Posts

Showing posts from June, 2023

डाइवोर्स से बचने के उपाय और खास प्रयोग ...

डाइवोर्स से बचने के उपाय और खास प्रयोग ...   वैसे तो  पति पत्नी का रिश्ता  प्रेम से भरा हुआ होता है  और जीवनभर  आपस में प्रेम दिखता रहता है  पर कभी-कभी किन्हीं कारणों से ग्रह कलेश  घर में लड़ाईया और दांपत्य जीवन में तनाव  अत्यंत बढ़ जाता है  जिस कारण  यह कलह तलाक तक पहुंच जाती है .  और  एक पवित्र रिश्ता  टूटने तक की स्थिति में आ जाता है  अपने तलाक को बचाने के लिए  महिलाएं  एवं पुरुष  कई उपाय करते हैं  और फिर से प्रेम स्थापित करने के लिए  कई  टोटके  अपनाते हैं  जिनके उपयोग से  घर में शांति पुनः स्थापित हो जाती है | तलाक होने के योग- दंपति जीवन में कभी-कभी गृह कलह कुंडली के गुणों के कारण भी प्रारंभ हो जाते हैं और बात तलाक तक आ जाती है इससे बचने के लिए शादी से पूर्व लड़की और लड़के के गुण को अवश्य मिला लेना चाहिए । १- यदि कुंडली में  गुरु में शुक्र की दशा चल रही हो  यह शुक्र में गुरु की दशा चल रही हो तो परस्पर  कलह  होना तय है  और इस लड़ाई का अंत  तलाक तक पहुंच सकता है। २- पति या पत्नी के अष्टम भाव में या सप्तम भाव में किसी पापी ग्रह का  होना भी ग्रह क्लेश का कारण होता है पापी ग्रह जैसे  रा

अष्टमेश द्वितीय भाव में ।

अष्टमेश द्वितीय भाव में । अष्टमेश द्वितीय भाव में है तो यह निर्भर करता है की अष्टमेश लग्न कुंडली में शुभ कारक है या अशुभ कारक । शुभ कारक होकर शुभ स्थिति में होगा तो फल भी शुभ मिलेंगे । अगर अशुभ कारक होकर अशुभ स्थिति में होगा तो फल भी अशुभ रहेंगे । यह सभी चीजें कुंडली की गहन जांच के बाद समझी जा सकती हैं। द्वितीय भाव धन से संबंधित होता है।  अष्टम भाव हानि या नाश से संबंधित होता है।  सामान्य परिस्थिति में अष्टम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में धन के लिए उत्तम नहीं है।  फाइनेंशियल क्राइसिस से परेशान रह सकता है।  धन हानि की भी संभावना होती है।  अपने धन या संपत्ति से उचित लाभ नहीं कमा पाता है। शत्रुओं या छुपे हुए शत्रु के कारण परेशानियों का सामना करता है।  चोरों के द्वारा भी हानि की संभावना  है।  अपने पारिवारिक धन को भी प्राप्त करने में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है।  यदि अष्टम भाव का स्वामी द्वितीय भाव में शुभ स्थिति में हो तब छुपे हुए स्त्रोतों से धन लाभ होने की संभावना  है।  अचानक से भी धन लाभ हो सकता है।  अनैतिक या गैरकानूनी कार्यो से भी धन अर्जित कर सकता है।

भडली नवमी 27 जून विशेष〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️

भडली नवमी 27 जून विशेष 〰️〰️🌼〰️🌼〰️🌼〰️〰️ हिंदू धर्म हमेशा से ही त्यौहारों, व्रत और विभिन्न प्रकार के पर्वों के लिये जाना जाता है। एक ऐसी ही महत्वपूर्ण तिथि को भडली नवमी के नाम से जाना जाता है। इस तिथि को आमतौर पर हिंदू समुदाय में विवाह के लिये शुभ दिनों के अंतिम दिन को माना जाता है। क्या है भडली नवमी 〰️〰️〰️〰️〰️〰️ आषाढ़ शुक्ल नवमी तिथि भडली नवमी जिसे आम बोलचाल की भाषा में भडल्या नवमी के नाम से जाना जाता हैं। सरल शब्दों में कहे तो इस दिन के बाद भगवान निंद्रा की अवस्था में चले जाते हैं। भडली नवमी भगवान विष्णु जी के निंद्रा की अवस्था ग्रहण करने से पहले का दिन मानी जाती है। और फिर इसके बाद विवाह की तिथि नहीं रखी जाती हैं क्योंकि भगवान का आशीर्वाद नहीं मिल पाता है। और इसलिए सभी भक्त इस विशेष दिन को बहुत ही अनोखे तरीके से मनाते है और ईश्वर का आशीर्वीद लेते है। भडली नवमी को अन्य नामों से भी जाना जाता है जैसे आश्रम शुक्ल पक्ष, भटली नवमी, कंदर्प नवमी, भदरिया नवमी एवं बदरिया नवमी नामो से भी जाना जाता है।। भडली नवमी को आषाढ महीने के दौरान मानाया जाता है।  यह त्योहार भगवान विष्णु से सीधे तौर पर जुड

