Posts

Showing posts from December, 2022

शनि के अचूक फल

#448  ༒ शनि के अचूक फल ༒  1 . शनि की दृष्टि अपने घर के सिवाय सर्वत्र हानि करती है ।  2. छठे , आठवें तथा बारहवें भाव का कारक शनि इन भावों में हो तो लाभ करेगा ।  3 . आठवें भाव में शनि नीच का हो तो धनपति बनाएगा । शनि नीच का होकर वक्री हो तो करोड़ों का स्वामी बनाएगा ।  4. शनि , मीन , मकर , तुला व कुंभ राशि में लग्नस्थ हो तो व्यक्ति चिंतनशील , सुखी एवं ख्याति प्राप्त होता है । पर भाग्योदय मंद गति से होता है ।  5 . वृषलग्न में शनि नवम या दशम भाव में हो तो राजयोग बनेगा । ऐसा शनि सूर्य व बुध षष्ठ संबंध में से कोई संबंध कर ले तो अति योगप्रद होगा । अगर संयोग से जन्म राशि भी मकर या कुंभ हो तो उसको जब ढैया पनौती आएगी तो वह लाभप्रद होगी । यदि अनिष्ट का कुछ प्रभाव गोचर से बनता है तो वह अंत में होगा , क्योंकि राजयोगकारी ग्रह के प्रारंभ में प्रभाव प्रबल होता है ।  6 . वर्ष प्रवेश के लग्न वृष या तुला हो तो शनि शुभ फल देगा । यदि पनौती उसे चल रही हो तो भी नाम मात्र का कष्ट होगा ।  7. शुक्र + शनि में अभिन्न मित्रता है । अतः वृष या तुलालग्न में शनि शुभ फल प्रदान करेगा ।  8 . वर्ष में वृषलग्न हो और जलराशि म

केतु in नवम भाव 9th House ||

|| केतु in नवम भाव 9th House || Energic Equation (गुरु (ब्रह्मस्थान) = नवम भाव) नवम भाव में केतु = केतुx (गुरु) ==> केतु x गुरु(नवम भाव) नवम भाव आपकी कुंडली का ब्रह्मस्थान या सेंट्रल axis को रिप्रेजेंट करता है, क्योंकि यही वो भाव है जिसके इर्द गिर्द जातक घूमता है अपने जीवन को लेकर, यहीं से किस्मत की हवा का प्रवाह शुरू होता है, यही आपका भाग्य संभालती है, ये आपके कुल का निर्धारण करती है और परंपरा है आपके कुल की, आपकी उच्च शिक्षा और फिलॉस्फी यानी सिद्धांत यहीं से विकसित होता है, आपके जीवन में आपके ऊपर किसका वरदहस्त है और कौन है आपका गॉडफादर वो यही भाव है, इसीलिए इसे पिता और दादा जी का भी भाव कहा गया है, यानी ये आपके आधार हैं, इन्ही का हाथ और आशीर्वाद आपके ऊपर रहता है। ==> अब केतु का नवम भाव में बैठा होना क्या दर्शाता है... केतु फॉलोअर है पर दूसरी तरफ केतु अलग या पृथक करने वाला भी ग्रह है... 9वम भाव में बैठा केतु उच्च का माना जाता है क्योंकि यह देव गुरु बृहस्पति के पक्के घर में बैठा है और यह वही केतु है जो यहां सोने की लकड़ी यानी... ब्रह्म दंड बन जाता है... यह केतु दर्शाता है की वो अ

हां मै ही शनि हूँ*

*हां मै ही शनि हूँ* आप घबराइये नहीं, हाँ, मेरा ही नाम शनि है। लोगों ने बिना वजह मुझे हमेशा नुकसान पहुँचाने वाला ग्रह बताया है। फलस्वरूप लोग मेरे नाम से डर जाते हैं। मैं आपको यह स्पष्ट कर देना अपना दायित्व समझता हूँ कि मैं किसी भी व्यक्ति को अकारण परेशान नहीं करता। हाँ, यह बात अलग है कि मैंने जब भगवान् शिव की उपासना की थी, तब उन्होंने मुझे दण्डनायक ग्रह घोषित करके नवग्रहों में स्थान प्रदान किया था। यही कारण है कि मैं मनुष्य हो या देव, पशु हो या पक्षी, राजा हो या रंक-सब के लिये उनके कर्मानुसार उनके दण्ड का निर्णय करता हूँ। मैं दण्ड देने में निष्पक्ष निर्णय लेता हूँ फिर चाहे व्यक्ति का कर्म इस जन्म का हो या पूर्वजन्म का। सतयुग में ही नहीं, कलियुग में भी न्यायपालिका द्वारा चोरी-अपराध आदि की सजा देने का प्रावधान है। यह व्यवस्था समाज को आपराधिक प्रवृत्ति से बचाये रखने हेतु की गयी है, जिससे स्वच्छ समाज का निर्माण हो तथा अपराध पुनरावृत्ति न हो। मेरी निष्पक्षता और मेरा दण्डविधा जगजाहिर है। यदि किसीने अपराध या गलती की है तो देव हो या मनुष्य, पशु हो या पक्षी, माता हो या पिता मेरे लिये सब समान हैं

