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Showing posts from January, 2023

चंद्र

*आदित्यानामहं विष्णुर्ज्योतिषां रविरंश्रुमान् |* *मरीचिर्मरुतामस्मि नक्षत्राणामहं शशी || २१ ||*               ⛳ *शब्दार्थ* ⛳ आदित्यानाम् – आदित्यों में; अहम् – मैं हूँ; विष्णुः – परमेश्र्वर; ज्योतिषाम् – समस्त ज्योतियों में; रविः – सूर्य; अंशुमान् – किरणमाली, प्रकाशमान; मरीचिः – मरीचि; मरुताम् – मरुतों में; अस्मि – हूँ; नक्षत्राणाम् – तारों में; अहम् – मैं हूँ; शशि – चन्द्रमा |               ⛳ *भावार्थ* ⛳ मैं आदित्यों में विष्णु, प्रकाशों में तेजस्वी सूर्य, मरुतों में मरीचि तथा नक्षत्रों में चन्द्रमा हूँ |               ⛳ *तात्पर्य* ⛳ आदित्य बारह हैं, जिनमें कृष्ण प्रधान हैं | आकाश में टिमटिमाते ज्योतिपुंजों में सूर्य मुख्य है और ब्रह्मसंहिता में तो सूर्य को भगवान् का तेजस्वी नेत्र कहा गया है | अन्तरिक्ष में पचास प्रकार के वायु प्रवहमान हैं, जिनमें से वायु अधिष्ठाता मरीचि कृष्ण का प्रतिनिधि है | . नक्षत्रों में रात्रि के समय चन्द्रमा सर्वप्रमुख है, अतः वह कृष्ण का प्रतिनिधि है | इस श्लोक से प्रतीत होता है कि चन्द्रमा एक नक्षत्र है, अतः आकाश में टिमटिमाने वाले तारे भी सूर्यप्रकाश को परि

शुक्र

ग्रहों के अस्त होने का फल 🙏 मैंने आपको चंद्रमा मंगल बुध बृहस्पति के अस्त होने का फल बता दिया है आज मैं आपको शुक्र और शनि के अस्त होने का फल बताऊंगी 🙏 शुक्र ग्रह को काम और भोग तथा भौतिक सुख का कारक माना जाता है। यदि कुंडली में शुक्र ग्रह अस्त अवस्था में है तो ऐसे व्यक्ति को विवाह में समस्याओं का सामना करना पड़ता है। यदि वह जातक कोई महिला है तो उसे गर्भाशय का रोग हो सकता है या स्त्री रोग जैसी समस्याएं हो सकती हैं। अस्त शुक्र ग्रह स्थिति व्यक्ति को जननांगों के रोग या यौन रोग भी प्रदान कर सकती है। ऐसा व्यक्ति चरित्रहीन हो सकता है। उसको गुर्दों के रोग, आंखों की समस्या, मूत्राशय के रोग और त्वचा संबंधित समस्याएं भी हो सकती हैं।  यदि शुक्र का संबंध राहु अथवा केतु से हो तो वह व्यक्ति के मान सम्मान को हिला देता है। इसके अतिरिक्त कुंडली के छठे या आठवें भाव से संबंध होने पर व्यक्ति को बड़े रोग हो जाते हैं। यदि व्यक्ति विवाहित है तो जीवन साथी को भी स्वास्थ्य कष्ट काफी परेशान कर सकते हैं। यदि शुक्र का संबंध अस्त अवस्था में अष्टम भाव से हो जाए तो दांपत्य जीवन में समस्याएं आने लगती हैं और द्वादश भाव

rahu

राहु माया का एक रूप है शक्तिशाली या अच्छा राहु व्यक्ति को मल्टीटैलेंटेड बनाता है लेकिन कमजोर या बुरा होने पर वही राहु मानव मन को अलग-अलग दिशाओं में भटकाता है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति एक काम करने लगता है फिर कुछ और देखता है तो उसकी तरफ आकर्षित होकर पहले को अधूरा छोड़कर दूसरे में लग जाता है, इसी तरह दूसरे, तीसरे, चौथे का क्रम लगभग जीवन भर चलते ही रहता है।  राहु का सबसे अच्छा उपाय  धार्मिक/प्रेरणादायक कथाएं पढ़ना या सुनना। चिड़ियों को दाना देना। गरीब/जरूरतमंद बच्चों के लिए वाईफाई लगवाना या उन्हें इलेक्ट्रॉनिक गैजेट्स देना। मोबाइल/मैमोरी कार्ड फॉर्मेंट करना भी एक उपाय है। (जो शायद सबसे मुश्किल है) आप अपनी इच्छानुसार/सामर्थ्यनुसार कोई भी उपाय कर सकते हैं।

