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Showing posts from March, 2022

भारतीय ज्योतिष अनुसार पूर्व जन्म में मृत्यु के समय जो वासनायें या इच्छायें अतृप्त रह जाती है ,

भारतीय ज्योतिष अनुसार पूर्व जन्म में मृत्यु के समय जो वासनायें या इच्छायें अतृप्त रह जाती है , उन्हे पूर्ण करने के लिये फिर से जीवमात्र को जन्म लेना पड़ता है  वासनायें , इच्छायें कौनसी और किस लिये थी इसका सूक्ष्म विचार आवश्यक है ।  मनुष्य प्राणी जो भी कर्म भोगता है वे कर्म आठ प्रकार के है और इन आठ कर्मों पर अलग - अलग ग्रहो का प्रभाव है ।  ✤  पहला-  पूर्व जन्म कर्म , यह कर्म जीवात्मा को भोगना पड़ता है । इस कर्म पर शनि का प्रभाव रहता है ।  ✤ दूसरा - धराणे का कर्म , हिन्दू तत्वज्ञानानुसार यह शरीर परदादा , परदादी , माता , पिता के रक्त से बना हुआ होने से उनके कर्मों का असर अपने शरीर पर होता है । इनके खराब फल नष्ट नहीं होते , उन्हे पुत्र पोत्रादि को भुगतना पड़ता है । इसे family trait भी कहते है । इस कर्म पर राहु का प्रभाव है ।  ☛ " महाभारत शान्तिपर्व ” मे भीष्म पितामह ने युधिष्ठिर को बताया कि , जो मनुष्य पाप कर्म करके भी पाप कर्म के अनिष्ट फल भोगने का भागी नहीं होता , तो भी वे खराब फल नष्ट नहीं होते , उन खराब फलों को उसके पुत्र पोत्रादि को को भोगना पड़ते है ।  ✤ तीसरा - पिता के कर्मों क

विवाह में विलम्ब

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.                       * विवाह में विलम्ब * प्रस्तुत कुंडली एक स्त्री की है जिसकी उम्र 36 वर्ष हो चुकी है और अब तक विवाह नहीं हुआ है, तो बहुत ही संक्षेप में हम केवल विवाह में विलंब का कारण जानेंगे सप्तम भाव में शुभ ग्रह गुरु स्थित है, और किसी अन्य पापी या क्रूर ग्रह की कोई दृष्टि भी नहीं है तो साधारण रूप से देखने पर विवाह में विलंब का कोई कारण नहीं नजर आता है इसी तरह से चंद्र लग्न से हम देखते हैं तो सप्तमेश शनि है और वह चंद्र से वह नवम स्थान में स्थित है, यहां भी विलंब का कोई कारण दिखाई नहीं पड़ता है लेकिन जब जरा गहराई में जा कर देखते हैं तो विवाह में विलंब के कई कारण नजर आते हैं *  गुरु पंचमेश होने के साथ-साथ इस कुंडली का अष्टमेश भी है *  सप्तमेश शनि और अष्टमेश गुरु का स्थान परिवर्तन है *  गुरु की दोनों राशियों में चार पापी ग्रह स्थित है, धनु में सूर्य और मंगल यह दोनों क्रूर ग्रह तो हैं ही,  इनके साथ बैठा हुआ बुद्ध भी पापी बन जाता है,  *  और मीन राशि में पापी ग्रह शनि स्थित है, इन सभी ग्रहों का प्रभाव गुरु पर पड़ता है कहने का अर्थ यह है कि यहां पर गुरु शुभ ग्रह नहीं रह गय

ज्योतिष ज्ञान

1. यदि लग्न या 1 भाव में सूर्य अकेला हो तो जातक अधिकांश मामलों में जीवन में दो बार विवाह करता है।  एक शादी समाज से उपेक्षित या छिपी या भुला दी जा सकती है। 2. यदि चंद्रमा 4 वें घर में है, तो मूल निवासी अपनी मां के लिए समर्पित होगा, लेकिन लंबे समय तक चलने वाली बीमारी और दर्द के कारण मूल माता की मृत्यु हो जाएगी। 3. यदि बृहस्पति किसी जातक के 10 वें घर में है, तो व्यक्ति हर किसी को मुफ्त सलाह देगा या कॉलेज में व्याख्याता बन जाएगा। 4. यदि शनि 7 वें घर में है, तो पति-पत्नी की बातें सुननी चाहिए और पति या पत्नी की सलाह लेनी चाहिए क्योंकि पति का भाग्य मूल निवासी की सफलता के लिए महत्वपूर्ण होगा। 5. यदि शनि 7 वें घर में तुला राशि में है तो रेलवे और विमान सेवाओं में मूल निवासियों को रोजगार मिलेगा। 6. यदि उच्च का शनि 10 वें घर में है तो जातक रचनात्मक मीडिया / विज्ञापन उद्योग में या फिल्म उद्योग में लेखक / निर्देशक / कैमरामैन / साउंड तकनीशियन होगा। 7. यदि शुक्र राहु के साथ 7 वें घर में है तो मूल निवासी अलग-अलग धर्मों के साथी से विवाह कर सकते हैं। 8. यदि चंद्रमा 5 वें घर या 9 वें घर में राहु के साथ है

Paste hanuman picture in your house to see improvement in your relationship.

