ વરસ કાઢ્યું હતું, પણ તે પછીથી તો તે જાગ્રત અવસ્થામાં હોય ત્યારે એક પળ પણ મૌન રહેવામાં બગાડતી નથી. એની મા ઘણી વખત ધમકાવીને એનું મોં બંધ કરી દે છે, પરંતુ મારાથી એ બનતું નથી. મીની ચૂપ બેઠી હોય તો મને એવું અસ્વાભાવિક લાગે છે કે મારાથી તે લાંબું સહન થતું નથી. તેથી કરીને મારી સાથે તે ખૂબ ઉત્સાહપૂર્વક વાતો કરવા લાગે છે. એક દિવસ સવારે મારી નવલકથાનું સત્તરમું પ્રકરણ હું શરૂ કરતો હતો, ત્યાં મીનીએ આવીને લાગલું જ શરૂ કરી દીધું : ‘બાપા, રામદયાળ દરવાન કાગડાને કૌઆ કહે છે. એને કશું આવડતું નથી, નહીં ?’ પૃથ્વી પર ઘણી જુદી જુદી ભાષાઓ ચાલે છે એ વિશે હું તેને કંઈ જ્ઞાનદાન કરવામાં પ્રવૃત્ત થાઉં તે પહેલાં તો તેણે બીજી વાત કાઢી : ‘બાપા, ભોળો કહેતો’તો કે આકાશમાં હાથી રહે છે તે સૂંઢમાંથી પાણી રેડે છે, તેથી વરસાદ પડે છે ! તો મા ! ભોળો કેવું ખોટું ખોટું બકે છે ! બસ, બક્યા જ કરે છે, રાતદિવસ બક્યા જ કરે છે !’ આ વિશે મારા મતામતની જરા પણ રાહ જોયા વિના અચ

चंद्र दोष

कई बार आप अपने जीवन में ऐसा महसूस करते हैं कि आपके साथ कुछ अशुभ हो रहा है। आपकी आमदनी का जरिया एका एक छिन जाता है, या फिर जल सबंधी दिक्कते आपको झेलनी पड़ रही हैं, आप अनिष्ट की शंकाओं से घिरे रहते हैं, मन में घबराहट, एक अंजाना भय आपको सताता रहता है,  आपकी यादाश्त भी बहुत कमजोर हो जाती है, यहां तक हो सकता है आपके मन में दुनिया छोड़ने तक विचार आते हों।  क्या आप जानते हैं आपके साथ ऐसा क्यों होता है?  ज्योतिषशास्त्र के नज़रिये से देखा जाये तो इन सबका कारक आपका मन होता है और मन चंद्रमा से प्रभावित होता है। यदि आपके साथ ऐसा कुछ घट रहा है तो समझ लिजिये की आपका चंद्रमा कमजोर है या फिर आप चंद्र दोष का शिकार हैं। क्या है चंद्र दोष Astrologer Nikhil Agrwal....  जब चंद्रमा के साथ राहू की युक्ति हो रही हो तो ऐसी अवस्था को चंद्र दोष माना जाता है। इसी अवस्था को चंद्र ग्रहण भी कहा जाता है। माना जाता है कि इस अवस्था में चंद्रमा पीड़ित जाता है और चंद्रमा चूंकि मन का कारक है इसलिये मन में भी विकार पैदा होने लगते हैं। इसके अलावा भी कुछ और अवस्थाएं हैं जिनमें चंद्र दोष होता है। जब चंद्रमा पर राहू की दृष्टि

Understanding Venus Retrograde(PART OF UNDERSTANDING RETROGRADE PLANET SERIES)

✨Understanding Venus Retrograde (PART OF UNDERSTANDING RETROGRADE PLANET SERIES) Venus goes retrograde every 18 months and remains in retro motion for 6 weeks. It’s quite common to find people with Venus retrograde. And the effect will depend on sign placement. Usually, it will affect relationship aspects more than finances. General traits of Venus Retrograde  Venus, it’s a planet of love, affection, relationship, and your capability to create friendship too. It’s also naturally connected to career, finances, and reputation in society. Venus is what we value and honor in life, which is usually accumulated from close network circle. Venus might create turbulence in personal relationships, especially when it comes to romance and connection with the opposite gender. There might be a sense of doubt, fluctuation in emotions, or perhaps uncertainty. The one might regularly ask questions like “Am I really want this relationship? or should I just break up?”. The native will have high expectati