केतु

🌚#केतु🌚   🙏#नमस्कार #मित्रो🙏  आज बात करते हैं केतु ग्रह के बारे में। केतु और राहु हमेशा एक दूसरे के ऑपोजिट होते हैं  केतु लग्न में है तो राहु सप्तम में होगा राहु  लग्न में है तो केतु सप्तम में होगा।केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की चिंता जरूर देता है उसी स्थान से संबंधित क्षेत्रों में समस्या जरूर देता है कुंडली के 12 घरों में केतु जिस स्थान पर बैठता है उस स्थान की समस्या हर व्यक्ति को होती है किसी भी हजारों लाखों कुंडलियों में देख ले।  ✍️लग्न में केतु डिसीजन क्षमता कम करेगा साथ में यदि मंगल का प्रभाव हुआ यहां तो जैसे लोगों को ब्रेन हेमरेज जरूर होता है।   ✍️द्वितीय स्थान का केतु धन के लिए संघर्ष कर आएगा। इसका संबंध मुख से है वाणी से है ऐसे लोगों की वाणी ठीक नहीं होती परिवार में ऐसे लोगों का मतभेद जरूर रहता है  ऐसे जातक से परिवार वाले हमेशा ना खुश रहते हैं धन के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है जीवन में 41 वर्ष के बाद धन में स्थिरता आती है। कभी-कभी ऐसे ।लोगों के दांत आगे पीछे या एक के ऊपर एक ही होते हैं। ✍️ तृतीय स्थान का केतु -दाई भुजा में एक जख्म जरूर देता है छोटे भाई बहनों से वि

महर्षि वसिष्ठ कि गाय सेवा* ⛳

*🐂सुख समृद्धि का आधार गाय🐂*                 ⛳ *महर्षि वसिष्ठ कि गाय सेवा* ⛳ *ब्राह्मणाश्चैव गावश्च कुलमेकं द्विधा कृतम् ।* *एकत्र मन्त्रास्तिष्ठन्ति हविरन्यत्र तिष्ठति ॥* *उनके कथनानुसार गायों से सात्त्विक वातावरण का निर्माण होता है। गाये अत्यन्त पवित्र हैं, इसलिये जहाँ रहती हैं, वहाँ कोई भी दूषित तत्त्व नहीं रहता। उनके शरीर से दिव्य सुगन्ध युक्त वायु प्रवाहित होती है और नव प्रकारका कल्याण- -ही-कल्याण होता है।* *गावः पवित्रं परमं गावो माङ्गल्यमुत्तमम् ।* *गावः स्वर्गस्य सोपान गावो धन्याः सनातना• ॥*   *अर्थात् गौएँ स्वर्ग जाने की सीढ़ी है। गाएँ सब प्रकार की कल्याणमयी हैं। देवता तथा मनुष्य सबको भोजन देनेवाली भी गौएँ ही हैं।* *'अन्नमेव परं गावो देवाना हविरुत्तमम् ।*  *अर्थात् गौएँ समस्त प्राणियो को खिलाने-पिलाने एव जिलाने वाली है* *भगवान् वेदव्यास ने वेदान्तदर्शन मे - ' क्षीरवद्धि' इस सूत्र मे दिखाया है कि परमात्मा गाय के दूध की तरह शरीर मे स्थित है। बाहर दिखायी नहीं पड़ता, परतु शास्त्रीय विधान से उसका साक्षात्कार किया जा सकता है। इस प्रकार और भी दूसरे सूत्रों मे गाय के दूध

राहु

🌚#राहू🌚 राहु और केतु कोई ग्रह नहीं है यह छाया का प्रतीक है इनसे डरे ना।यह जिस राशि पर बैठते हैं उस राशि के ग्रह के अनुसार कार्य करते यदि वह कही ठीक स्थिति में नहीं है और कमजोर है तो और अधिक परेशान करते हैं। 🙏#नमस्कार #मित्रों🙏 #नवम स्थान में राहु है और उसकी दशा है तब ऐसे समय पर यदि जातक पर अभिभावक ध्यान ना दें तो परिवार को ऐसे जातक आतंकित करता है और नशे का आदि होकर सड़कों पर घूमते रहते। ✍️ राहु हमेशा 3,6और11 घर में ही शुभ फल देता है। ✍️ राहु हर व्यक्ति को 41,42 और 43 साल में प्रभावित करता है। ✍️राहु कुंडली में ठीक है और यदि उसकी दशा है खास करके राहु तृतीय या एकादश स्थान में है और राहु की दशा है साथ में उम्र भी 41 से 43 के बीच है तब ऐसे ज्यादा को राजा बनाने से कोई नहीं रोक सकता। ✍️ परिवार के लोगों से शत्रुता जातक इसी दशा में करता है और सारी सारी रात सड़कों पर घूमते रहता है।  #उपाय#👍👍👍 👌 हर शनिवार को शिवलिंग पर एक नारियल भेंट करें। 👌 रसोई में बैठकर भोजन करें।यह उपाय काफी प्रचलित है परंतु इसका जो मैंने कारण जाना है उसका मुख्य कारण है रसोई हमेशा अग्नि कोण में होती है अग्नि कोण में