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People who are facing problem in their relationship  (Husband and wife ) can do this remedy.  Paste this picture in your house to see improvement in your relationship.  हनुमान जी की पत्नी के साथ दुर्लभ फोटो कहा जाता है कि हनुमान जी के उनकी पत्नी के साथ दर्शन करने के बाद घर में चल रहे पति पत्नी के बीच के सारे तनाव खत्म हो जाते हैं। आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में बना हनुमान जी का यह मंदिर काफी मायनों में खास है। यहां हनुमान जी अपने ब्रह्मचारी रूप में नहीं बल्कि गृहस्थ रूप में अपनी पत्नी सुवर्चला के साथ विराजमान है। हनुमान जी के सभी भक्त यही मानते आए हैं की वे बाल ब्रह्मचारी थे और वाल्मीकि, कम्भ, सहित किसी भी रामायण और रामचरित मानस में बालाजी के इसी रूप का वर्णन मिलता है। लेकिन पराशर संहिता में हनुमान जी के विवाह का उल्लेख है। इसका सबूत है आंध्र प्रदेश के खम्मम ज़िले में बना एक खास मंदिर जो प्रमाण है हनुमान जी की शादी का। यह मंदिर याद दिलाता है रामदूत के उस चरित्र का जब उन्हें विवाह के बंधन में बंधना पड़ा था। लेकिन इसका यह अर्थ नहीं कि भगवान हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी नहीं थे। पव

સુતારનો વડલો

સુતારનો વડલો અજય અને વિદ્યા દેશમાં આવ્યા હતા.. સરકારી કચેરીના કામ ગણતરી કરતાં વહેલા પતી ગયા.. ચાર પાંચ દિવસ ફાજલ હતા , એટલે વતનના ગામડે આંટો મારી આવવાનું વિચાર્યું.. જોકે અજયને બાપદાદનું એક મકાન અને થોડા દુરના કુટુંબીઓ સિવાય બીજું કંઈ વતનમાં હતું નહીં.. પાદરના વડલા પાસે અજયે ગાડી રોકાવી.. એ ઘેઘુર વડલાને જોતો રહ્યો..  વિદ્યાએ પુછ્યું , તો કહ્યું.. " આ વડલો વાલજી સુતારનો વડલો કહેવાય છે.. આપણા દાદાએ વાવ્યો હતો.. ગામમાં કોઈ પણ જાન આવે , ત્યારે સામૈયાની રાહ જોતી અહીં ઉતરે.. દાદા જાનને પાણી પાવા જાય.. હું પણ ગાગર લઈને સાથે જતો.. દાદા લાકડાની ઝેરણી સરસ બનાવતા.. સાસરે જતી બધી છોકરીઓને ભેટ આપતા , અને કહેતા કે.. 'દિકરી , ખાટા દહીંને આ ઝેરણીથી વલોવીએ તો મીઠું માખણ નિકળે.. એમ ઘરમાં કંઈ ખટાશ આવે તો માણસાઈથી વલોવતાં શીખજો.. મીઠાશ નિકળ્યા વગર નહીં રહે..' કોઈ મરી જાય ત્યારે નનામીને અહીં વિસામો આપે.. દાદા ફુલ ચડાવવા જાય.. મને બીક લાગતી , હું સાથે ના જતો..” બન્ને ગાડીમાંથી બહાર નિકળ્યા.. અજયે વડલા સામેનું ખખડી ગયેલું મકાન બતાવ્યું.. " આ અમારું મૂળ ઘર..” એટલામાં બાજુમાં રહેતા કુટુંબી આવ

