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Showing posts from August, 2022

ketu Mercury conjunction

Ketu Mercury Conjunction When Ketu comes within 10 degrees of Mercury in a chart then it is considered conjunct with Mercury.  This conjunction is considered good in Gemini and Virgo where Ketu enhances the intelligence of the person.  The conjunction of Mercury, the Graha of Speech, Skin, Intelligence and immunity (lymphatic system) with Ketu, the Graha of Mysticism, Spirituality and restlessness brings the following results:  -Quick to remember, quick to forget, the individuals with this placement are very good at understanding and remembering the topic of discussion in the short run but they fail to recall the same information when they actually need it.  -Facts escape intelligence leading to controversy, the individuals with this placement often have short attention spans, this sometimes makes them leave out important details while drafting a contract or skip important contract clauses while getting into new deals. This can lead to contoversies. Jupiter's aspect on this conjunc

व्यापार बन्धन मोचन यन्त्र-:

व्यापार बन्धन मोचन यन्त्र-: कई बार देखा जाता है कि किसी व्यापारी भाई का कारोबार चलते चलते बंद हो जाता है और उसे बहुत से ऐसे संकेत मिलते हैं जिनसे उसे पता चलता है कि उनका कारोबार बांध दिया गया है। लेकिन किसी सच्चे साधक के मिलने के अभाव के कारण वह जातक बहुत जगह भटकता रहता है लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं मिलता। आज हम आपको एक ऐसे उपाय के बारे में बताएंगे जो लक्ष्मी जी को प्रसन्न करता है और व्यापार पर लगा हुआ बंधन बहुत जल्दी खोल देता है। यह होता है व्यापार बंधन मोचन यंत्र। इस यंत्र को हमने काफी साल पहले सिद्ध किया था और कल होली पर अभिमंत्रित करके बहुत से यंत्र तैयार किए गए हैं। जिस किसी को भी लगता है कि उनके व्यापार पर बंधन है तो वह संपर्क कर सकता है। यह यंत्र बहुत ही कारगर है और 9 दिनों में ही व्यापार पर लगा हुआ बंधन खोल देता हैं। व्यापार/कारोबार आदि के लिए बंधन मोचन यंत्र-: संस्कृत श्लोक-: प्रथमंतु लिखेद् वृत्तं तद्बहिस्तु स्वरांल्लिखेत् । बहिर्बुभूद्वयं लिख्य चतुर्दिक्षु च श्रीं लिखेत् । वृत्तयुग्माष्टपत्रं च लिखेद् गोरोचनादिना । ग्रीवायां धनस्थाने वा पूजागृहे वापि स्थापनात् । बंधमुक्त

कुंडली का विश्लेसण

कुंडली का विश्लेसण प्रस्तुत कुंडली मे ब्यापार का कारक और लाभ/धन  स्थान के स्वामी बुध लग्न में है  सिंह राशि मे और भाव चलित में शनि दिग्बली हो कर अपने स्थान में है और बुध की दृष्टि है  ■7th भाव व्यापार का भाव होता है और दिग्बली हो कर बैठे है और ब्यापार के कारक बुध की दृष्टि है। बुध यहां आत्मकारक भी है।। जिसके कारण जातक ब्यापार का चुनाव करता है।  ■बुध यहाँ सूर्य से अलग है जिसके कारण जातक ब्यापार ही चुना जब सूर्य से बुध अलग होता है ऐसे लोग ब्यापार जरूर करते है क्यों कि ये किसी के अंदर में काम करना पसंद नही करते है इनका कुछ न कुछ ब्यापार जरुर होता है ■मंगल यहाँ योगकारक हो कर लाभ स्थान पर चंद्रमा के साथ लक्ष्मी योग बना रहा है।  ■दशमांश कुंडली(D10)में भी बुध कर्म स्थान पर और शनि लाभ स्थान पर है जातक लोहे के कबाड़ को गला कर रॉड बनाता है।। जिसमे उसने लाभ कमा रहे है क्यों कि शनि की महादशा भी सुरु है।  ■कारकांश कुंडली मे बुध आत्मकारक है और सप्तम ब्यापार के भाव मे बैठ कर लग्न को देख रहा है।।  धन की स्थिति ■■■■■■ 1)भाव चलित में धनेश (2nd)और लाभेश(11th) के स्वामी स्वयं बुध है । जो लग्न में है।। और 5