अष्टम भाव एवम रहस्य -*

*अष्टम भाव एवम रहस्य -* 👉 अष्टम भाव को आयु भाव अथवा मृत्यु भाव भी कहा जाता है, इस भाव से आयु, भय, मृत्यु, दुःख,छिपा हुआ अथवा गढ़ा धन, छिद्र, गूदा, छिपे शत्रु, छिपा ज्ञान, दुर्भाग्य, स्त्री के लिए मंगल स्थान होता है। 👉 शास्त्रो के अनुसार यहा बैठे ग्रह अशुभ परिणाम देने में बाधित होते है क्योकि यह कुंडली का सबसे ज्यादा दुखद भाव है, परन्तु विश्लेषण करने पर पता चला की अगर इस भाव का संबंध 3,6,12 से हो तो जातंक आर्थिक दृष्टि से सम्पन्न ही होता है। 👉 शनि यहां हो तो जातंक के उम्र को बढाता है, शुक्र हो तो मृत्यु के बाद मान सम्मान प्राप्त होता है, मंगल हो तो शस्त्र का भय होता है, दुर्घटना होने की संभावना, भाई अथवा मित्रो से विवाद, चंद्र हो तो जल का भय होता है, गुरु हो तो मृत्यु के पश्चात श्रीधाम मिलता है, राहु हो तो मृत्यु का कारण पता नही चलता इसीप्रकार केतु पीड़ा देता है। 👉8 वे भाव मे सूर्य होंने से मन मे अंजाना भय होता है कई बार आत्मविश्वास की कमी होती है, परन्तु जातंक के सामने किसी की मृत्यु नही होती, सामान्यतः बुध यहा शुभ फल देता है बस शनि, राहु एवम केतु द्वारा पीड़ित ना हों लेकिन जायदाद के

रत्न नीलम

🌄 रत्न नीलम  ✨✨लग्न अनुसार रत्न विचार ✨✨  ✨ मेष लग्न- के लिए शनि दशम और एकादश का स्वामी हैं । दोनों शुभ भाव हैं । तब भी एकादश भाव के स्वामित्व के कारण शनि को इस लग्न के लिए शुभ ग्रह नहीं माना है । परन्तु हम पूर्ण विश्वास के साथ कह सकते हैं कि यदि शनि द्वितीय , चतुर्थ , पंचम , दशम , एकादश या लग्न में स्थित हो तो शनि की महादशा में नीलम धारण करने से हर दशा में आशातीत लाभ होगा । ✨ वृषभ लग्न- के लिए शनि नवम और दशम भावों का स्वामी होने के कारण अत्यन्त शुभ और योगकारक ग्रह माना गया है । इसको नीलम धारण करने से सदा सुख , सम्पदा , समृद्धि , मान , प्रतिष्ठा , राज्यकृपा तथा धन की प्राप्ति होगी । शनि की महादशा में यदि नीलम लग्नेश के रत्न हीरे के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक सिद्ध होगा ।  ✨मिथुन लग्न- के लिए शनि अष्टम और नवम भावों का स्वामी होता है । नवम त्रिकोण का स्वामी होने से यह रत्न धारण किया जाए तो लाभदायक होगा । यदि नीलम को लग्नेश के रत्न पन्ने के साथ धारण किया जाए तो और भी उत्तम फलदायक होगा ।  ✨कर्क लग्न- के लिए शनि सप्तम ( मारक स्थान ) और अष्टम ( दुःस्थान ) भावों का स्वामी होने क

भावेशों के अनुसार विंशोत्तरी दशा का फल ✨

✨भावेशों के अनुसार विंशोत्तरी दशा का फल ✨ (१) लग्नेश की दशा में शारीरिक सुख, धनलाभ और स्त्री से कष्ट होता है। (२) धनेश की दशा में धनलाभ, पर शारीरिक कष्ट भी होता है। यदि धनेश पापग्रह से युत हो, तो मृत्यु जातक की भी हो जाती है। (३) तृतीयेश की दशा कष्टकारक, चिन्ताजनक और सामान्य आय करानेवाली होती है।  (४) चतुर्थेश की दशा में घर, वाहन, भूमि आदि के लाभ के साथ माता, मित्रादि और स्वयं को शारीरिक सुख होता है। चतुर्थेश बलवान्, शुभग्रहों से दृष्ट हो, तो इसकी दशा में जातक नया मकान का निर्माण करवाता है। लाभेश और चतुर्थेश दोनों दशम या चतुर्थ में हों, तो इस ग्रह की दशा में जातक मिल या बड़ा कारोबार करता है। लेकिन इस दशाकाल में पिता को कष्ट रहता है। विद्यालाभ, विश्वविद्यालयों की बड़ी डिग्रिय प्राप्त होती हैं। यदि जातक को यह दशा अपने विद्यार्थीकाल में नहीं मिले तो अ समय में इसके काल में विद्या द्वारा यश की प्राप्ति होती है। (५) पंचमेश की दशा में धनलाभ, सम्मानवृद्धि, सुबुद्धि, माता की मृत्यु या माता को पीड़ा होती है। यदि पंचमेश पुरुषग्रह हो, तो पुत्र, और स्त्रीग्रह हो तो कन्या सन्तान की प्रापि का भी योग