क्या आप जानते है क्यू त्योहार से पहले लोग घर की साफ सफाई करते हैं

क्या आप जानते है क्यू त्योहार से पहले लोग घर की साफ सफाई करते हैं 1.माता लक्ष्मी को पसंद है साफ-सफाई : माता लक्ष्मी का निवास उसी घर में होता है जहां पर सफाई और शांति होती है। इसीलिए अक्सर घरों का रंग रोगन करके उन्हें सजाया जाता है। घर में समृद्धि लाना है तो यह कार्य जरूर करना चाहिए। लक्ष्मी को आमंत्रि‍त करने से पहले पुराने और अनुपयोगी सामानों की विदाई आवश्यक है। कबाड़ से मुक्ति पाने का सीधा संबंध आर्थिक प्रगति से है।   2. वास्तु दोष मिटता है : वर्ष भर में एक या दो बार घर का रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराने से दरारें, टूट-फूट, दरवाजों की आवाज, सीलन के निशान और बदरंगी दीवारें अच्‍छी हो जाती है जिसके चलते घर का वास्तु दोष भी समाप्त हो जाता है। 3. नकारात्मक ऊर्जा की निकासी हेतु : रंग-रोगन, साफ-सफाई और लिपाई-पुताई कराने से घर की नकारात्म ऊर्जा भी बाहार निकल जाती है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। मुख्य द्वार पर तोरण, रंगोली, साज-सज्जा के साथ ही दीपक जलाना शुभ ऊर्जाओं को आमंत्रण और उनके स्वागत की तरह होता है। शुभ लक्षणों से युक्त द्वार लक्ष्मी और अन्य देवी देवताओं को आमंत्रित करन

वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए ज्योतिष उपाय:

वित्तीय स्थिति में सुधार के लिए ज्योतिष उपाय: 1. घर की दक्षिण या दक्षिण-पश्चिम दीवार में कैश लॉकर या अपनी कैश अलमारी रखें और सुनिश्चित करें कि यह उत्तर दिशा में खुले । 2. धन को आकर्षित करने के लिए कैश लॉकर के सामने दर्पण रखें ताकि दर्पण लॉकर की छवि को दर्शाता है । 3. कभी भी मुफ्त में कुछ भी न लें और न ही अपनी कोई सेवा मुफ्त में प्रदान करें । 4. झूठे साधनों से कमाया हुआ धन कभी नहीं रहता । सभी सौदों का संचालन करते समय इस बात का ध्यान रखें । 5. दान में हर महीने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा दान करें । 6. घर की महिलाओं के साथ अत्यधिक सम्मान के साथ व्यवहार करें । ये लक्ष्मी के अवतार हैं । 7. कुबेर यंत्र को अपने पूजा स्थान पर लाल कपड़े के टुकड़े पर रखें और हर दिन उससे प्रार्थना करें कि वह आपको आशीर्वाद दे । 8. घर में तुलसी का पौधा लगाएं और रोज शाम को पौधे के पास घी से भरा मिट्टी का दीपक जलाएं । 9. धन की देवी को प्रसन्न करने के लिए सफेद चीजें  दान करें । 10. घर में किसी भी टूटे हुए बर्तन को कभी न रखें और न ही इस्तेमाल करें । 11. हर शुक्रवार दक्षिणमुखी शंख- के माध्यम से भगवान विष्णु भगवान को जल चढ़ा

શ્રી કૃષ્ણ માહિતી

*શ્રી કૃષ્ણ ભગવાન વિશે માહિતી સૌને રસપ્રદ બની રહેશે* *નામ :- ચંદ્રવંશપ્રતાપ યદુકુળ ભૂષણ, પૂર્ણપુરુષોત્તમ, દ્વારિકાધીશ મહારાજા શ્રી કૃષ્ણચંદ્રજી વાસુદેવજી યાદવ (પૂર્ણ ક્ષત્રિય)*    *અને..અત્યારે* *હિઝ હાઈનેસ મહારાજાધિરાજ 10008 શ્રી,શ્રી,શ્રી, કૃષ્ણચંદ્રસિંહજી વાસુદેવસિંહજી નેક નામદાર મહારાજા ઓફ દ્વારકા.*          *-:જન્મદિવસ:-*  ૨૦/૨૧ -૦૭ ઈ.સ. પૂર્વે ૩૨૨૬ ના રોજ રવી/સોમવાર             *-:જન્મ તિથી:-* વર્ષ સંવત ૩૨૮૫ શ સંવત ૩૧૫૦ શ્રાવણ વદ આઠમ [ જેને જન્માષ્ટમી તરીકે ઉજવીએ છીએ )              *-:નક્ષત્ર સમય:-* રોહિણી નક્ષત્ર રાત્રીના ૧૨ કલાકે મધ્ય રાત્રી             *-:રાશી-લગ્ન:-* વૃષભ લગ્ન અને વૃષભ રાશી             *-:જન્મ સ્થળ:-* રાજા કંસ ની રાજધાની મથુરા માં તાલુકો, જીલ્લો- મથુરા (ઉત્તર પ્રદેશ)             *-:વંશ - કુળ:-* ચંદ્ર વંશ યદુકુળ ક્ષેત્ર - માધુપુર              *-:યુગ મન્વન્તર:-* દ્વાપર યુગ સાતમો વૈવસ્વત મન્વન્તર               *-:વર્ષ:-* દ્વાપર યુગનો ૮,૬૩૮૭૪ વર્ષ ૪ માસ્ અને ૨૨માં દિવસે                *-:માતા:-* દેવકી [ રાજા કંસના સગા કાકા દેવરાજની પુત્રી, જેને કંસે પોતાની બહેન મ

