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Showing posts from November, 2022

8 th house

8th House  यदि हम इन भावों का ध्यानपूर्वक निरीक्षण करें, तो हमें कुछ आश्चर्यजनक परिणाम मिल सकते हैं सामान्य तौर पर चार्ट में 8 House को अच्छा नहीं माना जाता है और इन्हें अशुभ भाव माना जाता है।  इन भावों में स्थित ग्रहों को बुरा माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि जिस भाव का स्वामी  8वें भाव में स्थित होता है, उसका फल भी खराब होता है।  अब हम किसी भी घर के 8 भावों का संबंध देखेंगे इस अध्ययन के लिए, हम प्राकृतिक राशि चक्र की काल पुरुष कुंडली (मेष के साथ लग्न की कुंडली) लेंगे। आठवां घर ये चीजें क्या दर्शाती हैं?  ■■■■■■■■■■■■■■■■  ■ किसी भी घर के परिणाम के लिए कारक को किसी भी घर से आठवें घर द्वारा दर्शाया जाता है हम कह सकते हैं कि कालपुरुष की कुंडली में किसी भी घर का स्वामी प्राकृतिक कारक है, अतः किसी भी भाव का अध्यन करते समय कालपुरुष कुंडली को कभी भी नही भुलाना चाहिए यदि आप कालपुरुष कुंडली को भूल गए तो आप कुछ भी नही कह सकते ये आधार है। जैसे बीमारी का पता लगाते समय हम कालपुरुष के कुंडली के अनुसार ही फल कथन कहते है कि शरीर के  किस भाग में कष्ट है।। 【जैसे 4th पीड़ित है तो सिने में कष्ट बताते है

मंगल दोष उपाय

श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत - श्रीमंगल चंडिका स्त्रोत के लाभ और मंगल दोष उपाय  _ इस स्तोत्र का पाठ आप मंगलवार दिन आरंभ करें साथ ही भगवान शिव का पंचाक्षरी का एक माला जप करने से अधिक लाभ मिलेगा अत्यंत चमत्कारिक है यह स्तोत्र अवश्य लाभ लें... श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का वर्णन ब्रह्मवार्ता पुराण में देखने को मिल जायेगा ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् पूरी तरह संस्कृत भाषा में लिखा हुआ हैं ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का जाप करने से उस व्यक्ति की सभी इच्छाये पूरी हो जाती हैं ! चंडीका देवी महात्म्य की सर्वोच्च देवी मानी जाती है दुर्गा सप्तशती में चंडीका देवी को चामुंडा या माँ दुर्गा कहा गया हैं ! चंडीका देवी महाकाली, महा लक्ष्मी और महा सरस्वती का एक संयोजन रूप हैं ! श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का व्यक्ति नियमित रूप से जाप करता हैं उसे धन, व्यापार, गृह-कलेश आदि समस्या से परेशानी नही आती हैं ! जिस भी जातक का विवाह में परेशानी आ रही हो तो उसे श्री मंगल चंडिका स्तोत्रम् का नियमित जाप करने से शादी में आ रही परेशानी दूर हो जाती हैं , अथश्री मंगलचंडिकास्तोत्रम् . 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं सर्व

राहु

राहु 19 वीं साल में फ़ल जरूर देता है...(पुनः प्रेषित) 〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️🔸〰️〰️ यह एक अकाट्य सत्य है कि किसी कुन्डली में राहु जिस घर में बैठा है, 19 वीं साल में उसका फ़ल जरूर देता है,सभी ग्रहों को छोड कर यदि किसी का राहु सप्तम में विराजमान है, चाहे शुक्र विराजमान हो, या बुध विराजमान हो या गुरु विराजमान हो, अगर वह स्त्री है तो पुरुष का सुख और पुरुष है तो स्त्री का सुख यह राहु 19 वीं साल में जरूर देता है। और उस फ़ल को 20 वीं साल में नष्ट भी कर देता है। इसलिये जिन लोगों ने 19 वीं साल में किसी से प्रेम प्यार या शादी कर ली उसे एक साल बाद काफ़ी कष्ट हुये। राहु किसी भी ग्रह की शक्ति को खींच लेता है, और अगर राहु आगे या पीछे 6 अंश तक किसी ग्रह के है तो वह उस ग्रह की सम्पूर्ण शक्ति को समाप्त ही कर देता है। राहु की दशा का समय 18 साल का होता है, राहु की चाल बिलकुल नियमित है, तीन कला और ग्यारह विकला रोजाना की चाल के हिसाब से वह अपने नियत समय पर अपनी ओर से जातक को अच्छा या बुरा फ़ल देता है, राहु की चाल से प्रत्येक 18 वीं साल में जातक के साथ अच्छा या बुरा फ़ल मिलता चला जाता है, अगर जातक की 19 वीं