कुंडली में आत्मकारक ग्रह

कुंडली में आत्मकारक ग्रह भविष्य निर्माण में आत्मकारक ग्रह की स्थिति निर्णायक होती है। व्यक्ति के भविष्य कथन के समय लग्न, चंद्र व आत्मकारक ग्रह का विचार करते हैं। आत्मकारक ग्रह शुभ हो तो अपनी दशा में शुभफल देता है। जैमिनी ऋषि के मतानुसार लग्न से भी अधिक महžव आत्मकारक ग्रह का है। प्रत्येक कुंडली में ग्रहों को स्पष्ट कर उसके राशि, अंश, कला, विकला, अंकित होते हैं। अर्थात व्यक्ति के जन्म समय पर कौन सा ग्रह कितने अंश-कला-विकला भोग चुका है, उसे दर्शाया जाता है। सूर्य से लेकर राहु तक आठों ग्रहों में जिसके अंश सबसे ज्यादा होते हैं, वही ग्रह कुंडली में आत्मकारक ग्रह कहलाता है। केतु को इसमें शामिल नहीं करते। क्योंकि राहु और केतु के अंशादि समान ही होते हैं। ग्रहों के अंशों के आधार पर आत्मकारक ग्रह का निर्धारण किया जाता है। सबसे अधिक अंश वाला ग्रह आत्मकारक, उससे कम अंश वाला ग्रह अमात्यकारक, उससे कम अंश वाला भ्रात, मातृकारक, पुत्रकारक, पितृकारक, जातिकारक व स्वीकारक होता है। कुछ आचार्यों के मतानुसार मातृकारक ग्रह ही पुत्रकारक होता है। योगादि में आत्मकारक व अमात्यकारक ग्रह मिलकर राजयोग का निर्माण करते

केतु मंगल एवं शनि

केतु मंगल एवं शनि के नकारात्मक प्रभाव को दूर करने का उपाय एव मुहूर्त दिनांक 31जनवरी 2023 माघ मास शुक्ल पक्ष दसमी तिथि मंगलवासरे रोहिणी नक्षत्र  दोपहर 12 बजे पूर्व 1.जिसकी जन्मपत्रिका में मंगल,शनि, एवं केतु नकारात्मक हो और वर्तमान में कर्ज एव कार्यवरोध की स्थिति उत्पन्न हो रही हो 2. जिनके पारिवारिक रिश्तों में धन संपत्ति के कारण मनमुटाव हो या न्यायालय से बाधित हो 3.वित्तिय लेनदेन समय पर न हो रहा हो या कर्ज लम्बे समय से हो 4.जिनके कार्य मे विलम्ब हो रहा हो या बार बार कार्य टाले जा रहे हो या एकदम से अवरुद्ध हो 5. जिनके उपाय सिद्ध नही हो रहे हो,कार्य या व्यवहार से मन अशांत हो सन्तान पक्ष से चिंता हो उपरोक्त के भिन्न भी जिनके शनि मंगल केतु जनित कोई भी पीड़ा हो,त्रिक भवन में बैठे हो या महादशा/अंतर्दशा चल रही हो उपाय ऊपर सबसे पहले मुहूर्त लिखा हुआ है उपरोक्त मुहूर्त के दिन एक स्वेत ध्वज जो  त्रिकोण समतुल्य आकार हो जिसका वजन ढाई सेर से अधिक न हो मंदिर में या किसी सघन हरे वृक्ष पर ध्वज रोपित करने से मंगल शनि एव केतु  जनित अनिष्ट निवारण का अचूक उपाय है कृपया अपनी निजी पण्डित जी अपनी कुंडली दिखवाक

शुक्र शनी का योग

शुक्र  शनी का  योग  +++++++++++++++++++++ +++++++++++++++++++++++ मित्रों  शुक्र शनी  का  योग  शुभ फल देने  वाला  माना  गया  है | शनी शुक्र की सहायता  करने  वाला  ग्रह है  | शुक्र  एक  औरत  है  तो  शनी  उसकी  आँख  और जैसा  की  आपको पता  है  की  औरत  की  आँखों  की  शरारत  पूरी  दुनिया  को अपने  इशारों  पर  नचाती  है | जब  ये  दोनों   एक साथ हो तो  शुक्र  काली  कपिला  गाय  के  समान  उत्तम  फल जातक को  देता है | ऐसे  सिथ्ती में कुंडली में बुध चाहे  कैसी  भी  सिथ्ती  में हो  वो  बुरा  फल  नही  देगा  | शुक्र  गाय है  तो  शनी का काला  रंग  इसिलिय काली  गाय  इन दोनों  के को  दर्शाती  है  और  काली  गाय  पर कोई  भी जादू  टोना  असर  नही  किया  करता है | आसमानी  बिजली  से बचने  से  बचाने के लिय  घर के उपर  लोहे  की सलाख  लगाई  जाती है क्योंकि बिजली का  अर्थ  का  एक तार   शुक्र  की जमीन में दबा  दिया जाता है इसिलिय  जिस  घर पर  ऐसी  सलाख  हो उस  पर  बिजली  गिरने  के चांस   नही  रहते | इस  तरह  जिस  ग्रह  में काली  गाय  हो या  फिर  मकान के उपर  लोहे  की सलाख  उस  घर में औरत की तरफ  से तबाही नही होत