Shravana Somvara Rare Darshan of Atmalingam at Gokarna

Shravana Somvara Rare Darshan of Atmalingam at Gokarna The Gokarna Tirtha in Karnataka is a very sacred spot due to the presence of the Atmalinga of Lord Shiva. There are only 2 atmalingas of Lord Shiva on this planet - Rameswaram and Gokarna. This atmalinga was awarded by Lord Shiva to Ravana who wanted to take it to Lanka & worship. But the presence of Atmalinga in Lanka would make Ravana invincible and hence Lord Ganesha tricked Ravana to keep the linga here itself. In earlier days one could actually feel the softness of the linga like the heart of Lord Shiva. Only the tip of this atmalinga is now visible for darshan of devotees. Share this rare video of the atmalinga darshana.

रुद्रास

क्या है रुद्राक्ष धारण करने के फायदे ?  क्या है रुद्राक्ष धारण करने  के फायदे ?साथियों रुद्राक्ष धारण करने के अनेकों फायदे हैं | जैसा कि हम सभी जानते हैं कि हर चीज की अपनी एक उर्जा होती है चाहे उस चीज में जान हो या न हो और रुद्राक्ष हमारी उस उर्जा को साफ़ करता है | रुद्राक्ष हमारी आभा उस चमक को साफ़ करने का काम करता है | साथियों कई लोग नकारत्मक शक्तियों का इस्तमाल करके दूसरे लोगों को नुकसान पहुंचाते हैं | काला जादू का इस्तमाल करके दुसरे लोगों को गहरी छती देते हैं | और रुद्राक्ष धारण करने से ये नकारत्मक शक्तियां या काला जादू काम नहीं करता | जो इंसान रुद्राक्ष धारण किये हुए है उस इंसान पर इन नकारत्मक शक्तियों का कोई प्रभाव नहीं होता है | रुद्राक्ष काले जादू से और नकारत्मक शक्तियों से आपकी रक्षा करता है | साथियों कई बार लोग एसी जगह पर होते हैं जहाँ वो किसी को नहीं जानते और उस जगह पर कई बार उन्हें खाना पानी भी करना पड़ता है जिससे इंसान को कई बार खतरा भी होता है | साथियों एसी परिस्तिथि में रुद्राक्ष से आप ये पता कर सकते हैं कि उस खाने पानी में ज़हर है या नहीं | तो आप उस खाने के ऊपर रुद्राक्ष को

कन्या लग्न में जन्म लेने वाले 🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘

🧘🧘🧘🧘🧘🧘 कन्या लग्न में जन्म लेने वाले  🧘🧘🧘🧘🧘🧘🧘 प्रिय पाठको कन्या लग्न में जन्म लेने वाले जातक का स्वभाव प्रायः स्त्रियों जैसा होता है ।  उनमें स्त्रियोचित कोमलता सहज ही पाई जाती है ।  रचनात्मक कार्यों में उसकी प्रवृत्ति विशेष रूप से रहती है ।  कद मध्यम होता है ।  रंग गोरा होता है ।  तीखे नाक नक्श , सुंदर बनावट ,  उन्नत ललाट ,  पैनी  लंबी और काली आंखें  , तीखे उठे हुए नाक , पतले पतले होठ एवं उभरी हुई ठोड़ी इनके व्यक्तित्व में देखी जा सकती है ।  ऐसे व्यक्ति हंसमुख , चतुर और सफल मित्र सिद्ध होते हैं  । ऐसे व्यक्ति भावना प्रधान होते हैं । कठोर और कर्कश कार्यों में यह पूर्णत असफल रहते हैं ।  युद्ध आदि कार्यों  से घृणा करते हैं । ऐसे व्यक्ति सफल मनोवैज्ञानिक हो सकते हैं । मनुष्य को परखने और कुछ ही क्षणों में उसके अंदर में बैठने की इनमें गजब की शक्ति होते हैं ।  अपने सिद्धांतों को सर्वोपरि समझते हैं एवं इन सिद्धांतों के आधार पर ही दूसरों को देखने का प्रयत्न करते हैं । न्याय प्रियता में इनकी गहरी आस्था होती है ।  शांति कार्यों  में यह सफल होते हैं । ऐसे व्यक्ति डॉक्टर , नर्स  , निर