शनिपीड़ा से मुक्ति के लिए उपाय -

शनिपीड़ा से मुक्ति के लिए उपाय - गाधिश्च कौशिकश्चैव पिप्पलादो महामुनि: । शनैश्चर कृतां पीडां नाशयन्ति स्मृतास्त्रय: ।। (शिवपुराण, शतरुद्रसंहिता 25।20) अर्थात्—मुनि गाधि, कौशिक और पिप्पलाद—इन तीनों का नाम स्मरण करने से शनिग्रह की पीड़ा दूर हो जाती है । मुनि पिप्पलाद के नाम-स्मरण से क्यों दूर होती है शनिपीड़ा ? महर्षि दधीचि और उनकी पत्नी सुवर्चा महान शिभक्त थे। शिवजी के ही आशीर्वाद से महर्षि दधीचि की अस्थियां वज्र के समान हो गयी थीं । महर्षि और उनकी पत्नी की शिवभक्ति से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने उनके यहां ‘पिप्पलाद’ नाम से अवतार धारण किया। वृत्रासुर आदि दैत्यों से पराजय के बाद देवतागण महर्षि दधीचि के आश्रम पर उनकी अस्थियां मांगने गए क्योंकि उनकी अस्थियां शिवजी के तेज से युक्त थी जिससे वे वज्र का निर्माण कर दैत्यों को हराना चाहते थे। उन्होंने किसी कार्य के बहाने उनकी पत्नी सुवर्चा को दूसरे आश्रम में भेज दिया। महर्षि ने ब्रह्माण्ड की रक्षा के लिए अपने प्राणों को खींचकर शिवतेज में मिला दिया और देवताओं ने उनकी अस्थियों से वज्र बनाकर दैत्यों पर विजय प्राप्त की। चारों तरफ सुख-शान्ति छा गयी। म

सूर्य फल

🚩सूर्य के कमजोर होने से व्यक्ति का मनोबल या आत्मबल कमजोर होता है और पिता व कार्यक्षेत्र में अधिकारियों के साथ परेशानी रहती है। सरकारी कार्य में भी परेशानी होती है। कुंडली में यदि सूर्य कमजोर हों तो इसका व्यक्ति की सेहत पर भी असर होता है। ऐसे लोगों को आंख या अस्थियों संबंधी समस्या हो सकती है। सूर्य सिंह राशि का स्वामी है और मेष राशि में यह उच्च होता है, जबकि तुला इसकी नीच राशि है। जिनकी कुंडली में सूर्य नीच को हो वे यदि परिवार से दूर रहें तो उन्हें अत्यंत मान सम्मान प्राप्त होता है। नीच का सूर्य उच्च स्तर का चिकित्सक भी बना सकता है।नीच का सूर्य यदि पांचवें भाव में हो और सूर्य यदि लग्नेश का मित्र हो तो अच्छी संतान का सुख देता है, खासतौर पर पुत्र संतान का। ऐसी स्थिति में प्रायः पुत्र का जन्म बहुत विलंब से होता है लेकिन वह कुल दीपक साबित होता है। 🚩सूर्य के खराब होने के लक्षण ✨ घर की पूर्व दिशा दूषित होने से। ✨ विष्णु का अपमान। ✨ पिता का सम्मान न करना। ✨ देर से सोकर उठना। ✨रात्रि के कर्मकांड करना। ✨ सूर्य खराब होने पर सबसे ज्यादा सामने आने वाली आम बीमारी आंखों की कमजोरी मानी जाती है। ✨ व्

सूर्य यंत्र

ॐ सूं सूर्याय नमः। सूर्य को नवग्रहों का राजा कहा गया है। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के अभाव में धरती पर अंधकार छा जाता है, ठीक उसी प्रकार किसी मनुष्य की जन्मकुंडली में सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति के जीवन में अंधकार छा जाता है। यानी वह व्यक्ति सफलताओं, मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा से वंचित रहता है। सूर्य कमजोर हो तो व्यक्ति कई तरह के शारीरिक रोगों से ग्रसित रहता है। हृदय और नेत्र संबंधी रोगों से जीवनभर परेशान रहता है। ज्योतिष में कमजोर सूर्य को मजबूत बनाने के कई उपाय बताए गए हैं उनमें से सबसे प्रबल उपाय है सूर्य यंत्र की पूजा। सूर्य यंत्र की स्थापना करके आप जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता हासिल कर सकते हैं।  सूर्य यंत्र की स्थापना रविवार भगवान सूर्यदेव का दिन है। सूर्य यंत्र की स्थापना भी रविवार के दिन की जाती है। इसके लिए किसी भी रविवार के दिन सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करके स्वच्छ श्वेत वस्त्र धारण करें। अपने पूजा स्थान में सफाई करके, पोछा लगाकर शुद्ध श्वेत आसन बिछाकर पूर्व दिशा की ओर मुंह करके बैठ जाएं। इसके बाद पहले गाय के कच्चे दूध से और फिर गंगाजल से सूर्य यंत्र को पवित्र कर लें। स