सत्ताईस नक्षत्रों के वृक्ष

सत्ताईस नक्षत्रों के वृक्ष 〰️〰️🌼〰️🌼〰️〰️ ज्योतिष के अनुसार 9 ग्रहों का प्रभाव मानव ,जीवो, पेड़ पोधो, सब पर पड़ता है। हर ग्रह का एक नक्षत्र होता है। परन्तु हर नक्षत्र का एक वृक्ष होता है । नक्षत्रो के माध्यम से भी ग्रहों के कुप्रभाव को सही किया जासकता है। कोई भी व्यक्ति अपने नक्षत्र के अनुसार वृक्ष की पूजा करके अपनें नक्षत्र को ठीक कर सकता है। यदि जन्म नक्षत्र अथवा गोचर के समय कोई नक्षत्र पीड़ित चल रहा हो तब उस नक्षत्र से संबंधित वृक्ष की पूजा करने से पीड़ा से राहत मिलती है। नक्षत्रों से संबंधित वृक्ष 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ 1👉 अश्विनी नक्षत्र का वृक्ष :– केला, आक, धतूरा । 2👉 भरणी नक्षत्र का वृक्ष :–केला, आंवला। 3👉 कृत्तिका नक्षत्र का वृक्ष :– गूलर । 4👉 रोहिणी नक्षत्र का वृक्ष :– जामुन । 5👉 मृगशिरा नक्षत्र का वृक्ष :– खैर। 6👉 आर्द्रा नक्षत्र का वृक्ष :– आम, बेल । 7👉 पुनर्वसु नक्षत्र का वृक्ष:– बांस । 8👉 पुष्य नक्षत्र का वृक्ष :– पीपल । 9👉 आश्लेषा नक्षत्र का वृक्ष :– नाग केसर और चंदन। 10👉 मघा नक्षत्र का वृक्ष :– बड़। 11👉 पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र का वृक्ष :- ढाक। 12👉 उत्तराफाल्गुनी नक्षत्

आयुर्वेदिक दोहे

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गुरु के ऊपर से राहु केतु का गोचर -- एक समीक्षा

गुरु के ऊपर से राहु केतु का गोचर -- एक समीक्षा (12 अप्रैल को राहु मेष राशि में आता है केतु तुला राशि में आता है और 13 अप्रैल को गुरु मीन राशि में प्रवेश करता है -- तो जिन लोगों का गुरु मेष या तुला राशि में है या तो राहु मीन राशि में है उन लोगों के लिए विशेष लेख )    आज हम राहु का गोचर जन्म के गुरु पर से जब होता है तब क्या होता है इसके बारेमें विशेष चर्चा करेंगे । जन्मके गुरुके ऊपर राहुका गोचर और जन्मके राहुके ऊपर गुरुका गोचर बहुत ही खराब जाता है । यहां राहु का मतलब राहु केतु के गोचर से है ।  राहु और गुरु एक दूसरे के कट्टर शत्रु है और जब गुरुके ऊपर से राहु पसार होता है तो गुरुका जो जो कारकत्व होता है उसको राहु रोक देता है । न्यूनता पैदा करता है और उसमें बाधाएं पैदा करता है । वैसे ही जन्मके राहुके ऊपर  जब गुरु गुजरता है तो गुरु कोई अच्छा फल नहीं दे पाता । गुरुकी पॉजिटिव  एनर्जी राहु रोक देता है ।   सबसे पहले हम गुरु का क्या  कारकत्व है उसके बारे में चर्चा करेंगे । गुरु 2 5 9 और 11वे स्थान का कारक है । उसके सिवा स्त्री की कुंडली में गुरु पतिका कारक है और पुरुषकी कुंडली में गुरु पुत्र का क

शनि मंगल युति को विस्फोटक योग & द्वंद्व योग , संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है ।

 शनि मंगल युति को विस्फोटक योग & द्वंद्व योग , संघर्ष योग के नाम से जाना जाता है । 🕉️🕉️🕉️🕉️🕉️ वैदिक ज्योतिष में शनि और मंगल को एक-दूसरे के शत्रु ग्रह माना गया  हैं। जिस जातक की कुंडली में ये दोनों ग्रह एक ही भाव में होते हैं या एक दूसरे से सप्तम भाव में होते है  उन्हें अपने जीवन में अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है तो दूसरी तरह ये जातक को अच्छा योद्धा , बनने अच्छा तकनीकी ज्ञान देने , कर्मठ बनने में सहायक है ऐसा जातक हार में हर ना मनने की  संकल्प शक्ति होती है  यही युति अच्छी शिक्षा के माध्यम से जातक को डॉक्टर इंजिनियर बनने में सहायक  है मैकेनिकल और निर्माण संबंधी योग्यता देने में सहायक  है । ( हेमन्त थरेजा )  इस युति को द्वंद्व योग संघर्ष योग के नाम से भी जाना जाता है। द्वंद्व का अर्थ है लड़ाई , शनि मंगल का योग कुंडली में करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है अब ये संघर्ष घर में होगा युद्ध के मैदान पर या ऑफिस & कारखाने में होगा ये कुण्डली में मंगल शनि किस भाव में इस पर निर्भर और कुण्डली में अन्य योग पर निर्भर है 💥शनि मंगल युति शुभ रिजल्ट 👇👇 ✍️मंगल शनि की युति शुभ हो