नीलम

नीलम रत्न के लाभ ? जिन बच्चों को पढ़ाई में बिल्कुल भी मन नहीं लगता है तथा एकाग्रता के साथ कोई भी काम नहीं कर पाते हैं एवं उन्हें आलस्य भरा हुआ रहता तथा काम को टालने की आदत बनी हुई रहती है ऐसे बच्चों को नीलम रत्न धारण करने से उनके पढ़ाई लिखाई आदि संबंधी चीजों में उन्हें अप्रत्याशित रूप से लाभ मिलता है तथा एकाग्र मन से उनके दिए उनके द्वारा किए गए विद्या अर्जन में उन्हें असीम सफलता की प्राप्ति होती है| • रोजी रोजगार संबंधित परेशानियां जिन लोगों को बहुत होती है या हाथ में आया हुआ रोजगार भी छिन जाता है या आपको रोजगार मिलता ही नहीं है चाहे आप में लाख कौशल हो, दक्षता हो किंतु आप बेरोजगार है तो ऐसे में यदि नीलम रत्न धारण किया जाता है तो आपके जीवन में एक स्थिरता का भाव आता है तथा रोजी रोजगार संबंधित समस्याओं का भी समाधान होता है| • बहुत से लोग अवसाद में जीते हैं तथा मानसिक परेशानियों में फस कर वास्तविक जीवन जीना भूल ही जाते हैंl वह मानसिक उलझन में खुद को इतना उलझा कर रखते हैं कि जीवन उनको निरस्त लगने लगता है तथा ऐसा लगता है कि अब उनकी जिंदगी का अंत होने वाला है तो ऐसे में उनके द्वारा यदि नीलम र

mars jupiter

🔥🔥🔥🔥🔥  MARS  🔥🔥🔥🔥 👉 Mars is planet of energy, passion, aggression, courage, strength, persistence, vitality and a warrior with no quit attitude. 👉 Mars is all about desires who is also Commander-in-Chief and represents blood, war, land, army, sweets and number nine.  👉 Venus is planet of luxury, comfort, good, clothes, perfume, sex, sperm, romance, fashion, material gain and bed plessure.  👉 Jupiter signifies knowledge, wisdom, education, moral, law, expansion, spirituality, dharma, wisdom and blessings.  🔱 MARS RUNS AFTER ROMANCE OF VENUS BUT FOLLOW PHILOSOPHY OF JUPITER.  👉 As Mars is desire and look after things mostly represented by Venus but have faith in principles of Jupiter.  👉 Like a person going with his girlfriend to watch movie (venus) but if there is a student getting late for school and waiting for taxi on road, person will give lift or drop him school also (jupiter). 👉 Both Jupiter and Venus represent wealth and money. A native with good Mars has passion

ketu

Ketu - In your horoscope- Remedies- Ganesh Chathurti  Whichever house Ketu is there, you have to struggle in that area. ( final outcome depend upon strength and situation of dispositor ) 2. Ketu- Signify mistake- check which house- that area you will feel is mistake  3. Nodes axis teach a life long lesson   4. So in that house one need to do tapa as its a both jihadi and moksha giver, in a way both headless and if connects with Guru is Ganesha .  Ganesha is the Remedy of Ketu , as I have already explained in previous post that Ketu is headless and when he gets the  abhimantrit head of Elephant he becomes GANESHA  GANESHA CHATURTHI is a good day to do remedy for your KETU.  GANESHA has 12 names as per different houses. Om VAKARTUNDAM , EKDANTAM , KRISHAN-PINJAAKSHAN, GAJVAKRA, LAMBODAR, VIKAT , VIGANRAJA, DHUMRVARNA, BALCHANDRA, VINAYAKA, GAJAPATI, GAJANANN. Ketu in Lagna- Invoke him in the form of VAKRTUNDAYE- Start reading spiritual books, and can study occult.       2. Ketu in 2nd ho