कुंडली में चतुर्थेश पाप भाव (6,8,12 भाव)

कुंडली में चतुर्थेश पाप भाव (6,8,12 भाव) में हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपनी गृह संपत्ति या घर की प्राप्ति में बहुत बाधाएं और उतार चढाव का सामना करना पड़ता है. चतुर्थेश यदि अपनी नीच राशि में हो तो भी व्यक्ति को अपने घर की प्राप्ति या सुख में संघर्ष का सामना करना पड़ता है. यदि चतुर्थ भाव में कोई पाप योग (ग्रहण योग, गुरुचांडाल योग, अंगारक योग आदि) बन रहा हो तो ऐसे में व्यक्ति को अपने घर का सुख नहीं मिल पाता या बहुत संघर्ष के बाद ही व्यक्ति अपनी गृह संपत्ति अर्जित कर पाता है. चतुर्थ भाव में पाप ग्रहों का नीच राशि में बैठना भी व्यक्ति को अपने घर या मकान का सुख नहीं मिलने देता. यदि कुंडली में शुक्र नीच राशि (कन्या) में हो, अष्टम भाव में हो या पाप ग्रहों से अति पीड़ित हो तो भी व्यक्ति को अपने घर के सुख में बहुत बाधाएं आती हैं. शुक्र को ऐश्वर्य और वैभव का कारक है. अतः यदि कुंडली में शुक्र बहुत बलि हो तो व्यक्ति को उच्चस्तरीय गृह संपत्ति का सुख मिलता है. ऐसा व्यक्ति अच्छी संपत्ति और वैभव को प्राप्त करता है. यदि कुंडली में चतुर्थ भाव तो अच्छा हो पर शुक्र कमजोर या पीड़ित हो तो ऐसे में व्यक्ति को घर की

वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल प्रथम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- प्रथम भाव को मंगल पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक उग्र प्रकृति के होते हैं | ऐसे जातकों की पत्नी बहुत कम अवस्था में ही इनका साथ छोड़ देती है | ऐसे व्यक्ति राजमान्य और भूमि से धन प्राप्त करने वाले होते हैं | द्वितीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- दूसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को गुप्त रोग होने की विशेष संभावना रहती है | ऐसे व्यक्ति अल्प धनी और अपने कुटुंब से अलग रहने वाले होते हैं | परिश्रमी बहुत होते हैं मगर खिन्न चित्त रहने वाले होते हैं | तृतीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- तीसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को बड़े भाइयों का सुख प्राप्त नहीं होता | चूँकि ऐसे जातक बहुत पराक्रमी होते हैं | भाग्यवान भी होते हैं कभी-कभी अनुभव में ऐसा भी पाया है कि इनकी एक बहन वैधव्य को प्राप्त होती है | चतुर्थ भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से मंगल देखता हो तो ऐसे जातक माता-पिता के सुख

पंचक

पंचक विचार:-  भारतीय ज्योतिष के अनुसार जब चंद्रमा कुंभ राशि और मीन राशि पर रहता है तो उस समय को पंचक कहते हैं धनिष्ठा से रेवती तक जो 5 नक्षत्र धनिष्ठा शतभिषा पूर्वाभाद्रपद उत्तराभाद्रपद एवं रेवती होते हैं ।उन्हें पंचक कहते हैं  वार एवं प्रभाव:-  भारतीय ज्योतिष में पंचक को अशुभ माना जाता है। अतः पंचक में कुछ कार्य विशेष नहीं किए जाते हैं। रविवार:- अगर पंचक रविवार से प्रारंभ हो रहा है तो रोक पंचक कहा जाता है ।इसके प्रभाव में व्यक्ति शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करता है। इस दिन शुभ कार्य निषेध है। सोमवार :- सोमवार से शुरू हुए पंचक को राज पंचक कहा जाता है यह पंचक काफी शुभ माना जाता है ।इस दौरान सरकारी कार्य में सफलता हासिल होती है । बिना किसी बाधा के संपत्ति से जुड़े मसलों का निदान होता है।  मंगलवार :- मंगलवार को अग्नि पंचक आता है। यह अशुभ माना जाता है। मान्यता है इस दिन औजारों से की खरीदारी निर्माण का कार्य नहीं किया जाना चाहिए। बुधवार/ बृहस्पतिवार:- बुधवार और गुरुवार को शुरू हो रहे हैं तो उन्हें ज्यादा अशुभ नहीं माना जाता है। पंचक के मुख्य निषेध  कार्यों को छोड़कर कोई भी कार्य क