एक।पिता कहानी

*एक पिता ने अपने गुस्सैल बेटे से तंग आकर उसे कीलों से भरा एक थैला देते हुए कहा ,"तुम्हें जितनी बार क्रोध आए तुम थैले से एक कील निकाल कर बाड़े में ठोंक देना !"* बेटे को अगले दिन जैसे ही क्रोध आया उसने एक कील बाड़े की दीवार पर ठोंक दी। यह प्रक्रिया वह लगातार करता रहा। धीरे धीरे उसकी समझ में आने लगा कि कील ठोंकने की व्यर्थ मेहनत करने से अच्छा तो अपने क्रोध पर नियंत्रण करना है और क्रमशः कील ठोंकने की उसकी संख्या कम होती गई। एक दिन ऐसा भी आया कि बेटे ने दिन में एक भी कील नहीं ठोंकी। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पिता को बताई। वे बहुत प्रसन्न हुए और कहा, "जिस दिन तुम्हें लगे कि तुम एक बार भी क्रोधित नहीं हुए, ठोंकी हुई कीलों में से एक कील निकाल लेना।" बेटा ऐसा ही करने लगा। एक दिन ऐसा भी आया कि बाड़े में एक भी कील नहीं बची। उसने खुशी खुशी यह बात अपने पिता को बताई। *पिता उस लड़के को बाड़े* *में लेकर गए और कीलों के छेद* *दिखाते हुए पूछा, "क्या तुम ये छेद भर सकते हो?"* बेटे ने कहा,"नहीं पिताजी!" पिता ने उसके कन्धे पर हाथ रखते हुए कहा,"अब समझे बेटा, क्रोध में

कुबेराक्षी सिद्ध पौधा घर

पौधा एक लाभ अनेक   ||वास्तु निवारण||    कुबेराक्षी सिद्ध पौधा घर एवं व्यापार स्थल के वास्तु दोषो को प्रभावहीन कर भारी भरकम खर्चो के निवारण में सहायक है।   ||व्यापार वृद्धी||   कुबेराक्षी पौधा लगे होने पर व्यापारिक अवसरों एवं सकल धन में प्रत्याशित लाभ देखा जाता  है।    ||धन समृद्धि ||   धन से संबंधी बाधायें दूर होकर धन के नए मार्ग प्रशश्त होते है एवं लक्ष्मी स्थाई रूप से निवास करती है।   ||सकारात्मक ऊर्जा||   ये पौधा कुबेर का प्रतिक है। जो की नकारात्मक उर्जाओ को दूर कर सकारात्मक उर्जाओ के प्रवाह को बढ़ाने में सहायक है। जिसके अनगिनत लाभ है।   ||गृह शांति||   सकारात्मक उर्जाओ का प्रवाह गृह कलेश, आपसी मनमुटाव एवं व्यर्थ तनाव को दूर करता है। इसके अलावा उच्च कार्य दक्षता प्रदान करता है।

No_Marriage_In_Kundali------------------------------------------

#No_Marriage_In_Kundali ------------------------------------------ 1. If Venus and Mercury join the 7th house being afflicted by other planets. Neither conjoined with nor aspected by any other benefic planet. they may deprive a native of marriage.  2. If Rahu is in 7th house and is either aspected by or conjoined with at least two malefic planets, one may not marry.  3. If the 7th house is in a sign owned by a malefic planet and if a malefic planet aspects or joins the same one, the native may be deprived of marriage. But if any benefic planet joins or aspects the same, the result may vary.  4. If the 7th house is a house owned by a malefic and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, one may be deprived of marriage.  5. If the 12th house is a house owned by a malefic planet and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, the result is likely to be similar.  6. If heavily afflicted Rahu joins the 9th house, the result may be the same.  7. When afflicted

लक्ष्मी

इन उपायों से मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न, देंगी अपार धन प्राप्ति का वरदान... क्या आप जानते हैं वे कारण जिनसे मां लक्ष्मी सदा प्रसन्न रहती है। जो भक्त देवी लक्ष्मी की पूजा तन,मन से करते है उन पर मां की कृपा हमेशा बनी रहती है। गृहलक्ष्मी देवी घर की गृहिणियों (स्‍त्रियों) में लज्जा, क्षमा, शील, स्नेह और ममता के रूप में विराजमान रहती हैं। ये मकान में प्रेम तथा जीवंतता का संचार कर उसे घर बनाती हैं और इनकी अनुपस्थिति में घर कलह, झगड़ों, निराशा आदि से भर जाता है। गृहस्वामिनी को गृहलक्ष्मी का प्रतीक माना जाता है। जहां गृहस्वामिनी का सम्मान नहीं होता है, गृह लक्ष्मी उस घर को त्याग देती है। मां लक्ष्मी होंगी प्रसन्न- शुक्रवार के दिन सुबह उठ कर स्नान आदि से निवृत होकर मां लक्ष्मी को नमन करें, सफेद वस्त्र धारण करें और मां लक्ष्मी के श्री स्वरूप के सामने खड़े होकर श्री सूक्त का पाठ कर कमल का फूल चढ़ाएं। अगर पति-पत्नी में तनाव रहता है तो शुक्रवार के दिन अपने शयनकक्ष में प्रेमी पक्षी जोड़े की तस्वीर लगाएं। अगर आपके काम में अवरोध आ रहा है, तो शुक्रवार के दिन काली चींटियों को चीनी और आटा डालें। धन प्राप्

श्रावण शनिवार व्रत🔴

🔴श्रावण शनिवार व्रत🔴 सावन के सोमवार का व्रत रखने के विषय मे सभी जानते हैं। सावन के मंगलवार को  "मंगलागौरी व्रत" भी संभवतः आपने सुना हो।  पर क्या आप जानते हैं "स्कंदपुराण" के अनुसार  सावन के शनिवार को भगवान नरसिम्हा स्वामी, हनुमान जी और शनि देव के लिए विशेष पूजन किया जाता है। "श्रावणे मासि देवानां त्रयानां पूजनं शनौ। नृसिंहस्य शनैश्चव्य अञ्जनीनन्दनस्य च।।" श्रावण मास में शनिवार के दिन नृसिंह भगवान, शनिदेव तथा अंजनीपुत्र हनुमान इन तीनों देवताओं का पूजन करना चाहिए। श्री नारसिंह भगवान का लक्ष्मी माता सहित पूजन करना चाहिए, इस दिन लाल नीले पुष्पों से उनका पूजन कर गुड़ सौंठ का भोग लगाएं। इसके प्रभाव से व्यक्ति सभी भोग और ऐश्वर्य को प्राप्त कर लेता है, और शत्रुओं से पीड़ा का भय भी समाप्त होता है। ◆आंजनेय हनुमान को पीपल/मंदार/तुलसी के पत्तों सुन्दर माला, अपराजिता, जपा, गुलाब, नीले मंदार के फूल से सुसज्जित कर, विधि पूर्वक उनका पूजन किया जाए। श्री राम रक्षा स्तोत्र, हनुमान चालीसा, हनुमद् द्वादशनाम इत्यादि का पाठ करें। स्कंदपुराण के अनुसार कहा गया है कि- “शनिवारे श्