राहु देवता का पिछले जन्म से संबंध

राहु देवता का पिछले जन्म से संबंध  राहु का संबंध हमारे पिछले जन्म के कर्मों के अनुसार होता है। उसका प्रभाव हमारे जीवन में कई प्रकार से पड़ता है। चतुर्थ भाव का राहु, अष्टम भाव का राहु और 12 भाव का राहु यह एक दूसरे से दृष्टि के अनुसार कनेक्टेड होते हैं। जिनके कुंडली में 4,6, 8 और 12 भाव में राहु बैठा है। इन लोगों में कुछ अलग करने की इच्छा आकांक्षा जरूर होती है। यह लोग वास्तविकता काफी ऊंचाई भी प्राप्त करते हैं। अगर कुंडली में 12वां भाव है। राहु वाला इंसान सारी दुनिया को भी संभाल सकता है। इतनी उसने क्षमता होती है। जब तक 12वां घर चलता नहीं किसी का तब तक इनकी जिंदगी में कुछ भी नहीं हो पाता। यह इनकी जीवन में हमेशा मुसीबत लगी रहती है। यह कितने भी कोशिश करो कितने भी उपाय करो ! यह कारगर साबित नहीं होते हैं। जब तक ठीक तरह से आपके कुंडली का बारवा घर अच्छी तरह से नहीं चल पाता। तब तक जीवन में कठिनाई समस्या का सामना आपको करना पड़ेगा। इनको नौकरी और ससुराल से दिक्कत आती है। राहुल देवता का पिछले जन्म से संबंध ! राहु का संबंध हमारे पिछले जन्म के कर्मों के आधार पर होता है। राहु का प्रतिबिंब राहु का रूप आप

रोटी दाल

⛳सनातन धर्म के वैज्ञानिक रहस्य⛳"_* ┉┈                    *_┈┉══════❀(("ॐ"))❀══════┉┈_*                    🔱 *॥ भाग-०७॥*🔱                     •••═══❀═══•••  *🔆रोटी दाल तथा पूड़ी पकवान में भेद🔆* *👉भोजन के विषय में रोटी दाल की अपेक्षा पूड़ी आदि घृत से पके अन्न को शुद्ध माना जाता है। इसका वैज्ञानिक  रहस्य यह है कि एक तो घृत स्वयं ही शुद्धिकारक है✔️ दूसरी बात यह है कि जल से बना हुआ पदार्थ शीघ्र विकृत हो जाता है क्योंकि कीटाणु जल को शीघ्र ही दूषित एवं विकृत कर देते हैं।✔️ परन्तु घृत पर कीटाणुओं का आक्रमण सफल नहीं होता इसलिये घृत से बना हुआ अन्न न तो शीघ्र दूषित होता है और न विकृत , 😊😊✔️इसलिये वह पवित्र माना जाता है। कच्चे भोजन रोटी दाल आदि खाने की अपेक्षा इसीलिये पूड़ी आदि का विशेष विचार किया जाता है। पूड़ी मिष्ठान आदि में उतना विचार नहीं है क्योंकि इसमें घृतादि चिकनाई की प्रधानता रहती है।*✔️😊☝🏻 *🔆मिट्टी आदि के पात्रों का विचार🔆* *👉इसी प्रकार भोजन के पात्रों का भी विचार तथा वैज्ञानिक रहस्य है | चांदी, फूल तथा पीतल आदि के बर्तन अधिक पवित्र माने जाते हैं, वे मिट्टी आ

गणेश पूजा

गणेश चतुर्थी विशेष - भगवान गणेश को बुद्धि, समृद्धि और सौभाग्य का देवता माना जाता है। वे भक्तों के कष्टों का निवारण करते हैं। यदि कोई भक्त श्री गणेश का श्रद्धा और भक्ति के साथ सिर्फ नाम भी ले लेता है तो उसकी मनोकामना अवश्य पूरी होती है। गणेशजी की विधिपूर्वक आराधना कर उनकी प्रिय वस्तुएं समर्पित करने से भक्तों को मनवांछित फल प्राप्त होता है। गणेशजी वैसे तो बहुत भोले माने जाते हैं लेकिन उनकी आराधना के दौरान भक्तों को कुछ सावधानियां बरतना चाहिए। घर में बाईं सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करें : श्रीगणेश की पूजा में उनकी सूंड किस दिशा में है इसका भी बड़ा महत्व है। शास्त्रों के अनुसार घर में बाईं सूंड वाले गणेशजी की स्थापना करना चाहिए। इस तरह के गणेशजी की स्थापना करने से वे शीघ्र प्रसन्न होते हैं, जबकि दाईं सूंड वाले गणेशजी सक्त नियम और उपासना से प्रसन्न होते हैं। इसलिए गृहस्थों को बाईं सूंड वाले गणेशजी की आराधना करना चाहिए। गणेशजी को उनकी प्रिय चीजे समर्पित करे - मोदक: मोदक यह गणेशजी को बहुत प्रिय है और इसका भोग लगाने से वे भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं। हरी दुर्वा: हरी दुर्वा घास गणेशजी को