शुक्र

शुक्र और आकर्षण जो आआपके मन अर्थात चन्दर को अपनी ओर आकर्षित कर वो शुक्र। इंसी लिए तो 4 में दिग्बली हो गया और बल मिल गया इसे। आकर्षण भी ऐसा की तुम सुदबुध ख़ो बैठो। कितना चमकीला तारा जो है। चकाचोंध। ज्योतीष भी तो इसी लिए आआपको अपनी ओर आकर्षित करती है। वो भी तो शुक्र ही तो है। स्त्री वर्ग भी तो शुक्र ही है। गायन, नृत्य, कला, चित्रकारी के गुण उनमें जन्मजात ही होते है। ये सब भी तो शुक्र ही तो है। और नारी का आकर्षण इलु इलु क्या क्या नही करवा देता। लेकिन ये शुक्र मा लक्ष्मी भी तो है। मतलब नारी साक्षात लक्ष्मी का अवतार या अंश। अभिनय शुक्र। कैसे पागल रहते है हम इन भाँडो के पीछे। उसी का तो आकर्षण है। हीरा सदा इए लिए। मतलब इसकी ऊर्जा कंभी खत्म भी नही होती। इतना ऊर्जावान है। ज़िरफ आकर्षण ही नही ऊर्जा भी भरपूर दे। ख्याति। आपका नाम। आकर्षण जो है। आआपकि तड़फा खींचेगा ये दुनिया को। मालव्य योग और क्या है। नेता अभिनेता सभी खींचते है आआपको उनके अंदर बैठा शुक्र देख लो। इसको समझ पाना भी तो कठिन है। सँजीवनि विद्या जो है ये। एक आंख से देखता जो है। नारी के मन की गहराई कौन नाप पाया है। ज्योतीष इतनी आसान थोड़ी है। 

बसंत_पंचमी

#बसंत_पंचमी हर साल माघ माह के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पंचमी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। शास्त्रों के अनुसार, इसी दिन मां सरस्वती का जन्म हुआ था। वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती हाथों में पुस्तक, विणा और माला लिए श्वेत कमल पर विराजमान हो कर प्रकट हुई थीं। इसलिए इस दिन मां सरस्वती की पूजा की जाती है। वसंत पंचमी से बसंत ऋतु की शुरुआत होती है। सनातन धर्म में मां सरस्वती की उपासना का विशेष महत्व है, क्योंकि ये ज्ञान की देवी हैं। मान्यता है कि वसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती की पूजा करने से मां लक्ष्मी और देवी काली का भी आशीर्वाद मिलता है। माघ शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को वसंत पचंमी का पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से ये पर्व ज्ञान, विद्या, संगीत और कला की देवी मां सरस्वती को समर्पित है। इस पर्व से होली के पर्व की शुरुआत भी होती है। इस दिन सरस्वती पूजन करने से देवी सरस्वती हमें बुद्धि प्रदान करती हैं।बसंत पंचमी को श्री पंचमी, मधुमास और ज्ञान पंचमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सरस्वती मां की पूजा विशेष रूप

सन् 2023 में सिंह राशि का वैदिक राशिफल (पुनः प्रेषित)

सन् 2023 में सिंह राशि का वैदिक राशिफल (पुनः प्रेषित) 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ सिंह LEO (म, मी, मू, मे, मो, टा, टी, टू, टे)  शुभरंग👉  भगवा व सफेद,  शुभ अंक👉 1,  शुभधातु👉 स्वर्ण,  शुभरत्न👉 माणिक,  शुभदिन👉 रविवार, शुभ तारीख👉 1, 10, 19, 28, इष्ट👉 सूर्य व हनुमान,  मित्र राशि👉 मिथुन, कन्या, मेष, धनु, शत्रु राशि👉 वृष, तुला, मकर, कुम्भ, सकारात्मक तथ्य👉 खुल दिल-दिमाग वाला, उदार हृदय, गर्मजोशी, नकारात्मक तथ्य👉 घमण्डी, अति आत्मविश्वास, अति महत्त्वाकांक्षी,  शुभत्व के लिये 👉 सूर्य के अर्घ्य चढ़ावे,  शुभमास👉 वैशाख, ज्येष्ठ, कार्तिक,  सामान्य मास👉 चैत्र,  अशुभ मास👉 श्रावण, भाद्रपद, आश्विन, मार्गशीर्ष, पौष, माघ। राशि स्वामी सूर्य है। सिंह जातक तीव्र बुद्धिमान, स्वाभिमानी, उच्च-अभिलाषी, उदार-हृदय, निडर व आत्मविश्वास से भरपूर, धैर्यवान, उद्यमी, पराक्रमी, गंभीर प्रक़ति, न्याय प्रिय, संवेदनशील, आशावादी दृष्टिकोण, नेतृत्व व संचालन करने की क्षमता, अधिकार पूर्ण वाणी का प्रयोग करने वाला, अपने परिवार की उन्नति के लिये विशेष संघर्ष करने वाला, परिश्रमी, परिस्थिति अनुसार स्वयं को ढाल लेने की प