guru

वैदिक ज्योतिष-कुंडली में बृहस्पति ग्रह  वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में बृहस्पति ग्रह को सेनापति भी कहा जाता है| ये एक राशि में लगभग 12 -13 महीना रहता है | कुंडली में बृहस्पति ग्रह को पति सुख, खजाना, धर्मशास्त्र, धन, ज्ञान ,आचार्य, अच्छा आचरण,ज्योतिष आदि का कारक माना गया है| इसके अलावा और भी विस्तार से बात करें तो यज्ञ,बड़ा भाई, राज्य से मान सम्मान,तपस्या, आध्यात्मिकता, श्रद्धा और विद्या इत्यादि का विचार भी बृहस्पति ग्रह से किया जाता है | कमजोर बृहस्पति ग्रह कुंडली के जिस घर में भी बैठे हों उसी घर से सम्बंधित चीजों की हानि कर सकते हैं। हालाँकि बृहस्पति ग्रह भाग्य, शारीरिक स्वास्थ्य, आध्यात्मिकता और शक्ति का प्रतीक है। वैदिक ज्योतिष के अध्ययन से पता चलता है कि कुंडली में बृहस्पति ग्रह ज्ञान है | एक शिक्षक है एक अच्छे मंत्री हैं और हमारे विचारों का विस्तार है। दरअसल बृहस्पति ग्रह से जुड़े कारकों पर नज़र डालें और उनके परिणामों का विश्लेषण करें तो गुरु ग्रह भौतिक धन की बजाय बुद्धि और ज्ञान धन की तरफ इशारा करता है। बृहस्पति ग्रह को धनु और मीन राशियों का स्वामी और कर्क राशि में उच्च का माना

rameshwar

Jyotirlinga/Chaar Dhaam Rameshwaram  Dhanushkodi, Pamban Bridge, Incredible India Tamil Nadu Tourism Ministry of Culture, Government of India Ministry of Tourism, Government of India Rameswaram means in Sanskrit “Lord of Rama, an epithet of Shiva, the presiding deity of Ramanathaswamy Temple. It is not only one of the 12 Jyotirlinga temple but also one of the Chaar Dhaam. Below content is taken from these 2 links: https://www.samanyagyan.com/eng/attraction-ramanathaswamy-temple-rameswaram-tamil-nadu https://www.ahospitalityclub.com/travel/sri-rameswaram-jyotirlinga-tamil-nadu/ There are two lingams kept in the sanctum sanctorum of the temple which are said to be built by Sita, one called Ramalingam and the other lingam was brought by Hanuman from Mount Kailash, called Vishwalingam. Rameshwaram has 50 holy wells (kunds), and 22 of these are inside the temple. The water of these wells is believed to possess medicinal properties. There are a total of 64 pilgrimages around it on Rameswaram

shivling

Shivling.... moon in d1...  Our atamakaraka in d9 1. #Rameshwaram shivling.... If your moon is in Aries sign or 1 house... you can worship this form of shivling. We all know in 1 house sun is strong ( exalted). So, if ur atamakaraka is sun then you can worship this form of shivling. Or to make sun strong u can worship this form of shivling. We will get success, power, name , respect, authority by worshiping Rameshwaram shivling. 2. #Somnath Shivling..... If your moon is in Taurus sign or 2 house... you can worship this form of shivling. We all know in 2 house moon is strong ( exalted). So, if ur atamakaraka is moon then you can worship this form of shivling. Or to make moon strong u can worship this form of shivling. We can get relief from mental stress, illness, lungs problem, kidney problems, helps in good relation with mother. 3.#Nageshwar shivling....If your moon is in Gemini sign or 3 house... you can worship this form of shivling. We all know in 3 house rahu is strong ( exalted).

ketu

🌟The Matrix Of Ketu 🌟For beginner learners of Jyotish This is a continuous series of “The Matrix of Rahu/Ketu”. Please refer back to the previous article for a better understanding. Although I wrote some articles about Rahu/Ketu, I would like to shed some on how to predict and determine the strength of Rahu/Ketu in the chart. Today, I will be focused on Ketu energy only. 🌟Disclaimer Whatever is written here is based on personal observation and opinion, therefore, you might find the information mentioned here is slightly different. The outcome will depend on your overall chart, thus, judge wisely. 🌟Understanding Ketu Energy Ketu is a karmic node that shows our past life, subconscious mind, and inner strength. Ketu is mastery, not detachment as people think. Its energy from within (inner power) will give us a life force to continue in life. Ketu is our comfort zone where we find solitude and calmness so that we can pursue Rahu. Ketu is the energy of our subconscious mind, where our l