હળદરનું પાણી

*🍂⚘☁️હળદરનું પાણી☁️⚘🍂*           *હળદરને પાણીમાં મિક્સ કરીને પીવાના 7 ફાયદા છે.*  *1. હૂંફાળું હળદરનું પાણી પીવાથી મગજ તેજ બને છે.  સવારે હળદરનું નવશેકું પાણી પીવાથી મન તેજ અને ઉર્જાવાન બને છે.*  *2. જો તમે દરરોજ હળદરનું પાણી પીવો છો તો તેનાથી લોહીમાં રહેલી ગંદકી સાફ થાય છે અને લોહી જામતું નથી, તે લોહીને શુદ્ધ કરે છે અને હૃદયને રોગોથી પણ બચાવે છે.*  *3. લીવરની સમસ્યાથી પીડિત લોકો માટે હળદરનું પાણી કોઈ દવાથી ઓછું નથી કારણ કે હળદરનું પાણી લીવરના કોષોને નવજીવન આપે છે.  આ સિવાય હળદર અને પાણીના સંયુક્ત ગુણ પણ લીવરને ઈન્ફેક્શનથી બચાવે છે.*  *4. હાર્ટ પ્રોબ્લેમથી પીડિત લોકોએ હળદરનું પાણી પીવું જોઈએ કારણ કે હળદર લોહીને ઘટ્ટ થવાથી રોકે છે, જેનાથી હાર્ટ એટેકની શક્યતા ઓછી થઈ જાય છે.*  *5. હળદરના પાણીમાં મધ અને લીંબુ ભેળવીને પીવાથી શરીરની અંદર એકઠા થયેલા ઝેરી તત્વો બહાર નીકળી જાય છે, જેને પીવાથી શરીર પર વધતી ઉંમરની અસર થતી નથી.  હળદરમાં ફ્રી રેડિકલ્સ હોય છે જે સ્વાસ્થ્ય અને સુંદરતા વધારે છે.*  *6. જો શરીરમાં કોઈ પ્રકારનો સોજો હોય અને તે કોઈ દવાથી ઠીક ન થઈ રહ્યો હોય તો તમારે હળદરનું પાણી પીવું જો

एक सफल राज नेताओ के कुंडली मे 6th का योगदान

एक सफल राज नेताओ के कुंडली मे 6th का योगदान ■ छठे भाव का स्वामी शक्तिशाली होने पर जातक अपने शत्रुओं का नाश कर देगा।   ■ यदि छठे भाव का स्वामी लग्न में हो तो जातक अपने शत्रुओं का नाश कर सकता है।  ■यदि छठे भाव के स्वामी की शुभ दृष्टि अधिक हो तो जातक अपने शत्रुओं को दूर भगा सकता है। 6 th भाव का मूल्यांकन के लिए कारक  ◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆ 1. लग्न से छठे भाव का स्वामी  का स्थान - केंद्र/त्रिकोण/ उच्च का हो ।  2. दसवें भाव से छठे भाव का स्वामी का  स्थान - केंद्र/त्रिकोण या  उच्च में हो 3. छठे का स्वामी मजबूत स्थिति में हो ।  4. छठे के स्वामी लाभ स्थान पर हो । कुछ प्राधान मंत्रियों के कुंडली मे 6th की स्थिति 1.जवारलाल नेहरू जी की कुंडली मे  षष्ठेश स्वग्रही है ।। जो उनको पद के लिए विजयी बनाया। 2.इंदिरा जी के कुंडली मे 6/11 भाव मे exchange हो रहा है जो एक बहुत अच्छा राजयोग है जो उन्हें विजय श्री बनाया। 3.राजीव जी के कुंडली मे षष्ठेश अपने भाव को देख रहा है और 6th भाव के स्वामी विपरीत राजयोग बना रहे है। जो भारतीय इतिहाश में अपार विजय दिलाया जहाँ प्रतिपक्ष का पता भी नही था।। 4.मनमोहन जी के कुंडली मे