NUMEROLOGY FOR BIRTH DATE 21.

NUMEROLOGY FOR BIRTH DATE 21.            People born on date 21 on any month have Moolank (Destiny Number) 3 which is ruled by Jupiter. Jupiter, being Karaka of Education, gives good education to such people. At the same time, they are social too. In debates, they are very good.                    They are clear hearted, focussed, kind and logical. Along with philosophic disposition, they are quite energetic.                    Being, too much disciplined, they, sometimes get very strict. They always want perfection in every thing and due to this they sometimes miss opportunities and come under financial strain.  LUCKY DATES    3, 12, 21, 30 LUCKY FUTURE YEARS   2028, 2030, 2031, 2034, 2043,   2O47 LUCKY NUMBERS     1, 3, 6, 7, 9 GOD'S TO BE WORSHIPPED ( ISHT DEVTA)  Lord Vishnu, Jupiter (Dev Guru Brahspati), Goddesses Saraswati LUCKY COLOURS      Golden, yellow, pink HOW WOULD BE THIS YEAR?            This year would be a very good year. There would be good domestic happiness alon

कुकर में उबलने से पहले पढ़ लेती.....

कुकर में उबलने से पहले पढ़ लेती..... लक्की लाडो रात के बारह बज रहे थे उसका फ़ोन आया "हेल्लो" किसी ने फुसफुसा-हट भरे लफ़्ज़ों में कहा।  "हाँ, बोलो" उसने भी हौले से कहा।    "सब तैयारी हो गई क्या, सुबह चार बजे की बस है।"  "मैंने अपने कपड़ों का बैग तो पैक कर लिया है, पैसे और गहने लेने हैं।"  "अपने सब डॉक्यूमेंट भी ले लेना, हो सकता है दोनों को नौकरी करनी पड़े, नया घर संसार जो बसाना है।"  "ओके, मैं सब कुछ लेकर तुम्हें कॉल करती हूँ।" उसने सबसे पहले माँ की अलमारी खोली, और उसमें से गहनों का डिब्बा निकाला, अपने लिए बनवाया गया मंगलसूत्र बैग में डाला, अंगूठी और झुमके पहन लिए, चूड़ियों का डिब्बा उठाकर बैग में डाल रही थी कि माँ की तस्वीर नीचे गिर पड़ी।  उसे याद आया माँ की बरसों की इच्छा थी सोने का चूड़ा पहनने की। मगर जब पापा का एरियर मिला था तो जो चूड़ा बनवाया गया वो माँ ने ये कहकर उसके लिए सम्भाल कर रख दिया था कि जब बिट्टू इंजीनियरिंग करके नौकरी लग जायेगा खूब सारे बनवा लूँगी। अभी तो तेरी शादी के लिए रख लेती हूँ, मेरी लाडो कितनी सुंदर लगेगी। उसने तस्

विवाह-बाधक योग

विवाह-बाधक योग 1. सप्तमेश शुभ युक्त न होकर छठे, आठवें एवं बारहवें भाव में हो अथवा नीच का या अस्तंगत हो। अगर विवाह हो जाये, तो जातक है। विधुर होता 2. सप्तमेश बारहवें भाव में हो तथा लग्नेश और जन्मराशि का स्वामी सप्तम में हो।  3. षष्ठेश, अष्टमेश तथा द्वादशेश सप्तम में हो तथा ये ग्रह शुभग्रह ये युत या दृष्ट न हों अथवा सप्तमेश छठे, आठवें एवं बारहवें भाव का स्वामी हो। 4. यदि शुक्र और चन्द्रमा साथ होकर किसी भाव में बैठे हों और शनि एवं भीम उनसे सप्तम भाव में हाँ । 5. लग्न, सप्तम और द्वादश भाव में पापग्रह बैठे हों और पंचमस्थ चन्द्रमा निर्बल हो । 6. सातवें एवं बारहवें स्थान में दो-दो पापग्रह हों तथा पंचम में चन्द्रमा हो । 7. शनि और चन्द्रमा सप्तम भाव में स्थित हो। अगर विवाह हो भी जाये, तो स्त्री वन्ध्या होती है। 8. सप्तम भाव में पापग्रह हो । 9. शुक्र और बुध सप्तम में एक साथ हो तथा सप्तम पर पापग्रहों की दृष्टि हो, परंतु शुभग्रहों की दृष्टि हो, तो आयु में विवाह होता है। 10. यदि लग्न से सप्तम भाव में केतु हो और शुक्र की दृष्टि उस पर हो।  11. शुक्र- मंगल, पांचवें, सातवें एवं नौवें भाव में हो। 12. लग