गोचर ग्रहों का फल :-

गोचर ग्रहों का फल :- गोचर शब्द "गम" धातु से बना है, जिसका अर्थ है "चलने वाला"।"चर" शब्द का अर्थ है "गतिमय होना"। इस प्रकार "गोचर" काअर्थ हुआ-"निरन्तर चलने वाला"।ब्रह्माण में स्थित ग्रह अपनी-अपनी धुरी पर अपनी गति से निरन्तर भ्रमण करते रहते हैं। इस भ्रमण के दौरान वे एक राशि से दूसरी राशि में प्रवेश करते हैं। ग्रहों के इस प्रकार राशि परिवर्तन करने के उपरांत दूसरी राशि में उनकी स्थिति को ही "गोचर" कहा जाता है। प्रत्येक ग्रह का जातक की जन्मराशि से विभिन्न भावों "गोचर" भावानुसार शुभ-अशुभ फल देता है। भ्रमण काल:- सूर्य,शुक्र,बुध का भ्रमण काल १ माह, चंद्र का सवा दो दिन, मंगलका ५७ दिन, गुरू का १ वर्ष,राहु-केतु का डेढ़ वर्ष व शनि का भ्रमणका ढ़ाई वर्ष होता है अर्थात ये ग्रह इतने समय में एक राशि में रहते हैं तत्पश्चात ये अपनी राशि-परिवर्तन करते हैं। विभिन्न ग्रहों का "गोचर" :- अनुसार फल- १. सूर्य:-सूर्य जन्मकालीन राशि से ३,६,१० और ११ वें भाव मेंशुभ फल देता है। शेष भावों में सूर्य का फल अशुभ देता है। २. चंद्र:-चं

शुक्र

शुक्र उदय: सुखों के प्रदाता शुक्र का वृश्चिक राशि में उदय हो रहा है। शुक्र 02 अक्टूबर को अस्त हुए थे और अब पूरे 50 दिन बाद  आज रविवार 20 नवंबर को शुक्र का उदय हो रहा है। मेरा मानना है कि उदयवान शुक्र तीन राशि के जातकों के लिए बहुत लाभकारी रहेगा। इन जातकों को करियर, कारोबार और आर्थिक मोर्चे पर खूब लाभ होगा। तो जानते हैं कि शुक्र के उदय होने से किन-किन राशि वाले जातकों की किस्मत चमकने वाली है। वृश्चिक- संयोगवश शुक्र का उदय वृश्चिक राशि में होने जा रहा है। शुक्र के उदय होने से वृश्चिक राशि को बहुत अच्छे परिणाम मिलेंगे। इस राशि के जातकों को धन लाभ के कई अवसर प्राप्त होंगे। इनकी आय में वृद्धि के योग बन रहे हैं। आय के स्रोत भी बढ़ सकते हैं। नौकरीपेशा और कोराबारी दोनों तरह के जातकों को जबरदस्त लाभ मिलने की संभावना है। मान-सम्मान में वृद्धि होगी और पराक्रम बढ़ा हुआ रहेगा। सेहत के लिहाज से भी शुक्र का उदय इन राशी वालों के लिए बहुत शुभ माना जा रहा है। कुंभ- इस राशि के जातकों के लिए भी शुक्र का उदय बहुत ही अच्छे परिणाम लेकर आने वाला रहेगा। करियर और कारोबार में अच्छा लाभ मिलेगा। नौकरी में इन्क्रीम

वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल

🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 वैदिक ज्योतिष में मंगल देवता का सभी भावों में दृष्टि फल 🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃 प्रथम भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- प्रथम भाव को मंगल पूर्ण दृष्टि से देखता हो तो ऐसे जातक उग्र प्रकृति के होते हैं | ऐसे जातकों की पत्नी बहुत कम अवस्था में ही इनका साथ छोड़ देती है | ऐसे व्यक्ति राजमान्य और भूमि से धन प्राप्त करने वाले होते हैं | द्वितीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- दूसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को गुप्त रोग होने की विशेष संभावना रहती है | ऐसे व्यक्ति अल्प धनी और अपने कुटुंब से अलग रहने वाले होते हैं | परिश्रमी बहुत होते हैं मगर खिन्न चित्त रहने वाले होते हैं | तृतीय भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- तीसरे भाव को मंगल जो पूर्ण दृष्टि से देखता है तो ऐसे व्यक्तियों को बड़े भाइयों का सुख प्राप्त नहीं होता | चूँकि ऐसे जातक बहुत पराक्रमी होते हैं | भाग्यवान भी होते हैं कभी-कभी अनुभव में ऐसा भी पाया है कि इनकी एक बहन वैधव्य को प्राप्त होती है | चतुर्थ भाव पर मंगल की पूर्ण दृष्टि का फल- चौथे भाव को पूर्ण दृष्टि से मंगल देखता हो तो ऐसे जा