voice of saturn

🔥 Voice of Saturn I am a loner and will always be a loner. I dislike being judged for my color, for my choices, for my attitude. I do not take kindly when rules are enforced on me. I like to figure what works for me. I like to create my own rule book and choose to live by that. I believe in individual sovereignty and will fight for that.  I do not care for elitist thinking and living. I am bothered about needy, weak and sick in the society who need help and are being ignored.  Society should definitely do something to care for children and women being sidelined and do not have access to decent living standards, medical help should be affordable, needs of people below the poverty line should be addressed,  old people should have peaceful end of life experience.                           🌻🌻🌻 Saturn is like rebellious child. Saturn cares about inner Dharma, listening to conscience within, being self disciplined to do what is right by the soul...not what is acceptable for everyone.  Sa

गंगा में विसर्जित अस्थियां आखिर जाती कहां हैं ??? बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख जरूर पढ़े..!!!

गंगा में विसर्जित अस्थियां आखिर जाती कहां हैं ??? बहुत ही ज्ञानवर्धक लेख जरूर पढ़े..!!! --------हर हर गंगे!!!! पतितपावनी गंगा को देव नदी कहा जाता है क्योंकि शास्त्रों के अनुसार गंगा स्वर्ग से धरती पर आई है। मान्यता है कि गंगा श्री हरि विष्णु के चरणों से निकली है और भगवान शिव की जटाओं में आकर बसी है। .  श्री हरि और भगवान शिव से घनिष्ठ संबंध होने पर गंगा को पतित पाविनी कहा जाता है। मान्यता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पापों का नाश हो जाता है। . एक दिन देवी गंगा श्री हरि से मिलने बैकुण्ठ धाम गई और उन्हें जाकर बोली," प्रभु ! मेरे जल में स्नान करने से सभी के पाप नष्ट हो जाते हैं लेकिन मैं इतने पापों का बोझ कैसे उठाऊंगी? मेरे में जो पाप समाएंगे उन्हें कैसे समाप्त करूंगी?" .  इस पर श्री हरि बोले,"गंगा! जब साधु, संत, वैष्णव आ कर आप में स्नान करेंगे तो आप के सभी पाप घुल जाएंगे।" .  गंगा नदी इतनी पवित्र है की प्रत्येक हिंदू की अंतिम इच्छा होती है उसकी अस्थियों का विसर्जन गंगा में ही किया जाए लेकिन यह अस्थियां जाती कहां हैं? .  इसका उत्तर तो वैज्ञानिक भी नहीं दे

अशुभ योग और उपाय

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*जन्मकुंडली के अशुभ योग और उसके उपाय-* जन्मकुंडली में 2 या उससे ज्यादा ग्रहों की युति, दृष्टि, भाव आदि के मेल से योग का निर्माण होता है। ग्रहों के योगों को ज्योतिष फलादेश का आधार माना गया है। अशुभ योग के कारण व्यक्ति को जिंदगीभर दु:ख झेलना पड़ता है।  जानते हैं कि कौन-कौन से अशुभ योग होते हैं और क्या है उनका निवारण?   *1. चांडाल योग-* कुंडली के किसी भी भाव में बृहस्पति के साथ राहु या केतु का होना या दृष्टि आदि होना चांडाल योग बनाता है। इस योग का बुरा असर शिक्षा, धन और चरित्र पर होता है जातक बड़े-बुजुर्गों का निरादर करता है और उसे पेट एवं श्वास के रोग हो सकते हैं। इस योग के निवारण हेतु उत्तम चरित्र रखकर पीली वस्तुओं का दान करें माथे पर केसर, हल्दी या चंदन का तिलक लगाएं। संभव हो तो एक समय ही भोजन करें और भोजन में बेसन का उपयोग करें अन्यथश प्रति गुरुवार को कठिन व्रत रखें।   *2.अल्पायु योग-* जब जातक की कुंडली में चंद्र ग्रह पाप ग्रहों से युक्त होकर त्रिक स्थानों में बैठा हो या लग्नेश पर पाप ग्रहों की दृष्टि हो और वह शक्तिहीन हो तो अल्पायु योग का निर्माण होता है।   अल्पायु योग मे