हाथियों के विषय में 10 पौराणिक तथ्य जिन्हें अधिकतर लोग नहीं जानते हैं

हाथियों के विषय में 10 पौराणिक तथ्य जिन्हें           अधिकतर लोग नहीं जानते हैं हाथी धरती का सबसे बड़ा स्तनपायी प्राणी है। सूंड के रूप में बड़ी हुई नाक इसकी पहचान है। यह भूमि से लगभग 7-8 फिट ऊंचा होता है। इसका धड़ बहुत चौड़ा और मोटा होता है। इसकी टांगें मोटे खंभे की तरह होती है। सूंड जितनी लंबी ही पूंछ भी होती है। काले और सफेद तो तरह के हाथी होते हैं। इसके दो लंबे दांत होते हैं जो मुंह के बाहर निकले होते हैं। इन्हीं दांतों के कारण तस्करी करने वाले लोग इन्हें मार देते हैं। इस कारण के अलावा भोजन की कमी के कारण भी यह प्रजाति लुप्त होने की कगार पर है। आओ जानते हैं हाथी के बारे में 10 रोचक पौराणिक बातें। 1. हाथियों का पूर्वज ऐरावत : हिन्दू पौराणिक मान्यताओं के अनुसार हाथियों का जन्म ऐरावत नाम के हाथी से माना जाता है। मतलब यह कि जैसे मनुष्‍यों का पूर्वज बाबा आदम या स्वयंभुव मनु है उसी तरह हाथियों का पूर्वज ऐरावत है। 2. 14 रत्नों में से एक : ऐरावत की उत्पत्ति समुद्र मंथन के समय हुई थी और इसे इंद्र ने अपने पास रख लिया था। यह समुद्र से उत्पन्न 14 रत्नों में से एक है। गीता में श्री कृष्ण कहत

कब विवाह होगा?

कब विवाह होगा? 1. सप्तमेश शुभग्रह की राशि में हो व शुक्र अपनी उच्च राशि में हो, तो नौ वर्ष की उम्र में । 2. शुक्र धन स्थान में और सप्तमेश ग्यारहवें स्थान में स्थित हो, तो 10 या 16 वर्ष की आयु में । 3. लग्न में शुक्र और लग्नेश दसवें एवं ग्यारहवें राशि में हो, तो 11 वर्ष की आयु में। 4.केन्द्र स्थान में शुक्र हो और शुक्र से सातवें शनि स्थित हो, तो 12 या 19वर्ष में । 5. सातवें स्थान में चन्द्रमा हो और शुक्र से सातवें स्थान में शनि स्थित हो, तो 18 वर्ष की आयु में 6. द्वितीयेश ग्यारहवें और एकादशेश दूसरे भाव में हो, तो 13 वर्ष की आयु में।  7. शुक्र द्वितीय स्थान में हो और द्वितीयेश तथा मंगल इन दोनों का योग हो तो 27वें वर्ष में ।आयु में।  8. पंचम भाव में शुक्र और चतुर्थ में राहु स्थित हो, तो 33 वर्ष की वर्ष में । 9. तृतीय भाव में शुक्र और नौवें भाव में सप्तमेश गया हो, तो 27 या 30  10. लग्नेश में शुक्र जितना नजदीक हो उतनी जल्दी। शुक्र की स्थिति जिस राशि में हो उस राशि की दशा में। 11. सप्तमस्थ राशि की जो संख्या हो उसमें आठ जोड़ देने पर जो संख्या आये, उस वर्ष में शुक्र, लग्न और चन्द्रमा से सप्तमा

सूर्य ग्रहण योग-

सूर्य ग्रहण योग- जिस स्थान पर भी राहु और सूर्य एक साथ होते हैं, वहां पर सूर्य को ग्रहण लगता है। इसके अलावा यदि सूर्य किसी भी भाव में स्थित हो और सूर्य पर राहु की छाया पड़ रही हो तो भी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग बनता है जिस व्यक्ति की कुंडली में सूर्य ग्रहण लगा हो उसकी कुंडली में पितृदोष भी लगता है। किसी जातक की कुंडली में शुक्र, बुध या राहु एकसाथ, दूसरे, पांचवें, नौवें अथवा बारहवें भाव में स्थित हो तो पितृ दोष लगता है। सूर्य ग्रहण लगने के होने वाली समस्याएं यदि किसी की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग हो तो उसके पिता के साथ मतभेद बने रहते हैं साथ ही पिता की सेहत पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। ग्रहण योग के कारण जातक को स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। जातक को हड्डियों से संबंधित रोग होने की आशंका रहती है। व्यक्ति के मान-सम्मान और आत्मविश्वास में कमी आती है और क्रोध की अधिकता रहती है। जिसके कारण व्यक्ति को कई बार सरकारी दंड भी झेलना पड़ सकता है। यदि किसी जातक की कुंडली में सूर्य ग्रहण योग बना हो तो उसे उच्च अधिकारियों का गुस्सा झेलना पड़ सकता है साथ ही सरकारी कामों मे

अनेक समस्याओं के लिए महायोगी शिव जी के मंत्र

अनेक समस्याओं के लिए महायोगी शिव जी के मंत्र एकाक्षरी महामृत्युंजय मंत्र (हौं) स्वास्थ्य अच्छा बना रहे इसके लिए सुबह उठकर इस मंत्र का जाप करें त्रयक्षरी महामृत्युंजय मंत्र (ऊं जूं स:) जब आपको छोटी छोटी बीमारियां परेशान करें तो ये मंत्र प्रभावशाली होता है नित्य सुबह और रात में सोने के पहले इस मंत्र का कम से कम 108 बार जाप करें इससे आपको कोई भी बीमारी परेशान नहीं करेगी चतुराक्षी महामृत्युंजय मंत्र (ऊं हौं जूं स:) सर्जरी और दुर्घटना जैसी संभावनाएं हो तो ये मंत्र लाभकारी होता है सुबह शिव जी को जल अर्पित करके 3 माला जाप करना चाहिए इससे हर दुर्घटना से बचाव होगा दशाक्षरी महामृत्युंजय महामंत्र (ऊं जूं स: माम पालय पालय) इसे अमृत मृत्युंजय मंत्र कहते हैं जिसके लिए इस मंत्र का जाप करना है उसका नाम इस मंत्र में प्रयोग करें तांबे के बर्तन में जल भरकर उसके सामने इस मंत्र का जाप करें फिर उस जल को उसे पिलाएं जिसे आयु या स्वास्थ्य की समस्या हो रही हों मृत संजीवनी महामंत्युंजय मंत्र ॐ हौं जूं सः ॐ भूर्भुवः स्वः ॐ त्र्यम्‍बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम् उर्वारुकमिव बन्‍धनान् मृत्‍योर्मुक्षीय मामृतात् ॐ