धन भाव और पंचम भाव में क्या राहु

 प्रश्न -  धन भाव और पंचम भाव में क्या राहु धन और संतान संबधित पीड़ा देता है क्या बुद्धि को हर लेते है  ✍️ उत्तर - सबसे पहले समझते है 2nd  🏠 हाउस 5 th 🏠 हाउस क्या है और इनसे क्या देखते है  2nd 🏠  भाव= नकद पैसा बैंक बेलेंस , भोजन वाणी , कुटुंब है   5 th 🏠भाव पूर्व जन्म के कर्म , बुद्धि , संतान , लव अफेयर है आपका मनोरंजन है । 🔱 ज्योतिष में कुछ लोगो को भ्रम है कि धन भाव में राहु धन का नुकसान ही देगा जातक मास मदिरा का प्रयोग करेगा और जूठ बोलेगा इसके साथ है पंचम भाव के राहु को लेकर भ्रम है कि ये बुद्धि खराब कर देगा संतान प्राप्ति में परेशानी और संतान को पीड़ा देगा , शिक्षा में रुकावट और लव अफेयर देगा ये ठीक नहीं है ऐसा हमेशा हो ये कहना ग़लत होगा । ✍️ अगर दूसरे घर में राहु हो और राहु पर किसी ग्रह की दृष्टि ना हो , राहु अकेला हो  घर का स्वामी नवम एकादश या पंचम भाव में हो तो ये राहु अपार धन दौलत देगा ✴️✴️ दूसरे भाव के राहु पर कारक बली गुरु की दृष्टि हो और चन्द्र पीड़ित ना हो तो जातक सात्विक होगा । ✍️ पंचम भाव में राहु हो तो पंचम भाव के स्वामी की तरह फल देने में सक्षम होगा शर्त राहु पर किस

गुरु शुक्र युति

गुरु शुक्र युति बृहस्पति शुक्र दोनों ही गुरु है बृहस्पति देव गुरु है तो शुक्र दैत्य गुरु।बृहस्पति शुक्र में कई असमानताएं है तो कई समानताएं भी है।बृहस्पति पुरुष ग्रह है तो शुक्र स्त्री ग्रह है।बृहस्पति विष्णु भगवान का स्वरुप तो शुक्र भगवती लक्ष्मी का स्वरुप है कह सकते है।जिन जातको की कुंडली में बृहस्पति शुक्र का सम्बन्ध होता है ऐसे व्यक्तियो के अंदर गजब की चुम्बकीये शक्ति होती है विपरीत लिंग के व्यक्ति इन जातको की और बहुत जल्द आकर्षित हो जाते है। लोग इन जातको के पीछे स्वतः ही खीचे आते है।बृहस्पति नैसर्गिक रूप एक बहुत शुभ और शक्तिशाली ग्रह है तो शुक्र भी नैसर्गिक रूप से अत्यंत शुभ ग्रह है।बृहस्पति शुक्र की बलवान युति या दृष्टि सम्बन्ध होने से बृहस्पति शुक्र का मूल्य बहुत अधिक बड़ा देता है।शुक्र सांसारिक सुख सुविधा, भोग विलास, संसार का कारक है तो बृहस्पति पारलौकिक और सांसारिक दोनों के सुख देने में सक्षम है।बृहस्पति शुक्र के सम्बन्ध से जातक भोगी और आध्यात्मिक दोनों बन जाता है ऐसे जातक में भौतिक इच्छाओ की कामना भी अधिक होती है तो आध्यामिक भी बहुत होते है।बृहस्पति शुक्र के सम्बन्ध में शुक्र स

मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित) एवं शनि मंत्र

मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित) भगवान शिव की कृपा प्राप्त करने के लिए मृत्युंजय मंत्र का पाठ किया जाता है. कुछ लोग इसे महामृत्युंजय मंत्र भी कहते है. पर यह गलत है. मृत्युंजय मंत्र, महामृत्युंजय मंत्र का भाग है. यह भगवान शिव की कृपा पाने का सबसे प्रभावशाली मंत्र है. मृत्युंजय मंत्र की रचना महर्षि मार्कण्डेय ने की थी. आईए आपको इस मंत्र की संपूर्ण जानकारी देते है. मृत्युंजय मंत्र (अर्थ सहित) ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टि: वर्धनम् । उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात् ।। अर्थ त्रि– तीन, अंबकं– आँखें, यज– पूजा, महे– श्रेष्ठ, सुगन्धिं– सुगंध फैलाना, पुष्टि– ताकत, वर्धनम्– बढ़ाने वाला, उर्वारुकमिव– तरबूज पक जाने के बाद, बन्धन– बंधन, मृत्यु– मौत, र्मुक्षीय– मोक्ष को, मा– नहीं, अमृतात्– अमर अर्थात्: हे तीन नेत्रों वाले (शिव) आप पूजा में श्रेष्ठ है. आप जीवन को सुगंधित करने वाले और ताकत बढ़ाने वाले है. जिस प्रकार तरबूज या ककड़ी पकने के बाद प्राकृतिक रूप से बंधन से मुक्त हो जाते है, उसी प्रकार हम भी अपने जीवनकाल को पूरा करके प्राकृतिक रूप से मृत्यु को प्राप्त हो. हम अमर होना नहीं चाहते