RAHU IN EACH ZODIAC WITH REMEDIES

RAHU IN EACH ZODIAC WITH REMEDIES   Rahu is a powerful and significant planet in Vedic astrology, known for its ability to bring sudden changes and unexpected events in a person's life. It is also associated with illusion, deception, and materialism. The effects of Rahu in a person's horoscope can vary depending on the sign it is placed in. In Aries, Rahu can bring ambition, drive, and determination, but can also lead to impulsiveness and arrogance. Remedies for this sign include performing the Rahu puja and placing original Rahu yantra at home and reciting the Rahu mantra "Om Rahuve Namaha" regularly. In Taurus, Rahu can bring financial gains, but can also lead to financial instability and a tendency to overspend. Remedies for this sign include donating black sesame seeds, black clothes, and black lentils on Saturdays. In Gemini, Rahu can bring intelligence, creativity, and communication skills, but can also lead to a lack of focus and restlessness. Remedies for this

SUN IN EACH ZODIAC WITH REMEDIES ☀️

SUN IN EACH ZODIAC WITH REMEDIES ☀️ The Sun is one of the most important planets in astrology, and its placement in your birth chart can indicate a lot about your personality, energy, and life purpose. Here, we will explore the effects of the Sun in each zodiac sign and provide some astrological remedies that can help to enhance the positive effects and mitigate any negative effects. Aries: The Sun in Aries brings a strong sense of self and a desire for leadership. People with the Sun in Aries are confident, independent, and ambitious. However, they can also be impulsive and quick to anger. Astrological remedies for Aries include reciting the mantra "Om Ram" and offering water to the Sun every Sunday. Taurus: The Sun in Taurus brings a sense of stability and practicality. People with the Sun in Taurus are dependable, hardworking, and patient. However, they can also be stubborn and materialistic. Astrological remedies for Taurus include reciting the mantra "Om Hrim"

शनि

शनि देव के राशि परिवर्तन के क्या प्रभाव होंगे मेरे इस इस पुराने लेख से समझने की कोशिश किजिए। 1620 साल बाद बना दुर्लभ संयोग इन 3 राशि वालों पर बरसेगा पैसा अक्सर आपने टेलीविजन में, यूट्यूब चैनल्स में, अख़बारों में "1620 साल बाद बना दुर्लभ संयोग इन 3 राशि वालों पर बरसेगा पैसा" ऐसी हैडलाइन वाली ख़बरें सुनी, देखी और पढ़ी होंगी या ज्योतिषियों को बोलते सुना होगा। यकीन मानिए किसी का "अचानक" भाग्योदय नहीं होता ना ही किसी पर "अचानक" पैसा बरसता है, जिस भी व्यक्ति पर आपको लग रहा है कि उस पर "अचानक" पैसा बरस रहा है उसके बारे में करीब से जानने पर आपको पता चलेगा ये ये "अचानक" उसकी कई बरसों की मेहनत का परिणाम है। अगर इसे ज्योतिषीय आधार पर समझने की कोशिश करें तो वैदिक ज्योतिष में मनुष्य की आयु 120 वर्ष मानी गई है, और इन 120 वर्षों को नौ ग्रहों में बांटा गया है हर ग्रह कुछ वर्षों तक जातक के जीवन में विशेष प्रभाव डालता है नौ ग्रहों की कुल अवधि 120 वर्षो की होती हैं वो निम्नलिखित है। सूर्य           -        6 वर्ष चंद्र           -       10 वर्ष मंगल     

शनि का राशि परिवर्तन 17 जनवरी

शनि का राशि परिवर्तन 17 जनवरी  〰️〰️🌼〰️〰️🌼🌼〰️〰️🌼〰️〰️ नये साल के आगमन के साथ नौ ग्रहों में सबसे प्रमुख ग्रह माने जाने वाले शनि देव भी राशि परिवर्तन करने वाले हैं। 17 जनवरी 2023 के दिन शनिदेव पूरे ढाई साल बाद अपना राशि परिवर्तन करने जा रहे हैं। शनि 17 जनवरी को रात 08:02 मिनट पर 26 महीनों के लिये अपनी राशि मकर से निकलकर मूल त्रिकोण राशि कुम्भ में प्रवेश करेंगे और अगले ढाई वर्षों तक यानि 29 मार्च 2025 तक इस राशि में रहेंगे व बीच में समय समय पर वक्री व मार्गी होते रहेंगे। गुरु, शनि, राहु व केतु का राशि परिवर्तन नवग्रहों में सबसे विशेष एवं बड़ा माना जाता है व इन ग्रहों का एक राशि से किसी दूसरी राशि में जाना मानव जीवन को प्रभावित करने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आगामी नववर्ष 2023 में शनि ग्रह का यह राशि परिवर्तन हमारे जीवन को किस तरह प्रभावित करेगा, किस राशि पर शनिदेव का आशीर्वाद बना रहेगा, किस राशि व लग्न पर शनिदेव की क्रूर दृष्टि रहेगी, किसकी मनोकामनाएँ पूरी करेगें शनि! ज्योतिषीय आधार पर यह निचोड़ निकालना बेहद जरूरी है। जानिये की किन राशियों पर शुरू हो रही है शनि की साढ़े साती और ढै