#गुप्तनवरात्रि पूजा विधि

गुप्तनवरात्रि मुहूर्त भक्त अपने अपने तरीके से करते रहते हैं आपको जो भी तरीका उचित लगे आप उसे ही करें, हम यहाँ दो तीन तरीके शेयर कर रहे हैं, जो सिद्धियाँ पाना चाहते हैं वो हर वैदिक नियम का पालन करे, और माता की 10 गुप्त शक्तियों की पूजा करें चैत्र महीने में पड़ने वाली नवरात्रि में नौ दिनों  के पूजा-व्रत संपन्न होने के बाद अब आषाढ़  महीने में गुप्त नवरात्रि की शुरुआत होगी।  बता दें कि 19 जून 2023 से आषाढ़ गुप्त  नवरात्रि की शुरुआत होगी, जिसका समापन 28 जून 2023 को होगा। इसमें 10  महाविद्याओं की उपासना की जाती है।  19 जून को घटस्थापना की जाएगी,  जिसका शुभ मुहूर्त सुबह 06:05 बजे से  08:04 बजे तक है। पूजा विधि 1. गुप्त नवरात्रों में माँ काली और महादेव की पूजा की जाती है।   2. प्रातःकाल स्नानादि कर कलश की स्थापना करें। 3. कलश में गंगाजल, लौंग, सुपारी, इलाइची, हल्दी, चन्दन, अक्षत, मौली, रोली और पुष्प डालें।   4. आम, पीपल आदि के पत्तों से कलश को सजाएँ।   5. अब चावल या जौ भरी कटोरी को कलश पर रख पानी वाला नारियल लाल कपड़ें में लपेटकर उसपर रखें।    6. इसके बाद उत्तर पूर्व दिशा में चौकी पर लाल वस्त्

पंचायतन (पाँच देवताओ) की पुजा का महत्त्व

पंचायतन (पाँच देवताओ) की पुजा का महत्त्व  _ सनातनी पूजा पद्यति में किसी भी कार्य का शुभारंभ करने अथवा जप-अनुष्ठान एवं प्रत्येक मांगलिक कार्य के आरंभ में सुख-समृद्धि देने वाले पांच देवता, एक ही परमात्मा पांच इष्ट रूपों में पूजे जाते है। एक परम प्रभु चिदानन्दघन परम तत्त्व हैं सर्वाधार । सर्वातीत,सर्वगत वे ही अखिलविश्वमय रुप अपार ।। हरि, हर, भानु, शक्ति, गणपति हैं इनके पांच स्वरूप उदार । मान उपास्य उन्हें भजते जन भक्त स्वरुचि श्रद्धा अनुसार ।। (पद-रत्नाकर) निराकार ब्रह्म के साकार रूप हैं पंचदेव 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ परब्रह्म परमात्मा निराकार व अशरीरी है, अत: साधारण मनुष्यों के लिए उसके स्वरूप का ज्ञान असंभव है । इसलिए निराकार ब्रह्म ने अपने साकार रूप में पांच देवों को उपासना के लिए निश्चित किया जिन्हें पंचदेव कहते हैं । ये पंचदेव हैं—विष्णु, शिव, गणेश, सूर्यऔर शक्ति। आदित्यं गणनाथं च देवीं रुद्रं च केशवम् । पंचदैवतभित्युक्तं सर्वकर्मसु पूजयेत् ।।  एवं यो भजते विष्णुं रुद्रं दुर्गां गणाधिपम् । भास्करं च धिया नित्यं स कदाचिन्न सीदति ।। (उपासनातत्त्व) अर्थात👉 सूर्य, गणेश, देवी, रुद्र और

फिटकरी

🟤बढ़ते कर्ज से हैं परेशान तो आज ही करें फिटकरी के ये उपाय, हर समस्या होगी दूर🟠:-  ⚫️ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, यदि आप आर्थिक समस्याओं से जूझ रहे हैं तो आपको फिटकरी का एक टुकड़ा अपनी तिजोरी में रख देना चाहिए। ❇️साथ ही फिटकरी को पानी में मिला कर स्नान करना चाहिए। ऐसा करने से आपकी आर्थिक स्थिति में मजबूती आएगी। इसके अलावा एक काले रंग के कपड़े में फिटकरी का एक टुकड़ा बांध कर घर में मुख्य दरवाजे में टांग दें। ⚫️यदि आप बढ़ते कर्ज से परेशान हैं और आर्थिक स्थिति सही नहीं हो पा रही है, तो थोड़ी सी फिटकरी लेकर उसपर सिंदूर छिड़कें। उसके बाद एक पान के पत्ते में उसे कलावे की सहायता से बांध दें।  🚩फिर संध्या के समय किसी पीपल के वृक्ष के नीचे जाकर एक बड़े पत्थर के नीचे दबा दें। ये उपाय आपको नियमित रूप से तीन बुधवार को करना है।  🔅ज्योतिष के अनुसार, इससे जल्दी ही आपको कर्ज से मुक्ति मिलेगी। ध्यान रहे कि इस उपाय को करते हुए कोई आपको देख न ले। 🌍यदि आपके परिवार में कलह का वातावरण रहता है, तो रात के समय एक गिलास पानी लेकर उसमें फिटकरी के कुछ टुकड़े डालें और पलंग की नीचे रखकर सो जाएं।  🙏सुबह उठकर उस पानी को