ग्रह_संबंधों_और_वस्तुओं_के_कारक

#ग्रह_संबंधों_और_वस्तुओं_के_कारक - सूर्य - पिता, व्यवसाय, रोजगार चन्द्रमा - मन, माता मंगल - भाई और बहिन ( सहोदर ) बुध - वाक् शक्ति, शिक्षा, भाषणपटु, ज्ञानार्जन, शिक्षण और स्वकुटुंबी व्यक्ति ( माता की तरफ के जन ) बृहस्पति - धन, सन्तान, बड़े भाई और बहिन, अध्यापक, प्रवक्ता आदि शुक्र - पत्नी, वाहन, घर आदि शनि - आयु, नौकर, नौकरी आदि #भावों_के_कारक_हैं - प्रथम भाव - सूर्य द्वितीय भाव - बृहस्पति, बुध तृतीय भाव - मंगल, शनि चतुर्थ भाव - चन्द्र, शुक्र, बुध पंचम भाव - बृहस्पति षष्ठ भाव - मंगल, शनि, बुध सप्तम भाव - शुक्र अष्टम भाव - शनि नवम भाव - बृहस्पति, सूर्य दशम भाव - बुध, सूर्य, शनि, बृहस्पति, मंगल एकादश भाव - बृहस्पति द्वादश भाव - शनि, शुक्र बुध को वाणी, भाषण-पटुता और शिक्षा का कारक, शनि को आयु का कारक, शुक्र को वाहन और जीवन का कारक, मंगल को पराक्रम, तकनीकी शिक्षा का, प्रतियोगिता की भावना का कारक माना गया है | #प्रथम_भाव से स्वास्थ्य देखते हैं | भाव की मजबूती के लिए उसमें बैठे ग्रह और उनकी दृष्टि देखते हैं | लग्नेश की स्थिति देखेते हैं | फिर सूर्य, चन्द्रमा, मंगल की स्थिति देखते हैं | सूर्य

peridot

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार, सभी नवरत्नों में से पन्ना रत्न को बुध ग्रह से संबंधित बताया गया है। पन्ना रत्न को धारण करने से ना केवल बुद्धि बेहतर होती है, बल्कि शिक्षा, व्यापार तथा नौकरी के क्षेत्र में भी सफलता मिलती है। लेकिन पन्ना रत्न कीमती होने के कारण इसे धारण करना हर किसी के लिए संभव नहीं है। ऐसे में पन्ना रत्न का उपरत्न पेरिडॉट, जिसे मनी स्टोन भी कहा जाता है, को धारण करना भी उतना ही लाभदायक माना गया है। तो आइए जानते हैं किन राशि वालों को पेरिडॉट रत्न पहनने से फायदे होते हैं... पेरिडॉट किन राशि वालों के लिए है लाभदायक पेरिडॉट रत्न की खासियत यह है कि इस रत्न को कोई भी व्यक्ति यानी किसी भी राशि के जातक धारण कर सकते हैं। वहीं अगर मीन राशि के व्यक्तियों की कुंडली में चंद्रमा हो तो उन्हें पेरिडॉट रत्न धारण करने से शुभ परिणाम मिलते हैं। पेरिडॉट रत्न को पेंडेंट या अंगूठी में बनवाकर दाएं हाथ की अनामिका या कनिष्ठा उंगली में पहना जा सकता है। पेरिडॉट रत्न धारण करने के फायदे 1. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार पेरिडॉट रत्न धारण करने से मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा मिलता है। जिससे दिमाग शांत होने के साथ