लग्न में केतु

लग्न में केतु (KETU in 1st House) लग्न में किन ग्रहों का असर पहले से विद्यमान रहता है.. ° लग्न स्वामी... मंगल(क्योंकि लग्न आपका शरीर है और शरीर का कारक मंगल है) ° कारक ग्रह...  सूर्य (सूर्य अर्थात् आत्मा जो शरीर यानी मंगल में वास करती है यह भी लग्न में बैठती है) Energic Equation==> 1st H = Mars+ Sun If Ketu is in 1st house= KETU x(मंगल+ सूर्य) ==> (केतु x मंगल)+ (केतु x सूर्य) अब सबसे पहले ये देखना आवश्यक है कि केतु पॉजिटिव मोड में सेट है गुरु द्वारा या नही (पिछली पोस्ट में यह समझाया जा चुका है) *केतु इन पॉजिटिव मोड__ i) अपने धर्म का पक्का होगा, अपनी पहचान का ध्वज गिरने न देगा, अपने खानदान का नाम रोशन करने वाला, विनम्र पर बहादुर, यात्रा करने का शौकीन, अपने गुरु/ मालिक/ पिता, के प्रति समर्पित और वफादार, खर्च करने का शौकीन, कुछ अजीब सा दिखने वाला जैसे शरीर में कहीं चोट चपेट या खराबी लगने या बचपन से ही कोई विक्लांगता हो यदि मंगल कुंडली में कहीं खराब अवस्था में बैठा हो तब लेकिन फिर भी ऐसा जातक कुछ अजीब होता है चाहे शारीरिक रूप से या चाहे बौद्धिक रूप से... जैसे, मेरा व्यक्तिगत अनुभव ह

कहानी

(((( माता शबरी की कथा )))) . बात भगवान राम के जन्म से पहले की है, जब भील आदिवासी कबीले के मुखिया अज के घर बेटी पैदा हुई थी।  . उसका एक नाम श्रमणा और दूसरा नाम शबरी रखा गया। शबरी की मां इन्दुमति उसे खूब प्यार करती थी।  . बचपन से ही शबरी पशु-पक्षियों की भाषा समझकर उनसे बातें करती और जब सबरी की मां उसे देखती, तो कुछ समझ नहीं पाती थी। . कुछ समय बाद एक पंडित ने शबरी के परिवार को बताया कि वो आगे चलकर संन्यासी बन सकती है।  . इस बात का पता चलते ही शबरी के पिता ने उसका रिश्ता तय कर दिया।  . जैसे ही शादी का दिन नजदीक आया, शबरी के घर वालों ने खूब सारी बकरियां और अन्य जानवर घर के पास लाकर बांध दिए। . एक दिन शबरी का मां जब उसके बाल बना रही थी, तो उसने मां से पूछा, “इतने सारे जानवर हमारे घर क्यों लाए गए हैं।” . मां ने जवाब दिया, ‘बेटी, तुम्हारा विवाह होने वाला है, इसलिए हम लोगों ने इनका इंतजाम बलि के लिए किया है।  . तुम्हारी शादी के दिन ही बलि प्रथा होगी और फिर इनसे स्वादिष्ट भोजन बनाकर सबको परोसा जाएगा।’  . यह सब सुनकर शबरी दुखी हो गई। काफी देर तक शबरी ने उन जानवरों को आजाद करने के बारे में सोचा। .