नवम भाव

भाग्य का चमत्कार चाहिए तो कुंडली का नौवां भाव देखें, चमक उठेगा भाग्य   जन्मकुंडली में नवम भाव भाग्य-धर्म-यश का है। इस भाव का स्वामी किस भाव में किस स्थिति, किन ग्रहों के साथ या दृष्ट है। उच्च का है या नीच का या फिर वक्री है अर्थात वर्तमान में किस ग्रह की दशा-अंतरदशा चल रही है। नवम भाव का स्वामी नवांश कुंडली में किस स्थिति में है व अन्य षोडश्य वर्गीय कुंडली में उसका क्या महत्व है।    इन सबको देखकर भाग्य को बल दिया जाए तो भाग्यहीन व्यक्ति भी धीरे-धीरे भाग्यहीनता से उभरकर भाग्यवान बन जाता है। उसकी राह आसान होने लगती है। जो कल तक उससे दूर रहते थे, वे भी उसके पास आने लगते हैं। यही भाग्य का चमत्कार होता है।    * नवम भाव का स्वामी नवम भाव में ही हो तो ऐसा जातक भाग्य लेकर ही पैदा होता है। उसे जीवन में तकलीफ नहीं आती। यदि इस भाव के स्वामी रत्न का धारण विधिपूर्वक कर लें तो तेजी से भाग्य बढ़ने लगता है।   * नवम भाव का स्वामी अष्टम भाव में हो तो भाग्य भाव से द्वादश होने के कारण व अष्टम अशुभ भाव में होने के कारण ऐसे जातकों को अनेक बाधाओं का सामना करना पड़ता है। अत: ऐसे जातक नवम भाव की वस्तु को अपने

ईलायची

#ईलायची हरी-ईलायची न तो टहनियों पर लगती हैं नाही जमीन के अंदर बल्कि इसकी जड़ से एक नया तना निकलर जमीन पर फैल जाता हैं जिस पर इलाइची लगती हैं.... ईलाइची को संस्कृत में सूक्ष्मैला, एला, उपकुन्चिका, तुत्त्था, कोरंगी, द्राविड़ी आदि नामों से जाना जाता है....इसकी खेती केरल,कर्नाटक व तमिलनाडु में मुख्य रूप से की जाती हैं वही जंगलों में भी इसके पौधे पनप जाते हैं.... ईलायची का पौधा 2से3 वर्ष में उत्पादन देने लगता हैं जो लगभग 10 से 12 वर्षो तक चलता है,,, वही केरल के माइलाडुंपारा में स्थित "भारतीय इलाइची अनुसंधान केंद्र" इलाइची की पारम्परिक खेती को बढ़ावा दे रहा है ....। ईलायची रसोई घर का एक अभिन्न सदस्य है,,, हर भारतीय इसके गुणों से परिचित हैं,,, अलग अलग रोगों में इसका उपयोग आज भी गृहणियां स्वयं कर लेती हैं..... इसकी तासीर ठंडी होती हैं... यह भूख को बढ़ाती हैं तथा पाचन तंत्र की कई आम बीमारियों के लिए घरेलू उपचार की तरह प्रभावी है.... इलाइची का सेवन गैस को दूर करता है...यह वात को दूर करता है...

सर्प दोष

कालसर्प उपाय यह एक बहुत ही कष्टदायक योग है। इस योग की यह विशेषता होती है कि यह व्यक्ति को मध्यम स्थिति में नहीं रखता है। यह व्यक्ति को अत्यधिक ऊँचाई प्रदान करता है अथवा एक निम्न स्तर का कर देता है। मेरा अनुभव में यह व्यक्ति को संघर्ष तो देता ही है, इसके प्रभाव से संतानहीनता, विवाह में बाधा अथवा संघर्षमय जीवन भी देता है। पं. नेहरू की पत्रिका में भी यह योग था। इस योग का पूर्ण निवारण तो शान्ति से ही होता है लेकिन फिर भी यदि इसके उपाय किये जायें तो इसके विष में कमी आती है, व्यक्ति बहुत उन्नति करता है। यह योग इस प्रकार से बनता है कि जब जन्मपत्रिका में राहू व केतू के मध्य सारे सात ग्रह आ जायें तो पूर्ण योग होता है और यदि एक-दो ग्रह राहू-केतू की पकड़ से बाहर हों तो कालसर्प योग की छाया कहा जाता है। यहां पर नैं आपको कुछ सामान्य उपाय बता रहा हूँ जिनके करने से इस योग के विषय में कुछ कमी अवश्य आती है। मेरी आपको यही सलाह है कि आप इस योग की शान्ति अवश्य करवा लें:- (1) 108 नारियल पर चंदन से तिलक पूजन कर "ॐ भ्रां भ्रीं भ्रौं सः राहवे नमः" का 108 बार जाप कर पीड़ित व्यक्ति के ऊपर से उसार कर बु