राम मंत्र (अर्थ सहित

राम मंत्र (अर्थ सहित) प्रभु श्री राम के लिए अनेकों मंत्रों की रचना की गई है. रामचरितमानस प्रभु श्री राम के अलौकिक चरित्र के गुणगान के लिए लिखा गया है. इस लेख में हम आपको प्रभु श्री राम के सबसे प्रसिद्ध और शक्तिशाली मंत्र के अलावा उनकी स्तुति में रचे गए अन्य मंत्रों के बारे में भी जानकारी देंगें. राम मंत्र (पूर्ण व्याख्या) के साथ👇 अनेकों राम मंत्रों में से हम आपको सबसे शक्तिशाली और महत्वपूर्ण मंत्रों की जानकारी देंगे. आईए अब आपका ज्यादा समय ना लेते हुए राम मंत्र की जानकारी देते है. पहला मंत्र राम जी हां! प्रभु राम का पहला मंत्र जिसे महामंत्र भी कहा जाता है वह स्वयं भगवान का नाम है. यह Ram Mantra (राम मंत्र) मुक्ति और मोक्ष पाने का अचूक बाण है. सेहत और शक्ति पाने का सर्वश्रेष्ठ मंत्र है यह राम मंत्र. सुबह शाम 108 बार इस मंत्र का जाप करने से जीवन में आश्चर्यजनक सकारात्मक परिवर्तन होते है. राम का नाम केवल दो अक्षरों का मेल नहीं बल्कि इन दो अक्षरों में पूरा ब्रह्माण्ड समाया हुआ है. इस मंत्र में इतनी शक्ति और ऊर्जा है कि अभाग्यशाली व्यक्ति के जीवन में सौभाग्य का आगमन करा सकता है. दूसरा मंत्

सूर्य नमस्कार मंत्र (पूर्ण व्याख्या सहित)

सूर्य नमस्कार मंत्र (पूर्ण व्याख्या सहित) सूर्य नमस्कार के अभ्यास में 12 आसन होते है जिन्हें दो चक्रों में किया जाता है. पहले चक्र में बायां पैर आगे और दायां पैर पीछे होता है जबकि दूसरे चक्र में दायां पैर आगे और बायां पैर पीछे की तरफ होता है. इन दो चक्रों के हर एक आसन के लिए अलग अलग सूर्य नमस्कार मंत्र (Surya Namaskar Mantra) होते है, जिनका उच्चारण आसन के साथ करना चाहिए. दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सूर्य नमस्कार मंत्र केवल 1 मंत्र ना होकर 12 मंत्रों का समूह है. आईए आपको उन 12 सूर्य नमस्कार मंत्रों की अर्थ सहित जानकारी देते है. पहला मंत्र: ॐ मित्राय नमः। अर्थ: मित्र को प्रणाम. दूसरा मंत्र: ॐ रवये नमः। अर्थ: प्रकाशवान (अर्थात् सूर्य) को प्रणाम. तीसरा मंत्र: ॐ सूर्याय नमः। अर्थ: क्रियाओं के प्रेरक को प्रणाम. चौथा मंत्र: ॐ भानवे नमः। अर्थ: प्रदिप्तवान को प्रणाम. पांचवा मंत्र: ॐ खगाय नमः। अर्थ: आकाश में विचरण करने वाले को प्रणाम. छठा मंत्र: ॐ पूष्णे नमः। अर्थ: पोषण करने वाले को प्रणाम. सातवां मंत्र: ॐ हिरण्यगर्भाय नमः। अर्थ: जिसमें सब कुछ समाहित है उसको प्रणाम. आठवां मंत्र: ॐ मरीचये नमः। अर

remedies from Agni Purana.