मकान_कब_बनेगा

||#मकान_कब_बनेगा?||                       रुपया-पैसा,रोजगार आदि के साथ साथ मकान एक सबसे कीमती चीज है तो आज इसी बारे में बात करते है मकान कब बनेगा और बनेगा भी या नही बनेगा?                                                                          कुंडली का चौथा भाव/चौथे भाव स्वामी मकान का है तो मंगल और शनि मकान जमीन के कारक ग्रह है।अब कुंडली का चौथा भाव और चौथे भाव स्वामी सहित मंगल और शनि बलवान होने जरूरी है।अब यह सब बलवान है तब चौथे भाव और चौथे भाव स्वामी की स्थिति अनुकूल है कुंडली के अच्छे ग्रहो से चौथे भाव और चौथे भाव स्वामी का संबध है और मंगल शनि बलवान है तब मकान बन जाएगा।शुभ बलवान मंगल या शनि का सबंध चौथे भाव से मकान बनने के योग बहुत जल्दी देगा।अब चौथे भाव और चौथे भाव स्वामी राजयोग बनाकर बैठा है तब बहुत अच्छा मकान बनेगा और सामान्य स्थिति में बैठा है कुंडली मे तब सामान्य मकान बनेगा।अब  मकान जन बनेगा जब चौथे भाव और चौथे भाव स्वामी से संबधित महादशा अन्तरदशाये जीवन मे आएगी उस समय मकान बन जायेगा।अब कुछ उदाहरणो से समझते है मकान कब तक बनेगा और बनेगा भी या नही बनेगा???                     

शश_योग

#शश_योग इस योग का निर्माण शनि ग्रह द्वारा कुछ विशेष परिस्थितियों में होता है और जातक की कुंडली में यह योग अत्यंत शुभ फल देता है। यदि शनि लग्न भाव से या चंद्र भाव से केंद्र स्थान पर हो यानि शनि यदि किसी कुंडली में लग्न अथवा चंद्रमा से 1, 4, 7 या 10वें स्थान  में तुला, मकर या कुंभ राशि में स्थित हो तो ऐसी कुंडली में शश योग का निर्माण होता है। शश योग शनि के प्रभाव को सुधारने में मदद करता है और शुभ परिणाम देता है। यह योग जातक को शनि के कुप्रभाव से बचाने में अत्यधिक लाभदायक है। 'शनि साढे़साती' और 'शनि ढैय्या' के बुरे प्रभाव को भी कम कर देता है। शनि के प्रभाव के कारण जातक मेहनती होगा।  शश योग का कुंडली पर प्रभाव ▪जिस कुंडली में यह योग हो वह जातक जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। ऐसा व्यक्ति राजनीतिक क्षेत्र में भी शीर्ष पदों तक पहुंचता है और नाम कमाता है। ▪जिस व्यक्ति की कुंडली में शश योग बनता है उसे उत्तम स्वास्थ्य प्राप्त होता है।  ▪शश योग का निर्माण होने से व्यक्ति के अंदर छिपी हुई बातों को जानने की क्षमता शनि देव प्रदान करते हैं।  ▪शश योग के प्रभाव से व्

अद्भुत दिव्य नवग्रह उपाय आप सभी के लिए

अद्भुत दिव्य नवग्रह उपाय आप सभी के लिए 🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿🌿 वैदिक ज्योतिष से जानें कब व्यक्ति फंसता है कर्ज के जाल में?????????  🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃🍃 कुंडली के ६वे भाव ,एकादश भाव ,तथा द्वादश भाव से कर्जों की स्थिति देखी जाती है. इन भावों के स्वामियों के कमजोर होने पर या इन भावों में शुभ ग्रहों के होने पर कर्जों की स्थिति बन जाती है. अगर हाथ का रंग कालापन लिए हुये हो या अंगुलियाँ टेढ़ी मेढ़ी हो तो कर्ज में ही जिन्दगी बीत जाती है. अगर व्यक्ति हाथ में बीचों बीच तिल हो तो व्यक्ति कर्ज लेकर ही जिन्दगी में आगे बढ़ पाता है. ग्रहों के अनुसार कब कर्ज चुक जाता है? और कब व्यक्ति कर्ज चुकाना नहीं चाहता? - दायित्व भाव पर बृहस्पति या शुक्र के शुभ प्रभाव होने पर कर्ज आसानी से चुक जाता है - मंगल का प्रभाव होने पर व्यक्ति को कर्ज से छुटकारा पाने में काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है - शनि का प्रभाव होने पर व्यक्ति के लिए कर्ज चुकाना एक चुनौती होती है,कर्ज नहीं चुक पाता - राहू केतु या ख़राब बुध का प्रभाव होने पर व्यक्ति कभी भी कर्ज नहीं चुकाना नहीं चाहता - शनि मंगल का संयुक्त प्रभाव होने पर कर्ज के कारण व्यक्त