shri yantra

वास्तु दोष बिना तोड़ फोड़ के ठीक करें। #astrology #Astro #jyotish #jyotishachary #Remdies #upay #planets #grah #श्रीयंत्र #shreeyantr  क्या आपको पता है की श्री यंत्र द्वारा वास्तु दोष का निवारण होता है? यदि आप वस्तु दोष निवारण हेतु तोड़ फोड़ करने जा रहे है तो रुक जाइए और एक बार घर में विधि विधान से पिरामिड श्री यंत्र को स्थापित करके देख लीजिए संभव है कि आपके लाखो रुपए बच जाए। वास्तु दोष के कारण घर में नकरात्मक ऊर्जा बनती है जिसके प्रभाव से अनेक प्रकार की समस्या होने लगती है।पिरामिड श्री यंत्र का निर्माण इस तरह से होता है की उससे टकरा कर घर के नकरात्मक ऊर्जा सकारात्मक ऊर्जा में बदल जाता है। श्री यंत्र घर में उत्तर दिशा या उत्तर पूर्व दिशा में स्थापित करे।उसे इस तरह से रखें कि चारो तरफ  स्थान खुला रहे जिससे किसी भी तरफ से आने वाले नकरात्मक ऊर्जा टकरा कर सकारात्मक ऊर्जा में परिवर्तित हो सके। श्री यंत्र के सामने घी का दीपक अवश्य जलाए घी में भी अदभुत शक्ति होती है नकरात्मक ऊर्जा नष्ट करने की। वास्तु दोष निवारण हेतु श्री यंत्र पीतल,पंचधातु,या अष्टधातु का उत्तम होता है। धन की कामना के लिए सोन

जाप करने की माला!!

जाप करने की माला!!!! सनातन धर्म में हर देवी-देवता की आराधना करने के लिए उनकी कृपा पाने के लिए मंत्र बताए गए हैं. इन मंत्रों का जाप करने के लिए माला का उपयोग भी किया जाता है. भले ही मंत्र अलग-अलग हों और देवी-देवता अलग-अलग हों लेकिन माला में मनकों की संख्‍या 108 ही होती है. हालांकि अलग-अलग देवी-देवता को प्रसन्‍न करने के लिए अलग-अलग मालाओं का उपयोग किया जाता है. जैसे स्‍फटिक, रुद्राक्ष, तुलसी, वैजयंती, मोतियों या रत्नों से बनी माला. इन मालाओं में 108 मनकों के अलावा एक और अलग मनका होता है, जिसे सुमेरू पर्वत कहते हैं. इस मनके को जाप में शामिल नहीं किया जाता है. रुद्राक्ष की माला!!!! मंत्रों का जाप करते समय इस माला का उपयोग सबसे ज्यादा किया जाता है। भगवान शिव को रुद्राक्ष बेहद ही प्रिय होती है। इसलिए महामृत्युंजय मन्त्र का जाप रुद्राक्ष की माला से ही करना चाहिए। मान्यता कि रुद्राक्ष की माला से मंत्र जाप करने देवाधिदेव भगवान शिव बहुत जल्दी प्रसन्न होते हैं। रुद्राक्ष की माला का अन्य देवताओं के लिए किए जाने वाले जप में भी प्रयोग किया जाता है। चंदन की माला!!!! चंदन की माला का प्रयोग काफी समय से

राहु संग ग्रहों के योग*********************

राहु संग ग्रहों के योग ********************* राहू के साथ चंद्र माँ का सुख कम होता है राहू संग मंगल भाई का सुख कम रहता है राहू संग गुरु विद्या सुख कम करता है राहु संग सूर्य पिता का सुख कम होता है राहू-संग बुध बुआ या मौसी बहन सुख कम होता है राहू-शनि -प्रेत श्राप होता है कारोबार नही चलता कामों में अड़चन चाचा से मुसीबत अथवा अच्छे रिश्ते नही होते और यदि राहू नीच का है तो कोर्ट कचहरी,मुकदमा जेल , ससुराल से परेशानी होती है कुंडली में ********* (1)-- राहू-संग चन्द्र -- मातृ श्राप . (२)- राहू-संग मंगल - भ्रात श्राप (3) राहू-संग शनि -प्रेत श्राप (४)-- राहू-संग सूर्य -- पित्र श्राप (5) राहू संग -शुक्र -- स्त्री दोष होने से लक्ष्मी रूठी रहती है विवाहिक सुख कम मिलता है इनके उपाय जितना जल्द हो कर लेने चाहिए ताकि परेशानियों से बचा जा सके !!! ***********जय श्री राम**************

विवाह बाधा योग और उपाय -

विवाह बाधा योग और उपाय - विवाह बाधा योग लड़के, लड़कियों की कुंडलियों में समान रूप से लागू होते हैं, अंतर केवल इतना है कि लड़कियों की कुंडली में गुरू की स्थिति पर विचार तथा लड़कों की कुंडलियों में शुक्र की विशेष स्थिति पर विचार करना होता है। (1) यदि कुंडली में सप्तम भाव ग्रह रहित हो और सप्तमेश बलहीन हो, सप्तम भाव पर शुभ ग्रहों की दृष्टि न हो तो, अच्छा पति/पत्नी मिल पाना संभव नहीं हो पाता है। (2) सप्तम भाव में बुध-शनि की युति होने पर भी दाम्पत्य सुख की हानि होती है। सप्तम भाव में यदि सूर्य, शनि, राहू-केतू आदि में से एकाधिक ग्रह हों अथवा इनमें से एकाधिक ग्रहों की दृष्टि हो तो भी दाम्पत्य सुख बिगड़ जाता है। (3) यदि कुण्डली में सप्तम भाव पर शुभाशुभ ग्रहों का प्रभाव हो तो पुनर्विवाह की संभावना रहती है। नवांश कुंडली में यदि मंगल या शुक्र का राशि परिवर्तन हो, या जन्म कुंडली में चंद्र, मंगल, शुक्र संयुक्त रूप से सप्तम भाव में हों, तो ये योग चरित्रहीनता का कारण बनते हैं, और इस कारण दाम्पत्य सुख बिगड़ सकता है। (4) यदि जन्मलग्न या चंद्र लग्न से सातवें या आठवें भाव में पाप ग्रह हों, या आठवें स्थान का स्व