mangal 4th house

कुंडली के चौथे घर में विभिन्न ग्रहों के प्रभाव: चौथे घर में सूर्य: चतुर्थ भाव में सूर्य की उपस्थिति भावनात्मक शांति, आराम, और अच्छी चीजें महसूस करने वाली चीजों पर बहुत अधिक जोर देती है। आप हमेशा अपने परिवार और अपने निजी जीवन के पोषण के मजबूत विचार से घिरे रहेंगे। कमजोर या पीड़ित सूर्य जीवन में असंतोष ला सकता है। चतुर्थ भाव में चंद्रमा: इस भाव में चंद्रमा की उपस्थिति आपको भावनात्मक रूप से स्थिर बनाएगी। यह आपके दिल और अंतर्ज्ञान पर प्रभाव डालेगा, लेकिन, सुरक्षा और घरेलू आराम की भावना आपके लिए बहुत महत्वपूर्ण है। अपने मूल स्थान, विरासत, परिवार और परंपराओं के साथ आपके संबंध काफी मजबूत होंगे। यह बचपन में एक मजबूत मातृ उपस्थिति को भी प्रकट करता है। चतुर्थ भाव में बृहस्पति: चौथे घर में  बृहस्पति के साथ, आपको विश्वास और दर्शन विरासत में मिले हैं। आपके सहज विश्वास और भाग्य का संकेत आपके घरेलू जीवन में देखा जा सकता है और आपका निवास ग्रह की प्रकृति की तरह प्रचुरता के साथ धन्य है। इस घर में बृहस्पति परिवार से विरासत या वित्तीय सहायता से बहुत अधिक धन सुनिश्चित करता है। आप अपने माता-पिता के साथ एक स

दीपक

#दीपक_कई_प्रकार के होते हैं, जैसे चांदी के दीपक, मिट्टी के दीपक, लोहे के दीपक, तांबे के दीपक, पीतल की धातु से बने हुए दीपक तथा आटे से बनाए हुए दीपक। ज्यादातर मिट्टी के दीपक ही जलाने का प्रचलन है जो अधिक शुभ होते हैं। आइए जानते हैं कि कौन-सा दीपक किस उद्देश्य से जलाया जाता है।* आटे का दीपक किसी भी प्रकार की साधना या सिद्धि के लिए आटे का दीपक जलाते हैं और इसे ही पूजा करने के लिए सबसे उत्तम मानते हैं। घी का दीपक आर्थिक तंगी से मुक्ति पाने के लिए रोजाना घर के देवालय में शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। आश्रम तथा देवालय में अखंड ज्योत जलाने के लिए भी शुद्ध गाय के घी का या तिल के तेल का उपयोग किया जाता है। सरसों के तेल का दीपक शत्रुओं से बचने के लिए भैरव जी के यहां सरसों के तेल का दीपक जलाना चाहिए। सूर्यदेव को प्रसन्न करने के लिए भी सरसों का दीपक जलाते हैं। फ्री देसी घी लेना है तो 'उनाव' जाएं तिल के तेल का दीपक शनि ग्रह की आपदा से मुक्ति के लिए तिल के तेल का दीपक जलाना चाहिए। इससे देवी-देवता भी प्रसन्न होते हैं। महुए के तेल का दीपक पति की लंबी आयु की

धरती_का_रस

#धरती_का_रस   . #एक #राजा था। एक बार वह सैर करने के लिए अपने शहर से बाहर गया।  . लौटते समय देर हो गई तो वह किसान के खेत में विश्राम करने के लिए ठहर गया।  . किसान की बूढ़ी मां खेत में मौजूद थी।  . राजा को प्यास लगी तो उसने बुढ़िया से कहा... बुढ़ियामाई, प्यास लगी है, थोड़ा सा पानी दे। . बुढ़िया ने सोचा, एक पथिक अपने घर आया है, चिलचिलाती धूप का समय है, इसे सादा पानी क्या पिलाऊंगी !  . यह सोचकर उसने अपने खेत में से एक गन्ना तोड़ लिया और उसे निचोड़ कर एक गिलास रस निकाल कर राजा के हाथ में दे दिया।  . राजा गन्ने का वह मीठा और शीतल रस पीकर तृप्त हो गया।  . उसने बुढ़िया से पूछा, माई ! राजा तुमसे इस खेत का लगान क्या लेता है ? . बुढ़िया बोली.... इस देश का राजा बड़ा दयालु है। बहुत थोड़ा लगान लेता है।  . मेरे पास बीस बीघा खेत है। उसका साल में एक रुपया लेता है। . राजा के मन में लोभ आया। उसने सोचा बीघा के खेत का लगान एक रुपया ही क्यों हो !  . उसने मन में तय किया कि शहर पहुंच कर इस बारे में मंत्री से सलाह करके गन्ने के खेतों का लगान बढ़ाना चाहिए।  . यह विचार करते-करते उसकी आंख लग गई। . कुछ देर बाद वह