गोचर

नमस्कार मित्रों,  👉👉 आज चर्चा करते हैं ग्रह गोचर एवं फलादेश पर। 🚩 जन्म कुंडली के आधार पर फल कथन में ग्रहों का गोचर अर्थात जन्म राशि से विभिन्न स्थानों में ग्रहों का तत्कालिक भ्रमण बहुत महत्वपूर्ण है। 🚩जो ज्योतिषी दशा फल और होरा फल पर पूर्णता निर्भर कर फलकथन करते हैं तथा गोचर की उपेक्षा करते हैं वह बहुत चूक करते हैं।🚩 वशिष्ठ संहिता में स्पष्ट कहा गया है ग्रह दशा फल एवं ग्रह गोचर दोनों के बीच समन्वय स्थापित कर फल कथन करना सर्वदा श्रेष्ठ होता है।🚩 पश्चिमी जगत के ज्योतिषी जन्म लग्न राशि से भी गोचर देखते हैं तथा वहां जन्म राशि सायन में सूर्य की राशि मानी जाती है।🚩 🚩ग्रह गोचर में विषय विभाग:- राज पक्ष या सरकारी कामकाज हेतु फल जानने के लिए सूर्य का गोचर को देखें।🚩युद्ध मुकदमा स्वास्थ्य लाभ के विषय में जानने के लिए मंगल का गोचर को देखें।🚩 विद्या लाभ एवं प्रतियोगिता परीक्षा का फलाफल जानने के लिए बुध का गोचर को देखें। 🚩धन लाभ, विवाह सहित समस्त मंगल कार्य में गुरु का गोचर को देखें।🚩यात्रा से संबंधित ज्ञान के लिए शुक्र का गोचर को देखें। 🚩तंत्र मंत्र दीक्षा व सुख का विचार में शनि का गो

मकर संक्रांति

*मकर संक्रांति 15 जनवरी 2023 के दिन है, राशि अनुसार इन वस्तुओं का दान करे-* =========================== ✍🏻सूर्य के राशि परिवर्तन को संक्रांति कहा जाता है, जब सूर्य का गोचर वर्ष भ्रमण करते हुए मकर राशि मे प्रवेश करते है तो इसे मकर संक्रांति कहा जाता है। वर्ष 2023 में मकर संक्रांति 15 जनवरी में रहेगी। इस वर्ष सभी जगह 15 जनवरी में पर्व काल ही रहेगा। इस वर्ष मकर संक्रांति का वाहन व्याघ्र रहेगा व उप वाहन अश्व (घोड़ा) रहेगा। प्राचीन परंपराओं के अनुसार इस दिन दान और तीर्थ स्थल में स्नान का विशेष महत्व है, ऐसी मान्यता है कि जो लोग संक्रांति पर दान करते हैं, उन्हें अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है और दुख-दर्द से छुटकारा मिलता है। *मकर संक्रांति पर राशि अनुसार मंत्र जाप व इन वस्तुओं का दान करे-* *१:-मेष राशि:-* जल में पीले पुष्प, हल्दी, तिल मिलाकर अर्घ्य दें, तिल-गुड़ का दान दें, उच्च पद की प्राप्ति होगी *ॐ घृणि सूर्याय नमः* यह मंत्र का जाप करे। *२:-वृषभ राशि:-*  जल में सफेद चंदन, दुग्ध, श्वेत पुष्प, तिल डालकर सूर्य देव को अर्घ्य दें, बड़ी जवाबदारी मिलने तथा महत्वपूर्ण योजनाएं प्रारंभ होने के योग

कुंडली में बारहवाँ भाव

जय श्रीराम ।।                         कुंडली में बारहवाँ भाव             =============== कुंडली के द्वादश भाव को व्यय एवं हानि का भाव कहा जाता है। यह अलगाव एवं अध्यात्म का भी भाव होता है। यह भाव उन अंधेरे स्थानों का प्रतिनिधित्व करता है जो मुख्य रूप से समाज से पृथक रहते हैं। ऐसी जगह जाकर व्यक्ति समाज से ख़ुद को अलग महसूस करता है। कुंडली में बारहवें भाव का संबंध स्वप्न एवं निद्रा से भी होता है। इसके साथ ही बारहवें भाव का संबंध लोपस्थान (अदृश्यता का भाव), शयन, पाप, दरिद्रता, क्षय, दुख या संकट, बायीं आँख, पैर आदि से है। कुंडली में द्वादश भाव से धन व्यय, बायीं आँख, शयन सुख, मानसिक क्लेश, दैवीय आपदा, दुर्घटना, मृत्यु के बाद की स्थिति, पत्नी के रोग, माता का भाग्य, राजकीय संकट, राजकीय दंड, आत्महत्या, एवं मोक्ष आदि विषयों का पता चलता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, कुंडली में द्वादश भाव मोक्ष का भाव होता है। यह भाव जातकों के जीवन में दुख, संकट, हानि, व्यय, फ़िज़ूलख़र्ची, सहानुभूति, दैवीय ज्ञान, पूजा एवं मृत्यु के पश्चात के अनुभव को दर्शाता है। काल पुरुष कुंडली में बारहवें भाव पर मीन राशि