आजकल की जीवन शैली में पाचन तंत्र में कोई न कोई समस्या अवश्य रहती है

आजकल की जीवन शैली में पाचन तंत्र में कोई न कोई समस्या अवश्य रहती है कार्यभार की अधिकता एव समय की कमी के कारण और शहरी जीवन मे देर रात भोजन करने से ना तो भोजन सही से हजम हो पाता है और न सही से रस बनता देर रात भोजन करने से फिर समय पर नींद नही आती और सुबह देर तक सोते रहने से और फिर उठते ही कार्य व्यापार की भागमभाग से व्यक्ति तनाव में रहने लगता है इन सभी से निदान के लिए प्रति वर्ष एक माह टॉनिक एव एक माह पाक लेने से शरीर भी स्वस्थ रहता है और मन मस्तिष्क भी स्वस्थ रहते है केवल साल में दो माह टॉनिक अवलेह या पाक लेने से पूरे साल भर शरीर को बल मिलता रहता है गैस खट्टी डकार एसिडिटी आदि से निजात पाने को देशी विधि से बनाया प्राकृतिक वनस्पतियों के समिश्रण से युक्त शुभ मुहूर्त एव ग्रह नक्षत्रों से शुभ प्रभाव में बनी चूर्ण लेकर अपना तन मन मस्तिष्क स्वस्थ रखे एक बार लेकर स्वयं परीक्षण करे और लाभ पाए सभी चूर्ण पाक अवलेह टॉनिक मुरब्बे एकदम प्राकृतिक विधि से देशी वनस्पतियो द्वारा बनाया हुआ है किसी तरह का कोई केमिकल या एसेस का प्रयोग नही किया गया

बुध

बुध  बुध तो बड़ा मजेदार ग्रह है। जिसके साथ बैठ जाये वैसा बन जाये। वो गीता में भगवान बोलते है न कि तुम मुझे जिस रूप में ध्यावोगे उसी रूप में दर्शन दूंगा। बुद्ध प्रभावी व्यक्ति केबसाथ आप जैसा व्यवहार करोगे वो भी आपके साथ वैसा ही करेगा क्योंकि वो तो आपके रंग में रंग जाएगा। लेकिन अंदर से जातक अपने गुणों को बनाये रखेगा। बुद्ध ग्रहण करने की क्षमता है अतः विद्यार्थियों के लिए बुध या पंचम भाव बलि होना जरूरी। इसी लिए सभी शास्त्रो में पंचम में शुभ का बैठा बुद्ध बहुत जबरदस्त बुद्धि शाली ओर शुभ का बताया गया है। वृषभ ओर कुम्भ लग्न में तो ये राजयोग बताना है। ऐसा जातक अपनी बुद्धि के बल पे कुल का नाम रोशन करता है। पंचम का शुभ का बुध हो तो जातक बिना गुरु के ही अपने आप को विकसित कर लेता है। क्योंकि जातक के बुद्धि , ग्रहण करने की क्षमता जबर दस्त होती है। यही बुध कालपुरुष में 3 ओर 6 भाव का भी मालिक। मतलब बुध भी कम नही है। बुध की दोनों रशिया भी द्विस्वभाव। त्रिक, trishadaayash, उपचय में आये। बुध तांत्रिक तंत्र भी तो है। दिमाग को चार्ज रखता है हमेशा। ओर सबसे बड़ी बात बुद्ध आदमी को adjustable बनाये। किसी भी पर

धन देने वाले योग।

धन देने वाले योग।। ■■■■■■■■■■ 1】अचानक धन लाभ(3,6,5,10,11)जब सम्बन्ध बने तो अचानक धन लाभ होगा। 2】राहु जब(3,6,10,11)धन लाभ देता है और गुरु कारक ग्रह  पोजीशन अच्छा होतो धन देता है। A) 3rd भाव ◆Short cut के माध्यम से धन लाभ देता है। B) राहु ग्रह -सपने दिखता है जो अचानक अपने फल देता है। C) 6th भाव -- प्लान बनाता है, हार्ड वर्क करता है D) 10th भाव -सम्मान देता है, कर्म में विश्वास रखता है E) 11th भाव- कर्म का फल देता है लाभ स्थान है लाभ देता है 💐 वे 7 नक्षत्र जिसमे राहु बना देता है धन देता है। 【राहु जब इन 7 नक्षत्रों में होतो अकूत धन देता है】    ■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■■ 💐 विशाखा नक्षत्र★ इसके स्वामी गुरु होता है जातक अकेले बैठ कर प्लान कार्रत है, जो सब से अलग करता है और सफल होता है. 💐रोहाणी नक्षत्र★ये विषभ राशि मे और रोहाणी नक्षत्र (शुक+चंद्र)luxry life और धन देता है। 💐भरनी नक्षत्र★ भरनी के स्वामी शुक और राशि के स्वामी मंगल (शुक्र+मंगल) अधिक ऊर्जा मेहनती बनाता है जो धन के पीछे दीवाना हो जाता है और सफल होता है। 💐हस्त नक्षत्र★राशि स्वामी शुक और नक्षत्र स्वामी चंद्र जो (शुक्र+चंद) लक्ष्मी योग