मांगलिक-विचार

मांगलिक-विचार मंगल ग्रह किसी भी जन्म कुंडली में पाँच भावों में से किसी एक ही भाव पर होता है। यथा यदि 'मंगल' प्रथम भाव, चतुर्थ भाव, सप्तम, अष्टम या द्वादश भावों में से जिस किसी एक भाव में है, तो आप मांगलिक हैं.......!!!  यह उपरोक्त भाव जन्म-लग्न और चन्द्र-लग्न से यानि दोनों लग्नों से देखा जाता है। यदि उपरोक्त दोनों लग्नों से मांगलिक हैं, तो वह पूर्ण मांगलिक कहलायेगा और यदि उपरोक्त जन्म और चन्द्र लग्नों में से किसी एक ही लग्न से मांगलिक हैं, तो वह आंशिक मांगलिक कहलायेगा...! और यदि उपरोक्त मंगल की तरह  उन्हीं पाँच भावों  में  से किसी भी एक भाव में राहु , सूर्य और शनि ...इन तीनों ग्रहों में से कोई एक भी ग्रह हों,तो वह मांगलिक जातकों के मंगल दोष यानि मांगलिक दोषों को समाप्त कर देता है। इसलिए विवाह में मंगल परिहार ( घट-कुंभ -विवाह ) आदि के साथ सूर्य, शनि, राहु वाली जातिका से मांगलिक जातक का और ठीक इसी तरह की मांगलिक जातिका का उसी प्रकार के सूर्य, शनि, राहु वाले जातक से विवाह सम्पन्न होता है..! अथवा समान मांगलिक जातक-जातिका के साथ विवाह होता है। प्रेम-विवाह में कोई मांगलिक दोष नहीं हो

6th house

छठे भाव के कारक   ✓ छठा भाव बताता है कि आपको व्यापार में सफलता मिलेगी या प्रतियोगिता में।  यदि छठा भाव मजबूत स्थिति में है तो यह सफलता देता है।  यदि छठा भाव कमजोर स्थिति में हो तो यह रोग देता है।   ✓ छठा घर दसवें घर से नौवां घर है, जो कर्म का त्रिकोण घर है, जो कर्म का भाग्य घर है।  छठे घर का कारकत्व भी आंखें है, और भोजन भी आंखों से लिया जाता है।  यदि छठा भाव कमजोर हो तो दीर्घकालीन नेत्र रोग देता है।   ✓छठा भाव बड़ा राजयोग देता है।  6 भाव में क्रूर चंद्र, क्रूर ग्रह और शनि, मंगल ग्रह शुभ फल देते हैं।   ✓कार्य स्थान पर विचार करने के लिए कार्य स्थान (10H, 2H, 6H) अर्थात (त्रिकोण भाव 1,5,9 की ताकत) से देखें, 6H से व्यक्ति की क्षमता, संघर्ष और सफलता पर विचार किया जाता है।   ✓छठे भाव पर अशुभ ग्रहों की उपस्थिति प्रतियोगिता में सफलता दिलाती है और इन्हीं स्थानों से नीच भाव और विपरीत राजयोग भी बनते हैं।  |   ✓6 और 11 भाव का आदान-प्रदान शारीरिक रूप से बहुत अच्छे परिणाम देता है।  I  ✓मंगल (उच्च का) छठे भाव में बहुत अच्छे परिणाम देता है।  6 भाव में आत्मकेंद्रित अच्छे परिणाम देता है।   ✓छठे भाव में

बृहस्‍पति और आपकी कुंडली-🌺

🌺-बृहस्‍पति और आपकी कुंडली-🌺     """""""""""""""""""""""""""""""""""""""""" 🙏#नमस्कार #मित्रों 🙏 आज बात करते हैं जन्म कुंडली में बृहस्पति ग्रह के बारे में बृहस्पति (गुरु) ग्रह, समस्त ग्रह पिंडों में सबसे अधिक भारी और भीमकाय होने के कारण, गुरु अथवा बृहस्पति के नाम से जाना जाता है. यह पृथ्वी की कक्षा में मंगल के बाद स्थित है और, सूर्य को छोड़ कर, सभी अन्य ग्रहों से बड़ा है. इसे सूर्य की एक परिक्रमा करने में पृथ्‍वी के समयानुसार 12 वर्षों का समय लगता है. किसी भी मनुष्‍य की कुंडली के विभिन्न भावों में गुरु का प्रभाव उस व्यक्ति के लिए अच्‍छा और बुरा दोनों होता है. ज्योतिष शास्त्र के आधार पर बृहस्पति का वर्ण पीला, परंतु नेत्र और शिर के केश कुछ भूरापन लिए हुए होते हैं. यह समस्त ग्रहों में सर्वाधिक बलशाली एवं अत्यंत शुभ माना जाता है. इसकी वृत्ति कोमल होती है और यह संपत्ति तथा ज्ञान का