Agni Purana is one of the 18 major Puranas containing 15000 verses. It was recited by Lord Agni to Sage Vasishta, and later Sage Vasishta narrated it to Vyasa. Here are some remedies from Agni Purana.  1. One who eats only the night on a Sunday occurring in the asterism of Hasta for a year would get everything that one desires. 2. One who undertakes to do the vow of eating only in the night on Mondays occurring in the asterism of Chitra seven times would get the gift of happiness. 3. One who undertakes to do the vow of eating only in the night on a Tuesday occurring in the asterism of Swati seven times would be free from all difficulties. 4. One who takes the vow of eating only in the night on Wednesday occurring in the asterism of Vishakha seven times would get rid of afflictions due to planets.  5. One who eats only in the night on Thursdays in the asterism of Anuradha  seven times would destroy all afflictions due to planets.  6. One who eats only in the night on Fridays in the aste

जन्म समय व दिवालोक बचत समय-

जन्म समय व दिवालोक बचत समय-  वर्तमान मे जन्म समय यांत्रिक / विद्युतीय घडियों को देखकर नोट किया जाता है । इनमे सामान्य तौर पर 12 से 1 , 2 , 3 , 4 , 5 , 6 , 7 , 8 , 9 , 10 , 11 तक अंक अंकित रहते है । 12 घण्टे दर्शाने वाली घडी 16 वी शताब्दी से प्रचलन मे आई । इस प्रकार तारीख के 24 घण्टे दो भागो में विभक्त रहते है । मध्य रात्रि 12 पश्चात गणना 1 से प्रारम्भ होकर दोपहर 12 पश्चात व पुनः 1 से प्रारम्भ होकर रात्रि 12 तक गणना होती है । इस दुविधा को हटाने के लिये पूर्वान्ह ( a.m. or A. M. latin ante meridien ) और अपरान्ह ( p.m. or P.M. latin : post meridian ) नोट करना आवश्यक है । यदि ऐसा नही करते है तो दोपहर 12 पश्चात 13 से लगाकर 24 तक घण्टा मिनट नोट करे , इस प्रकार मध्यरात्रि दिन का प्रारम्भ के लिये 00 , दोपहर के लिये 12 और मध्यरात्रि दिन की समाप्ति के लिये 24 लिखते है । 𝐴𝑠𝑡𝑟𝑜 𝐶𝑎𝑓𝑒 वर्तमान में घडी से प्राप्त समय भारतीय प्रमाणिक समय है । जिसे इन्डियन स्टण्डर्ड टाईम IST कहते है । यह 1 जुलाई 1905 को भारत में लागू किया गया । समस्त शासकीय कार्यों में यह एक सितम्बर 1947 से अनिवार्य किया गया ।

Physical reality is recreated every 10 raised

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Physical reality is recreated every 10 raised to the power of minus 17 per second. It is a very small interval of time, and it has been given to us to begin to create at that speed according to the norm of the creator for the harmonic development. 10 raised to the power of minus 17 is not a sequence, but a power is, therefore not used as a sequence. It is useful in those moments where some event provokes a negative feeling. By putting this power in the feeling this is neutralized. It is used whenever there is a negative situation. This power acts both in the past and in the present, it serves to clear memories, beliefs, paradigms, thoughts, words, actions, etc. of negative connotation. This power transcends the cloud of negativity created by the destructive thoughts of the collective consciousness and that is interposed between the human being and the creator, in this way we are heard and our problem is solved quickly. It is very useful when we get thoughts and feelings of doubt or whe

𝗡𝗼𝗿𝘁𝗵 𝗡𝗼𝗱𝗲 (𝗥𝗮𝗵𝘂) 𝗶𝗻 𝟳𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 & 𝗦𝗼𝘂𝘁𝗵 𝗡𝗼𝗱𝗲 (𝗞𝗲𝘁𝘂) 𝗶𝗻 𝟭𝘀𝘁 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲

𝗡𝗼𝗿𝘁𝗵 𝗡𝗼𝗱𝗲 (𝗥𝗮𝗵𝘂) 𝗶𝗻 𝟳𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 & 𝗦𝗼𝘂𝘁𝗵 𝗡𝗼𝗱𝗲 (𝗞𝗲𝘁𝘂) 𝗶𝗻 𝟭𝘀𝘁 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 Dear ardent readers care should be taken not to apply these writings verbatim on any chart, as there are many other factors, combinations, aspects etc which need to be studied always before coming to any conclusion. At some places masculine gender has been used only for ease of writing. The Rahu in this house is good for marriage, which it causes to be contracted on a lofty, sentimental and secure basis, provided Venus and the Moon are well-situated in the horoscope. It is also very powerful in regard to partnerships and contracts, which it helps to make successful. It is also in this House that it is most favourably situated for lawsuits, which will be won through its support, thus bringing unexpected gains. It is also a token of inheritance from grandparents, or an increase of wealth for the latter, by which the native will benefit. The Ketu in the first house has a detri