दीपक

विशिष्ट मनोकामना हेतु देव पूजन में दीपक विधान: 1. आर्थिक लाभ के लिए नियम पूर्वक घर के मंदिर में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। 2. शत्रु पीड़ा से राहत के लिए भैरवजी के सामने सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिये। 3.भगवान सूर्य की पूजा में घी का दीपक जलाना चाहिए।4.शनि के लिए सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए।5.पति की दीर्घायु के लिए गिलोय के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 6.राहु तथा केतु के लिए अलसी के तेल का दीपक जलाना चाहिए। 7.किसी भी देवी या देवता की पूजा में गाय का शुद्ध घी तथा एक फूल बत्ती या तिल के तेल का दीपक आवश्यक रूप से जलाना चाहिए। 8.भगवती जगदंबा व दुर्गा देवी की आराधना के समय एवं माता सरस्वती की आराधना के समय तथा शिक्षा-प्राप्ति के लिए दो मुखों वाला दीपक जलाना चाहिए। 9.भगवान गणेश की कृपा-प्राप्ति के लिए तीन बत्तियों वाला घी का दीपक जलाना चाहिए। 10.भैरव साधना के लिए सरसों के तेल का चैमुखी दीपक जलाना चाहिए। 11. मुकदमा जीतने के लिए पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।12.भगवान कार्तिकेय की प्रसन्नता के लिए गाय के शुद्ध घी या पीली सरसों के तेल का पांच मुखी दीपक जलाना चाहिए।13.भगवान शिव की प्रसन्नता के

pan ke patte

🟣पान के ये टोटके बड़े कमाल के हैं कार्यों में दिलाते हैं सफलता, हनुमान जी भी होते हैं प्रसन्न⛔️:- ⚫️किसी भी पूजा-पाठ में पान के पत्ते का इस्तेमाल करना बहुत शुभ माना जाता है. हिंदू धर्म में पान के पत्ते को बहुत पवित्र माना जाता है.  🟤मान्यता है कि देवताओं ने समुद्र मंथन के समय पान के पत्ते से भगवान विष्णु की अराधना की थी. तब से ही पूजा में पान के पत्ते का इस्तेमाल किया जाता है.  ♌️पान के पत्ते में देवी-देवताओं का वास माना जाता है. ज्योतिष शास्त्र में पान के पत्ते से जुड़े उपाय और टोटके बहुत कारगर माने जाते हैं.  🔵पान के उपाय से भगवान हनुमान शीघ्र प्रसन्न होते हैं और मनोकामनाओं की पूर्ति करते हैं. इसके लिए हर मंगलवार या शनिवार के दिन स्नान करके मंदिर जाएं.  🟠भगवान बजरंगबली को अच्छे से बनाया गया पान का बीड़ा अर्पित करें. मान्यता है कि हनुमानजी को बीड़ा अर्पित करने से वो प्रसन्न होते हैं और भक्तों की सभी परेशानियों का बीड़ा उठाते हैं. ☣️नजर दोष दूर करता है पान🔴:- 🟢पान के पत्ते में सकारात्मक ऊर्जा पाई जाती है. यह नकारात्मक शक्तियों को खत्म करता है. अगर किसी व्यक्ति को नजर लग गई है तो

सेंधा नमक"

"सेंधा नमक"  भारत से कैसे गायब कर दिया गया... आप सोच रहे होंगे की ये सेंधा नमक बनता कैसे है ?? आइये आज हम आपको बताते है कि नमक मुख्यत: कितने प्रकार का होता है। एक होता है समुद्री नमक, दूसरा होता है सेंधा नमक "rock salt"सेंधा नमक बनता नहीं है पहले से ही बना बनाया है। पूरे उत्तर भारतीय उपमहाद्वीप में खनिज पत्थर के नमक को ‘सेंधा नमक’ या ‘सैन्धव नमक’, लाहोरी नमक आदि आदि नाम से जाना जाता है जिसका मतलब है ‘सिंध या सिन्धु के इलाक़े से आया हुआ’। वहाँ नमक के बड़े बड़े पहाड़ है सुरंगे है । वहाँ से ये नमक आता है। मोटे मोटे टुकड़ो मे होता है आजकल पीसा हुआ भी आने लगा है यह ह्रदय के लिये उत्तम, दीपन और पाचन मे मदद रूप, त्रिदोष शामक, शीतवीर्य अर्थात ठंडी तासीर वाला, पचने मे हल्का है । इससे पाचक रस बढ़ते हैं। अतः: आप ये समुद्री नमक के चक्कर से बाहर निकले। काला नमक ,सेंधा नमक प्रयोग करे, क्यूंकि ये प्रकृति का बनाया है, भारत मे 1930 से पहले कोई भी समुद्री नमक नहीं खाता था विदेशी कंपनीयां भारत में नमक के व्यापार मे आज़ादी के पहले से उतरी हुई है , उनके कहने पर ही भारत के अँग्रेजी प्रशासन द

12 bhav

Om shanti . आय भाव के स्वामी का 12 भाव में फल। 1,अगर आय भाव का स्वामी लग्न मे बैठ जाये तो जातक कही न कही से धन कमाने के साधन ढूढ़ता रहता है । धन व्यक्ति के व्यक्तिव से जुड़ जाता हैं । जातक थोड़ा कंजूस भी हो जाता है मगर धन के कमाने हर सम्भव प्रयास करता है । 2, आय का स्वामी 2nd भाव मे आ जाये तो जातक को महाधनी बना देता है । जातक को पैतृक सम्पति तो प्राप्त तो होती ही है जातक अपनी वाणी से भी धन अर्जित करता है । मगर स्वास्थ्य खराब ही रहता है । 3, आय भाव का स्वामी 3rd भाव मे हो यो जातक अपने पराक्रम से धन अर्जित करता है पराक्रम से किस्मत बनाता है । 4,आय का स्वामी 4th भाव में हो तो जातक सुखों पर खर्च करता है और जमीन से आये के स्त्रोत ढूढ़ता है भूमि वाहन पर बहुत खर्च करता है ।ऐसे जातक जमीन खरीदते है और लाभ कमाते है । 5 ,आय का स्वामी 5th हाउस मे हो जातक अपने ज्ञान से धन अर्जित करता है । 6 ,आय का स्वामी 6th हाउस में हो तो जातक पर कर्ज जरूर होता है खर्च भी बढ़ाता है मगर जातक अपनी आये से कर्ज से मुक्ति पा लेता है। 7, आय का स्वामी 7th मे बैठ जाये तो जातक की शादी के बाद आय बड़ जाती है । जातक शादी के बाद व्य