सफेद हकीक क्या है? –

सफेद हकीक क्या है? –  सफेद हकीक प्राकृतिक रूप से एक प्रकार का अनमोल रत्न है, जिसका उपयोग जातक करते हैं, तो उन्हें काफी सारे लाभ प्राप्त होते हैं। ऐसे तो बहुत सारे हकीक पाए जाते हैं। लेकिन इन सभी हक में से सफेद हकीक (सफेद हकीक)को बहुत ही शुभ और खास माना जाता है। सफ़ेद हकीक के फायदे। सफेद हकीक (सफेद हकीक)  को धारण करने से उस जातक के ऊपर कुंडली में लगे हुए चंद्रग्रहण को दूर करता है। इसके साथ साथ चंद्रमा के ग्रह दोष को दशा महादशा को भी दूर करता है, और इसके अलावा चंद्रमा का प्रकोप से भी जातकों को बचाता है। कुछ बातें हकीकी (सफेद हकीक)के बारे में भी जानते हैं। हकीक (सफेद हकीक) एक प्रकार का प्रकृतिक पत्थर है, या जिसे कहें कि कुदरत का दिया हुआ एक वरदान है। यह तो सच है, कि भगवान हर जगह तो नहीं हो सकते हैं, तो उनकी शक्ति हर जगह एक ही वक्त में तो नहीं जा सकती हैं, तो इन्हीं सब की वजह से कुछ रत्न के रूप में हमें शक्तियां मिलती है, और इन सभी चीजों से हमारी रक्षा करने का एक साधन भी बहुत ही अच्छा है। हकीक रत्न (सफेद हकीक)को शास्त्र और ज्योतिष के अनुसार बहुत ही शुभ माना जाता है, और ऐसा माना जाता है, कि

विभिन्न भावों में शनि की स्थिति का प्रभाव

विभिन्न भावों में शनि की स्थिति का प्रभाव प्रथम भाव में शनि तुला, मकर या कुभ राशि में प्रथम भाव मे शनि अत्यत भाग्यशाली, सुख-समृद्धि कारक है तथा राजकीय सेवा का अवसर देता है। अन्य राशियों में होने पर दुबला शरीर विलंब की प्रवृत्ति के साथ ही आत्मविश्वास प्रदान करता है किसी लक्ष्य की प्राप्ति में विलंब होगा, परंतु आखिरकार सफलता मिलेगी। द्वितीय भाव में शनि द्वितीय भाव मे तुला, मकर या कुभ राशि में : स्थित शनि आर्थिक स्थिति सुदृढ करता है। अन्य राशियो में स्थित होने पर कठिन परिश्रम से कम आय देता है, परंतु व्यक्ति युवावस्था 'युवावस्था के बाद घर से दूर रहकर धन कमाता है। तृतीय भाव में शनि साहसी, उदार, बुद्धिमान, शासन में उच्च पद, आर्थिक स्थिति के लिए शुभ, निराशा की प्रवृत्ति ।  चतुर्थ भाव में शनि बचपन में बीमारी / मो. अचल संपत्ति व वाहन के लिए अशुभ स्थिति, आलसी । पंचम भाव में शनि : शठ, दुष्ट बुद्धि, अस्थिर प्रारंभिक शिक्षा या माध्यमिक शिक्षा में व्यवधान सतान, ज्ञान, धन व पारिवारिक सुख मे कमी । षष्ठम भाव में शनि साहसी शत्रुओं पर विजय, अधिक भोजन करने वाला , लंबी चलने वाली परंतु कम कष्टवाली बीमार

गुरु

अष्टम भाव में गुरू का प्रभाव कुंडली का अष्टम भाव से व्याधि, आयु, मृत्यु के कारण समुद्र यात्रा इन सब बातों की जानकारी महें प्राप्त होती है। अष्टम भाव में गुरू स्थित होने से जातक दिर्घायु, सुखी होता है। अष्टम भाव को गुप्त वस्तुओं के बारे में जानने का होता है। गुरू के प्रभाव से जातक के भी गुप्त विद्याओ को जानने की व सीखने की संभावना होती है। अष्टम भाव मृत्यु व मृत्यु किस कारण होगी यह जानने की व सीखने की संभावना होती है। अष्टम भाव मृत्यु व मृत्यु किस कारण होगी यह जानने का होता है। अष्टम भाव से आयु के बारे में भी जाना जाता है। अष्टम भाव में गुरू स्थित होने से जातक की आयु लंबी होती है। गुरू के प्रभाव से जातक दीर्घआयु का होता है। जातक की मृत्यु के बारे में अष्टम भाव से जाना जाता है। अष्टम भाव में गुरू स्थित होने से जातक की मृत्यु अच्छी हालत में ही है। ऐसे जातक की मृत्यु किसी तीर्थस्थान में होने की संभावना होती है। गुरू, शुभ ग्रह होने से व देवगुरू होने से जातक की मृत्यु शांत अवस्था में होती है। अष्टम भाव के गुरू के प्रभाव से जातक में अच्छे व शुभ कर्म करने की प्रेरणा मिलती है। अष्टम भाव में गुर