सफल विवाह ।।

सफल विवाह ।। वैवाहिक जीवन अच्छा रहेगा 1)सप्तम शुभ हो=                                33% 2) सप्तमेश शुभ हो=                            33% 3)कारक(शुक्र)शुभ हो=                    +  33%                                                       ________                                                           99% 👍सप्तम भाव   =  सप्तम भाव मे शुभ राशि हो ।  👍सप्तमेश सप्तमेश = सप्तमेश सप्तम में हो या सप्तम भाव को देख रहा हो । 👍सप्तम व सप्तमेश शुभ कर्तरी में हो । 👍सप्तम में शुभ ग्रह स्थित हो । 👍सप्तमेश केंद्र त्रिकोण में हो और शुभ ग्रहों से युति कर रहा हो । 👍सप्तमेश के कारक( शुक्र) शुभ स्थिति में हो अथवा केंद्र त्रिकोण में हो। 👍 सप्तम के कारण शुक्र शुभ ग्रहों से युति दृष्टि अथवा शुभ कर्तरी में हो । 👍सप्तम में उच्च के ग्रह स्थित हो । 👍सप्तम में शनि ,सूर्य ,राहु ,केतु ,मंगल व पापी गुरु ने  ना   स्थित हो ।

Ketu and Marriage

Ketu and Marriage  The 7th house is considered the house of marriage and partnerships, the position of planets in the 7th house in Kundli governs attraction for the opposite sex, desire to have a partner, sexual fantasies, commitment, passion and possessiveness. The placement of Ketu destroys a marriage it’s a question that comes to mind, it may or may not destroy marriage. Ketu in the 7th house is an affliction and will do something unexpected or undesirable. Here we need to understand the word undesirable, as each one of us has different desires, so the conditions appearing in marital bliss may appear to be normal outside, but is quite undesirable for one of the partners. Ketu gives many kinds of undesirability, on the good side it may give you a spouse who is overly dedicated to you, some people find it quite suffocating when one's spouse keeps on nagging about your well being, health, your matters at office, about your behaviour with others etc. It may also mean more than neces

shani

भाग -१  शनि (Saturn), सूर्य से छठां ग्रह है तथा बृहस्पति के बाद सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह हैं। औसत व्यास में पृथ्वी से नौ गुना बड़ा शनि एक गैस दानव है। जबकि इसका औसत घनत्व पृथ्वी का एक आठवां है, अपने बड़े आयतन के साथ यह पृथ्वी से 95 गुने से भी थोड़ा बड़ा है।यह ग्रह धीमी गति का ग्रह है । यह सूर्यमाला का सबसे पीछे का ग्रह होने से उसे सूर्य के चारों ओर घूमने में लम्बी यात्रा करनी पड़ती है ।  परिक्रमण काल - 10759.22 दिन (29.4571 वर्ष)  यह ग्रह ठण्डा है । यह सूर्य पुत्र है , परन्तु यह सूर्य का शत्रु है । यह ग्रह ग्यारहवें भाव में सबसे शुभ माना जाता है । इस भाव में जातक की इच्छापूर्ति होती है । यह चन्द्र का भी दुश्मन है । शनि की मकर और कुम्भ राशि है । यह मेष राशि में नीच का और तुला राशि में उच्च का होता है । यह रूखी राशि है । यह ग्रह सख्त मेहनत का , नर्वस सिस्टम का ग्रह है । मूल त्रिकोण राशि कुम्भ है । यह बुध और शुक्र का मित्र ग्रह है । शनि के पुष्य , अनुराधा और उत्तर भाद्रपद नक्षत्र हैं । यह ग्रह देरी करवाता है और काम होने , न होने पर भी जोर देता है । यह ग्रह उदासी , असामंजस्यता , झगड़ा , ब

कमजोर शुक्र ग्रह के संकेत ...

कमजोर शुक्र ग्रह के संकेत ... 1.कमजोर शुक्र अनुशाशन में बाधा डालता है।उनका सामान जल्दी पुराना हो जाता है। 2.शरीर में रसायन की कमी रहती है।रसायन शास्त्र को समझने में दिक्कत होती है। 3.जीभ पर सफेदी लगी होती है।कंप्यूटर और फिल्म में ज़्यादा समय देते हैं। 4.घर आने के बाद अपने कपड़े और जूते को फेक कर रखते हैं। 5.घर की दक्षिण-पूर्व दिशा के दूषित होने से भी शुक्र ग्रह खराब फल देने लगता है। 6.किसी भी कारण से दांत खराब होने से शुक्र अपना अच्छा प्रभाव देना छोड़ देता है। 7.अनैतिक या पराई स्त्री से यौन संबंध बनाने से भी शुक्र बुरे प्रभाव शुरू कर देता है।विपरीत लिंग के पीछे ज़्यादा आकर्षण होता है। 8.कुंडली में शुक्र के साथ राहु का होना अर्थात स्त्री तथा दौलत का असर खत्म।ज्योतिष और आयुर्वेद ग्रुप 9334913911 9.यदि शनि कमजोर अर्थात नीच का हो तब भी शुक्र का बुरा असर होता है। 10.पत्नी या पति से अनावश्यक कलह होना शुक्र के खराब होने की निशानी है। 11.शारीरिक रूप से गंदे बने रहना, गंदे-फटे कपड़े पहनने से भी शुक्र कमजोर हो जाता है। 12.घर की साफ-सफाई को महत्व न देने से भी शुक्र खराब हो जाता है। 13.घर का बेडरूम औ