dhanvantari mantra

The Dhanvantari mantra is a sacred Vedic chant dedicated to Lord Dhanvantari, the deity associated with health, healing, and well-being in Hinduism. Reciting or chanting this mantra is believed to invoke the blessings of Lord Dhanvantari and seek his assistance in recovering and maintaining good health. Here is the Dhanvantari mantra: "ॐ द्वादशांगुल-वन्ध्वाय विष्णवे नमः॥" "Om Dvadashangul-vandhvāya Vishnave Namah॥" This mantra is in Sanskrit, and each word holds significance: - "Om" is a sacred sound symbolizing the universal consciousness. - "Dvadashangul-vandhvāya" refers to the one who has twelve divine limbs or aspects. - "Vishnave" is a salutation to Lord Vishnu, who is considered the preserver and sustainer of life. - "Namah" means "I bow down to you" or "I offer my salutations." To use this mantra for health recovery, you can either recite it mentally or chant it aloud. Find a quiet and peaceful plac

कालसर्प योग कब अधिक भारी होता है

कालसर्प योग कब अधिक भारी होता है कालसर्प योग पूर्व जन्म के कर्मों के अनुसार अच्छा या बुरा होता है। यदि कुण्डली में राजयोग है तो जातक उन्नति अवश्य करेगा परन्तु जिस घर में कालसर्प योग बना है, उस भाव के सम्बन्ध में चिन्ता अवश्य देगा। कालसर्प योग वाला व्यक्ति माँसाहारी, दुर्व्यसनी, दुराचारी तथा परधन को अपहृत करने वाला होवे अथवा चोरी, डाका करने वाला होवे तो वह कुछ समय ही सुखी रह सकता है एक दिन उसे बहुत पछताना पड़ता है। मन कर्म वचन से दूसरों का बुरा चाहने वाला, दूसरों की दुःखी आत्माओं की दुराशीष के कारण दुःख अवश्य भोगेगा। यदि ग्रहण के समय जन्म हो, तो ग्रहण शान्ति अवश्य करायें। सूर्य - राहु, बृहस्पति-राहु, शनि-सूर्य, शनि-चन्द्र, शनि-मङ्गल तथा सूर्य- चन्द्र मङ्गल का राहु, शनि, केतु से योग होतो भी व्यक्ति दुःखी रहेगा। राहु-केतु का सूर्य, चन्द्र या बृहस्पति से षडाष्टक योग हो तो व्यक्ति दुःखी होगा। राहु-शनि षडाष्टक में भी अशुभफल की वृद्धि होगी । * अशुभ भावों में अशुभ युतियाँ भी परेशानी बढाती हैं। * कालसर्प योग हो तथा सर्पयोनि (रोहिणी, मृगशिरा नक्षत्र) में जन्म हो तो कालसर्प दोष बढ़ जाता है। उत्तर

No_Marriage_In_Kundali

#No_Marriage_In_Kundali ------------------------------------------ 1. If Venus and Mercury join the 7th house being afflicted by other planets. Neither conjoined with nor aspected by any other benefic planet. they may deprive a native of marriage.  2. If Rahu is in 7th house and is either aspected by or conjoined with at least two malefic planets, one may not marry.  3. If the 7th house is in a sign owned by a malefic planet and if a malefic planet aspects or joins the same one, the native may be deprived of marriage. But if any benefic planet joins or aspects the same, the result may vary.  4. If the 7th house is a house owned by a malefic and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, one may be deprived of marriage.  5. If the 12th house is a house owned by a malefic planet and if waning or afflicted Moon be there along with a malefic, the result is likely to be similar.  6. If heavily afflicted Rahu joins the 9th house, the result may be the same.  7. When afflicted

मनचाहा पति चाहिए और सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी, तो सावन में कर लें ये काम✳️:-

🙌मनचाहा पति चाहिए और सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद भी, तो सावन में कर लें ये काम✳️:- ⭕️सावन के महीने को हिंदू धर्म में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. इस बार बाबा भोले का सावन महीना काफी खास माना जा रहा है. ☣️इस बार सावन 30 दिनों का नहीं बल्कि 59 दिनों का होगा. ऐसा इसलिए हो रहा है कि हिंदू पंचाग विक्रम संवत 2080 के मुताबिक, इस साल ज्यादा महीने पड़ रहा है जिसमें पूरे 13 महीने होंगे.  🔯ऐसा इसलिए क्योंकि नए हिंदू नव वर्ष में मलमास है. जहां हर तीसरे साल में ऐसी स्थिति बनती है. जब 12 की जगह 13 महीने होते हैं. 🌍दरअसल, इस बार सावन का महीना आगामी 4 जुलाई से शुरू हो रहा है, जोकि 31 अगस्त तक चलेगा. ऐसे में सावन इस बार 59 दिनों का रहेगा. जहां 18 जुलाई से 16 अगस्त तक सावन अधिकमास रहेगा.  🔴चूंकि,इसे मलमास भी कहा जाता है. इसके चलते ही सावन 2 महीने का हो रहा है. इसी वजह से सावन में 8 सोमवार पड़ रहे हैं, जबकि अन्य साल सावन महीने में 4 या अधिकतम 5 सोमवार होते हैं. इतना ही नहीं, इस साल रक्षाबंधन भी 31 अगस्त को पड़ रहा है. 🟦मान्यता है कि, सावन के सोमवार का व्रत रखने से मनमुताबिक कामना पूरी होती है. कहा