चंद्रमा ग्रह की शांति हवन द्वारा।

चंद्रमा ग्रह की शांति हवन द्वारा। #astrology #Astro #jyotish #jyotishachary #Remdies #upay #planets #grah  चंद्र : चन्द्रमा माँ का सूचक है और मन का करक है। इसकी कर्क राशि है। कुंडली में चंद्र अशुभ होने पर। माता को किसी भी प्रकार का कष्ट या स्वास्थ्य को खतरा होता है, दुधारू पशु घर में नहीं टिकते हैं।स्मरण शक्ति कमजोर हो जाती है। मानसिक तनाव,मन में घबराहट,तरह तरह की शंका मन में आती है और मन में अनिश्चित भय व शंका रहती है,और सर्दी बनी रहती है। बहुत पीड़ित होने पर मन में आत्महत्या के विचार बार-बार आते रहते हैं। चन्द्रमा का रोग :- आँखों की बीमारी, कैल्शियम की कमी, मिरगी के दौरे, कफ संबंधित रोग, गला, छाती, मानसिक रोग, स्त्री संबंधित रोग, आलस,ये प्रमुख रोग है। समिधा:चंद्रमा की समिधा पलाश की लकड़ी साथ में आम की लकड़ी।लकड़ियां खूब सुखा लें फिर उपयोग में लाये। हव्य जो हवन में डालना है:- तिल, जौं, सफेद चन्दन का चूरा ,गुड़, अगर , तगर , गुग्गुल, जायफल, दालचीनी, पानड़ी(पान का पत्ता और सुपाड़ी) , लौंग , बड़ी इलायची , गोला (सुखी गरी), छुहारे, नागर मौथा , इन्द्र जौ , कपूर कचरी , आँवला ,गिलोय, जायफल, ब्रा

वैदिक ज्योतिष-कुंडली में शनि ग्रह

वैदिक ज्योतिष-कुंडली में शनि ग्रह  वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि ग्रह को कर्म का कारक और फलदाता माना गया है। शनि न्याय का देवता है । लेकिन लोगों को शनि का भय दिखाकर ठगा जाता है| क्योंकि सदियों से लोगों के दिलों में शनि का भय गहरे तक बैठ चुका है । जब भी किसी को दुःख कष्ट घेरते हैं वह व्यक्ति किसी न किसी ज्योतिषी या भविष्यवक्ता के पास जाता है| ज्योतिषी भी परेशानियों का कारण कुंडली में शनि ग्रह को ही बताते हैं । कुंडली में बारह खाने होते हैं जिन्हे घर या भाव भी कहा जाता है । शनि को तीन खानों (घरों या भावों ) में ही शुभ फल देने वाला माना गया है और वो है तीसरा, छठा और ग्यारहवां । वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि ग्रह जब चन्द्र राशि (जन्मसमय में चन्द्रमा जिस घर में हो ) से बारहवें , पहले तथा दुसरे स्थान पर आता है उसी समय को शनि की साढ़ेसाती कहा जाता है । शनि ग्रह प्रत्येक राशि में अढ़ाई साल रहता है मतलब साढ़े सात साल - मतलब साढ़ेसाती। वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि ग्रह रोग, विज्ञान, लोहा, खनिज, कर्मचारी, सेवक, जेल, आयु और दुख का कारक माना जाता है।जातक की कुंडली में यदि शन

भविष्य में धन लाभ देने वाले सपने:-

भविष्य में धन लाभ देने वाले सपने:- • सपने में तोता देखना धन लाभ होने का संकेत होता है। • सपने में गाय देखना या गाय को चारा खिलाना धन लाभ का योग बनाता है। • छोटे छोटे कीड़े मकोड़े देखना अचानक धन लाभ का योग बनाता है। • चमकता हुआ शिवलिंग सपने में देखना धन लाभ का योग बनाता है, बहुत बड़ी धन संपदा का योग मिलने का योग। • पर्वत पर खुद को देखना या पर्वत देखना भी धन लाभ का संकेत देता है। • माता लक्ष्मी को देखना, पैसे गिनते हुए देखना, धन लाभ के योग का संकेत। • सपने में सिर्फ कागज के नोट देखना शुभ कार्य में खर्च का योग बनाता है। • सपने में उल्लू नजर आए तो लाभ का योग ,अचानक धन लाभ, अगर उल्लू या कोई पक्षी आपको मारे तो धन हानि का योग बनाता है। • उल्लू या कोई पक्षी आपके ऊपर बैठा हों तो बढ़ा धन लाभ होने वाला है। • कमल का फूल देखना, तालाब देखना ,बड़े धन लाभ का योग बनाता है। * खुद को पोटी करते हुए देखना भी धन लाभ का संकेत देता है। * सपने में खुद को फटे पुराने कपड़ो में देखना धन लाभ का योग राम राम