1 and 4

🟠 If your Birth Number is in 1 series(1,10,19,28) of any month then you are ruled by Planet Sun🌞 as Birth Number. 🔵 If your Destiny Number is in 4 series(4,13,22) of any month, then you come under the influence of Rahu👹. 👉Effect of 1 and 4 Combinations : ____________________________________ 1 and 4 are one of the good combination in Numerology 🔠🔢. ✅ In Numerology, there is a natural & irresistible attraction between 4 and 1. No. 4 stands for Rahu(shadow) which gives the mastery over multiple fields. No. 1 stands for Sun(1) which gives outstanding success .  ✅ 4 & 1 are very much compatible with each other, as they both are extremely ,FOCUSSED, DETERMINED,AMBITIOUS & have strong WILL POWER, that proves a  strong bonding /tunning with each other.  ✅ If we closely look at the image of '4' also, that there is '1'(vertical line/sun) hidden in 4. 4 is made with the support of 1. It is such that 1(sun) is light for the 4(Rahu) & works as a supporting ele

हर्षल

हर्षल : हर्षल को युरेनस तथा भारतीय ज्योतिष मे इन्द्र या प्रजापति कहते है । इसकी खोज हर्षल नामक संगीतज्ञ ने १३ मार्च १७८१ मे की थी । खगोलविद् “ रायल जान फेल्मस्टीड " ने इसे १६६० और १७१५ मे देखा था । यह सूर्य से १७८२ करोड मील दूर है , यह पृथ्वी से ६४ गुणा बडा है । इसकी परिधि लगभग ३२०० मील है । सम्पूर्ण राशि चक्र का परिभ्रमण ८४ वर्ष मे करता है । एक राशि मे लगभग ७ वर्ष तक रहता है । इसके गुणधर्म शनि के समान है तथा वक्री मार्गी होता है । विभिन्न प्रकार के रंगो का तथा ४ अंक का अधिष्ठाता है ।  १- यह केन्द्रीय स्नायु तन्त्र का अधिपति है ।  २- यह अकस्मात हृदयाधात से मृत्यु का कारक है ।  ☛ इन्हीं दो कारणों से इसे कुम्भ राशि का स्वामी माना जाता है ।  ☛ वृश्चिक उच्च , वृष नीच तथा मिथुन , तुला बलवान् राशि मानी जाती है ।  ☛ लग्न , तृतीय , पंचम , सप्तम , नवम , दशम स्थानो मे शुभ फल देता है । ☛ मेष , सिंह , धनु राशि में स्थित होने पर जातक को महत्वाकांक्षी , साहसी , धीर बना देता है ।  ☛यह तूफान , भूकम्प , विस्फोट , जहाजो का डूबना , रेडियो , दूरदर्शन , कल - कारखानो से सम्बन्धित व्यक्ति , स्वाभाविक रा

𝗥𝗮𝗵𝘂 (𝗡𝗡) 𝗶𝗻 𝟭𝟭𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 𝗮𝗻𝗱 𝗞𝗲𝘁𝘂 (𝗦𝗡) 𝗶𝗻 𝟱𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲

𝗥𝗮𝗵𝘂 (𝗡𝗡) 𝗶𝗻 𝟭𝟭𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 𝗮𝗻𝗱 𝗞𝗲𝘁𝘂 (𝗦𝗡) 𝗶𝗻 𝟱𝘁𝗵 𝗛𝗼𝘂𝘀𝗲 Rahu in the 11th house often signifies that the person has considerable friendships. Friends are his major assets through which he achieves a lot of things in life. Problems and difficulties usually stem out of romances, and quite often formation of a successful relationship is very difficult. Their next difficulty is with regard to children. Either having a child is a problem, or dealing with children may be one. In their recent past life, their attitudes and dealing with children could be so uncommon that they have to suffer in this life. Often these people carry out their major hopes and dreams in life like clockwork, and their surrounding influences help them in all respects to do so. Their love received by others is much better than they can give back to others. This imbalance in love exchanges causes problems or tensions in relationships. Here the individual comes into the current life remember