शनि देव

भाव, राशि, सातवे भाव का शनि और ज्योतिष इस लेख के शुरू होने से पहले हम भाव और राशि में फर्क जान लेते हैं कुंडली में बारह भाव और बारह ही राशियां होती हैं, भाव स्थिर होते हैं लेकिन राशियां सूर्योदय के साथ बदलती रहती हैं। कुंडली में जो आपको संख्या दिखती है वह राशि होती है और जो बारह खाने दिखते हैं वह भाव होते हैं बीच के चार खाने ऊपर से बायीं ओर प्रथम, चतुर्थ, सप्तम और दशम भाव होते हैं। इसी तरह के क्रम चलता रहता है जिसके जन्म के समय जो राशी उदित होती है वह उस व्यक्ति का लग्न बन जाती है और जिस राशि में जन्मकुंडली में चंद्रमा होता है वह उस व्यक्ति की राशि, उदाहरण के लिए अगर बीच के खाने में 6 नंबर है और और चंद्रमा 10 नंबर यानि पांचवे भाव में है तो हम कह सकते हैं जातक का जन्म कन्या लग्न में हुआ है और उसकी राशि मकर है। वैसे तो मैं एक ग्रह के आधार पर होने वाले फलादेश का कभी पक्षधर नहीं रहा हूं लेकिन सातवे भाव में शनि का फलादेश मुझे बहुत रोचक लगता है इसलिए कुछ अनुभव साझा करना चाहता हूं, सातवें भाव में जब शनि होता है तो वह तीसरी दृष्टि से भाग्य भाव को देखता है सातवीं दृष्टि से लग्न को और दसवीं दृष्

अच्छे_स्वास्थय_के_सूचक

#अच्छे_स्वास्थय_के_सूचक 3. लग्न या लग्नेश का शुभ-मध्य होना लग्न या लग्नेश से दूसरे अथवा बाहरवें स्थान में यदि शुभ ग्रह स्थित होता है यानि शुभ कर्तरी योग मे होता है तो यह स्वास्थ्य के लिए अच्छा है । शुभ ग्रहों के मध्य कोई भी भाव या ग्रह होता है तो वह अच्छे फल देता है । 4. चन्द्र का पीड़ित न होना स्वास्थ्य व आयु के लिए बली चन्द्र अनुकूल होता है । बल चन्द्र उत्तम मानसिक स्वास्थ्य देता है । चन्द्रमा के दोनों ओर शुभ ग्रह हैं तो अच्छा मानसिक व शारीरिक स्वास्थ्य देता है। 5. 3,6,11 भावों में पाप ग्रह त्रिषडाय भाव को अशुभ माना जाता है । 3,6,11 त्रिषडाय भाव है अगर इन  भावो में पाप ग्रह हों तो अच्छा स्वास्थ्य देता है । जब इन भावों में यदि पाप ग्रह होते हैं वह अच्छा स्वास्थ्य देते हैं शारीरिक शक्ति बढ़ाते हैं । रोगों को नष्ट करके रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ाते हैं । 6. त्रिकोण में शुभ ग्रह यदि त्रिकोण में शुभ ग्रह होते हैं तो वह स्वास्थ्य के लिए अच्छे माने जाते हैं । 7. केन्द्र में शुभ ग्रह केन्द्र हमारी कुंडली के स्तम्भ हैं । शुभ ग्रहों का केन्द्र में होना अच्छा नहीं माना गया है । अच्छे स्वास्थ्य के

5 th house

#SUN #5th HOUSE and the reason why they are regarded as the Origin of Life and Creation Compiled with the help of various online sources Sage Parashara’s Encyclopedic Scripture of Astrology The Brihat Parashara Hora Shastra Chapter 13, Verse 6 “The Fifth House” ORIGINAL SANSKRIT yantra mantrai tathaa vidyaM buddhesh chaiva prabandhakam putra raajyaapabhraMshaadin pashyet putraalayaad budhah WORD-FOR-WORD TRANSLITERATION yantra – instrument, apparatus, engine, machine, magical/ mystical diagram/ talisman/ amulet; mantra – instrument of thought, formulas of knowledge, confidential designs & plans, concil, advice, spells; tathaa – thus; vidyaM – knowledge, science, learning, scholarship, philosophy; buddheh – the power of forming and retaining conceptions, intelligence, reason, discernment; cha – and; eva – certainly; prabandhakam – forming of connections, editing, authoring, managing, designing; putra – children; raajya-apabhraMsha – preventing a fall from sovereignty: adi – etc; pas