दूर करे दारिद्र्य दहन स्तोत्र

 दूर करे दारिद्र्य दहन स्तोत्र          विश्वेश्वराय नरकार्णव तारणाय कर्णामृताय शशिशेखर धारणाय कर्पूरकांति धवलाय जटाधराय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… गौरी प्रियाय रजनीशकलाधराय कालान्तकाय भुजगाधिप कंकणाय गंगाधराय गजराज विमर्दनाय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… भक्तिप्रियाय भवरोग भयापहाय उग्राय दुर्गभवसागर तारणाय ज्योतिर्मयाय गुणनाम सुनृत्यकाय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… चर्माम्बराय शवभस्म विलेपनाय भालेक्षणाय मणिकुंडल मण्डिताय मंजीर पादयुगलाय जटाधराय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… पंचाननाय फनिराज विभूषणाय हेमांशुकाय भुवनत्रय मण्डिताय आनंदभूमिवरदाय तमोमयाय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… भानुप्रियाय भवसागर तारणाय कालान्तकाय कमलासन पूजिताय नेत्रत्रयाय शुभलक्षण लक्षिताय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… रामप्रियाय रघुनाथवरप्रदाय नागप्रियाय नरकार्णवतारणाय पुण्येषु पुण्यभरिताय सुरर्चिताय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय… मुक्तेश्वराय फलदाय गणेश्वराय गीतप्रियाय वृषभेश्वर वाहनाय मातंग चर्मवसनाय महेश्वराय दारिद्र्य दु:ख दहनाय नम: शिवाय…   अर्थ ===== जो विश्व के स्वामी हैं, जो नरकरूपी संसारसा

धनागम योग----

धनागम योग----   👉लग्नेश धन स्थान में, लाभेश दशम स्थान में व धनेश के अधिष्ठित नवांश का स्वामी नवम स्थान में अथवा वह शुभ ग्रह हो तो मनुष्य केवल नाम से धनी होता है।   👉चंद्रमा से उपचय स्थानों में शुभ ग्रह हो तो मनुष्य जल्दी धनवान हो जाता है।  👉 दशमेश का अधिष्ठित नवांशेश व एकादशेश यदि एकत्र स्थित हों, दशमेश व द्वितीयेश एक साथ केन्द्र या त्रिकोण में हों तो भी मनुष्य शीघ्र ही धनवान हो जाता है।  👉 धनेश यदि सिंहासनांश में हो। धनेश जिस राशि में स्थित हो उससे द्वितीय स्थान का स्वामी व लग्नेश यदि केन्द्रगत हों तो मनुष्य धनी होता है।   👉चार ग्रह स्वराशिगत हों तो भी मनुष्य धनवान होता है। बलवान धनेश यदि दशम, नवम या एकादश स्थान में हो अथवा चंद्र व मंगल का योग हो तो भी मनुष्य धनी होता है।  👉विभिन्न प्रकार के धनागम योग--- 〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️ .  1-👉अल्पधन योग:  〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️〰️  👉धनेश यदि केन्द्र या त्रिकोण में क्रूर षष्टयंश में हो। लाभेश का नवांशेश यदि कू्रर षष्टयांश में हो तथा शुक्र, गुरु में कोई एक उससे युति या दृष्टि संबंध करता हो तो मनुष्य कम धनवान होता है, अर्थात उसकी बचत बहुत कम हो

नज़र

नजर उतारने के उपाय- १- बच्चे ने दूध पीना या खाना छोड़ दिया हो, तो रोटी या दूध को बच्चे पर से ‘आठ’ बार उतार के कुत्ते या गाय को खिला दें। २- नमक, राई के दाने, पीली सरसों, मिर्च, पुरानी झाडू का एक टुकड़ा लेकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर से ‘आठ’ बार उतार कर अग्नि में जला दें। ‘नजर’ लगी होगी, तो मिर्चों की धांस नहीँ आयेगी। ३- जिस व्यक्ति पर शंका हो, उसे बुलाकर ‘नजर’ लगे व्यक्ति पर उससे हाथ फिरवाने से लाभ होता है। ४- पश्चिमी देशों में नजर लगने की आशंका के चलते ‘टच वुड’ कहकर लकड़ी के फर्नीचर को छू लेता है। ऐसी मान्यता है कि उसे नजर नहीं लगेगी। ५- गिरजाघर से पवित्र-जल लाकर पिलाने का भी चलन है। ६- इस्लाम धर्म के अनुसार ‘नजर’ वाले पर से ‘अण्डा’ या ‘जानवर की कलेजी’ उतार के ‘बीच चौराहे’ पर रख दें। दरगाह या कब्र से फूल और अगर-बत्ती की राख लाकर ‘नजर’ वाले के सिरहाने रख दें यानी में भी डाल दें। ७- थोड़ी सी राई, नमक, आटा या चोकर और ३, ५ या ७ लाल सूखी मिर्च लेकर, जिसे ‘नजर’ लगी हो, उसके सिर पर सात बार घुमाकर आग में डाल दें। ‘नजर’-दोष होने पर मिर्च जलने की गन्ध नहीं आती। ८- पुराने कपड़े की सात चिन्दियाँ लेकर,