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि मंगल की युति

वैदिक ज्योतिष के अनुसार कुंडली में शनि मंगल की युति शनि और मंगल दोनों ही घोर विरोधी है। शनि कार्य करने में दक्ष है और मंगल को तकनीक में महारथ हासिल है। शनि का रंग काला है तो मंगल का रंग लाल है। दोनो को मिलाने पर कत्थई रंग का निर्माण हो जाता है। कत्थई रंग से सम्बन्ध रखने वाली वस्तुयें जातक को प्रिय होती है जब कुण्डली शनि-मंगल की युति होती है। शनि जमा हुआ ठंडा पदार्थ हैं, तो मंगल गर्म तीखा पदार्थ है, दोनो को मिलाने पर शनि अपने रूप में नही रह पाता है जितना तेज मंगल के अन्दर होता है उतना ही शनि ढीला हो जाता है। यह संबंध जातक विशेष को आत्महत्या तक करने पर मजबूर करता हैं। शनि मंगल का संबंध सच मे ही एक विध्वंशक संबंध हैं जो कुंडली मे जातक विशेष के अतिरिक्त धरती पर भी अपना विध्वंशक प्रभाव ही देता हैं। शनि मंगल का योग कुंडली में शनि मंगल का योग करियर के लिए संघर्ष देने वाला होता है करियर की स्थिरता में बहुत समय लगता है और व्यक्ति को बहुत अधिक पुरुषार्थ करने पर ही करियर में सफलता मिलती है। शनि मंगल का योग व्यक्ति को तकनीकी कार्यों जैसे इंजीनियरिंग आदि में प्रगति कराता है। यह योग कुंडली के शुभ भा

शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम ----

शास्त्रों के अनुसार पूजा अर्चना में वर्जित काम ---- १) गणेश जी को तुलसी न चढ़ाएं २) किसी देवी पर दुर्वा न चढ़ाएं ३) शिव लिंग पर केतकी फूल न चढ़ाएं ४) विष्णु को तिलक में अक्षत न चढ़ाएं ५) दो शंख एक समान पूजा घर में न रखें ६) मंदिर में तीन गणेश मूर्ति न रखें ७) तुलसी पत्र चबाकर न खाएं ८) द्वार पर जूते चप्पल उल्टे न रखें ९) दर्शन करके बापस लौटते समय घंटा न बजाएं १०) एक हाथ से आरती नहीं लेना चाहिए ११) ब्राह्मण को बिना आसन बिठाना नहीं चाहिए १२) स्त्री द्वारा दंडवत प्रणाम वर्जित है १३) बिना दक्षिणा ज्योतिषी से प्रश्न नहीं पूछना चाहिए १४) घर में पूजा करने अंगूठे से बड़ा शिवलिंग न रखें १५) तुलसी पेड़ में शिवलिंग किसी भी स्थान पर न हो १६) गर्भवती महिला को शिवलिंग स्पर्श नहीं करना है १७) स्त्री द्वारा मंदिर में नारियल नहीं फोडना है १८) रजस्वला स्त्री का मंदिर प्रवेश वर्जित है १९) परिवार में सूतक हो तो पूजा प्रतिमा स्पर्श न करें २०) शिव जी की पूरी परिक्रमा नहीं किया जाता २१) शिव लिंग से बहते जल को लांघना नहीं चाहिए २२) एक हाथ से प्रणाम न करें २३) दूसरे के दीपक में अपना दीपक जलाना नहीं चाहिए २४.१)

कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव

कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव ✔️कुंडली के अष्टम भाव में सप्तमेश का प्रभाव जानने के लिए सर्वप्रथम हम सप्तम भाव और अष्टम भाव के नैसर्गिक कारक के संदर्भ में जानकारी प्राप्त करेंगे। सप्तम भाव का स्वामी स्वयं के भाव से दूसरे स्थान में स्थित है, इसलिए प्रथम भाव के स्वामी का दूसरा भाव में क्या फल होता है, हम इसके बारे में भी जानकारी प्राप्त करेंगे। ✔️ यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित है और एक दूसरे से द्वि द्वादश संबंध स्थापित करता है, जो कि एक उत्तम संबंध नहीं माना जाता है। साथ ही सप्तम भाव मार्क भाव होता है। सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब कुंडली के निशान का प्रभाव होता है। यदि सप्तमेश अष्टम भाव में अकारक ग्रह के संबंध में हो जातक अल्पायु या मध्यम आयु का भी व्यक्ति हो सकता है। ✔️ सप्तम भाव जातक की पत्नी से संबंध रखता है। यदि सप्तम भाव का स्वामी अष्टम भाव में स्थित हो तब जातक की पत्नी से विवाह बंधन में परेशानी का कारण बन सकता है। जातक की पत्नी की सेहत कमजोर हो सकती है। जातक और जातक की पत्नी के मध्य विवाद या जातियां हो सकती हैं। जातक और जातक की पत्नी एक दू