कुंडली और पंचम भाव

कुंडली और पंचम भाव पंचम भाव ज्ञान है, पंचम भाव उच्च शिक्षा है, पंचम भाव प्रेम है, पंचम भाव विद्या है,  पंचम भाव नवम भाव से, नवम होकर भाग्य का भाव भी है, पंचम भाव और पंचमेश आपका इष्टदेव भी है पंचम भाव से आपके विद्या धन धर्म ज्ञान संस्कार सब का पता चलता है गुरु या बुध का इस भाव पर प्रभाव सोने पर सुहागा वाली स्थिति बनाती है पंचम भाव से प्रेम संबंध, प्रेमिका की स्थिति का भी पता चलता है कुंडली में अगर पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव से हो जाए तो यही स्थिति प्रेम विवाह की स्थिति को बतलाता है पंचम भाव से उच्च शिक्षा का भी पता चलता है जब पंचमेश पंचम भाव को देखें या इसका संबंध अष्टमेश हो जाए तो जातक रिसर्च से जुड़ता है पंचम भाव से संतान की भी स्थिति का पता चलता है अगर पंचम भाव में सूर्य मंगल या पंचमेश का संबंध पुरुष ग्रह से हो तो पुत्र संतान की स्थिति देखी जाती है अगर पंचमेश निर्बल या अस्त हो तो संतान संबंधित समस्या होती है पंचमेश का संबंध अगर लगनेश से या भाग्यश से हो एक बहुत बड़ा राज्योग का निर्माण होता है पंचम भाव पर राहु की स्थिति शिक्षा में व्यवधान बच्चे का गर्भपात होना पेट संबंधित समस्या को दर

कुन्डली में एकादश भाव

कुन्डली में एकादश भाव लाभ का भाव 11 हाउस की भूमिका एकादश स्थान ही वह स्थान है जिससे मनुष्य को जीवन में प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभ ज्ञात हो सकते हैं इसलिए इसे लाभ स्थान भी कहा जाता है एकादश भाव दशम स्थान(कर्म) से द्वितीय है  अतः कर्मों से प्राप्त होने वाले लाभ या आय एकादश भाव से देखे जाते हैं मनुष्य को प्राप्त होने वाली प्राप्तियों के संबंध में एकादश भाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव है | एकादश भाव से निम्नलिखित विषयों का विचार किया जाता है- आय या लाभ- एकादश भाव व्यक्ति को मिलने वाले लाभ या उसकी आय का सूचक है इस भाव में जिस भाव का स्वामी आकर बैठता है, उस भाव से प्राप्त होने वाली वस्तु की प्राप्ति व्यक्ति को होती है- यदि इस भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को राज्य व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है| यदि इस भाव में चन्द्र हो तो व्यक्ति को तरल पदार्थ, समुद्र यात्रा , कृषि से  जल के काम आदि से लाभ होता है यदि मंगल इस भाव में हो तो व्यक्ति को साहस, निडरता, , भूमि, अग्नि संबंधी कार्यों से लाभ मिलता है यदि बुध इस भाव में हो तो व्यक्ति को शिक्षण, लेखन व वाणी के द्वारा लाभ मिलता है यदि गुरु इस भाव

कुंडली और पंचम भाव

कुंडली और पंचम भाव पंचम भाव ज्ञान है, पंचम भाव उच्च शिक्षा है, पंचम भाव प्रेम है, पंचम भाव विद्या है,  पंचम भाव नवम भाव से, नवम होकर भाग्य का भाव भी है, पंचम भाव और पंचमेश आपका इष्टदेव भी है पंचम भाव से आपके विद्या धन धर्म ज्ञान संस्कार सब का पता चलता है गुरु या बुध का इस भाव पर प्रभाव सोने पर सुहागा वाली स्थिति बनाती है पंचम भाव से प्रेम संबंध, प्रेमिका की स्थिति का भी पता चलता है कुंडली में अगर पंचम भाव का संबंध सप्तम भाव से हो जाए तो यही स्थिति प्रेम विवाह की स्थिति को बतलाता है पंचम भाव से उच्च शिक्षा का भी पता चलता है जब पंचमेश पंचम भाव को देखें या इसका संबंध अष्टमेश हो जाए तो जातक रिसर्च से जुड़ता है पंचम भाव से संतान की भी स्थिति का पता चलता है अगर पंचम भाव में सूर्य मंगल या पंचमेश का संबंध पुरुष ग्रह से हो तो पुत्र संतान की स्थिति देखी जाती है अगर पंचमेश निर्बल या अस्त हो तो संतान संबंधित समस्या होती है पंचमेश का संबंध अगर लगनेश से या भाग्यश से हो एक बहुत बड़ा राज्योग का निर्माण होता है पंचम भाव पर राहु की स्थिति शिक्षा में व्यवधान बच्चे का गर्भपात होना पेट संबंधित समस्या को दर