व्यापार बन्धन मोचन यन्त्र-

व्यापार बन्धन मोचन यन्त्र- कई बार देखा जाता है कि किसी व्यापारी भाई का कारोबार चलते चलते बंद हो जाता है और उसे बहुत से ऐसे संकेत मिलते हैं जिनसे उसे पता चलता है कि उनका कारोबार बांध दिया गया है। लेकिन किसी सच्चे साधक के मिलने के अभाव के कारण वह जातक बहुत जगह भटकता रहता है लेकिन उसे कोई रास्ता नहीं मिलता। आज हम आपको एक ऐसे उपाय के बारे में बताएंगे जो लक्ष्मी जी को प्रसन्न करता है और व्यापार पर लगा हुआ बंधन बहुत जल्दी खोल देता है। यह होता है व्यापार बंधन मोचन यंत्र। इस यंत्र को हमने काफी साल पहले सिद्ध किया था और कल होली पर अभिमंत्रित करके बहुत से यंत्र तैयार किए गए हैं। जिस किसी को भी लगता है कि उनके व्यापार पर बंधन है तो वह संपर्क कर सकता है। यह यंत्र बहुत ही कारगर है और 9 दिनों में ही व्यापार पर लगा हुआ बंधन खोल देता हैं। व्यापार/कारोबार आदि के लिए बंधन मोचन यंत्र-: संस्कृत श्लोक-: प्रथमंतु लिखेद् वृत्तं तद्बहिस्तु स्वरांल्लिखेत् । बहिर्बुभूद्वयं लिख्य चतुर्दिक्षु च श्रीं लिखेत् ।  वृत्तयुग्माष्टपत्रं च लिखेद् गोरोचनादिना । ग्रीवायां धनस्थाने वा पूजागृहे वापि स्थापनात् । बंधमुक्तिर्भव

शनि, राहु केतु का अचूक इलाज.....

शनि, राहु केतु का अचूक इलाज..... कोई भी ग्रह अपनी दशा ...महा दशा में किसी भी व्यक्ति का तब तक अशुभ नही कर सकता जब तक उसने अपने जीवन में कोई ग़लत काम ना किया हो   प्रत्येक जीव को अपने कर्मो का फल भोगना पड़ता है ये सृष्टि का नियम है और बुरे कर्मो का फल हमें शनि और राहु की दशा में मिलता है बस फ़र्क़ सिर्फ ये है .....और इसी कारण लोग इन ग्रहों से डरते हैं।  अगर हम अपने जीवन में कुछ अच्छी बातों को अपना ले तो यक़ीन मानिए जब भी कभी शनि या राहु की दशा आपको लगेगी ....इतना लाभ होगा जिसकी कल्पना कभी आपने सपने में भी नही की होगी क्योंकि जो धन सम्पत्ति मान सम्मान पद प्रतिष्ठा शनि और राहु हमें दे सकते हैं वो और किसी ग्रह के बस की बात नही है।  आइये जानते है वो नियम जिनकी पालना करने से शनि और राहु भी बन जाते हैं मित्र ....... १. ब्याज - अगर आप सुखी रहना चाहते हैं तो आज से ही ये प्रतिज्ञा कर लिजिए की जीवन में कभी ...किसी व्यक्ति से ब्याज नही लेगें।  अगर आप धन द्वारा किसी मित्र की मदद करना चाहते हैं तो उससे उतने ही पैसे वापस लेंगे जीतने आपने उसको दिये थे  २. कमीशन- कुछ लोगों को हर चीज़ में कमीशन खाने की

अक्षर srk

इस पोस्ट को देख कर के काफी लोग शाहरुख खान के बारे में बोलेंगे यानी SRK....पहली बात तो SRK का Officialy Name शाहरुख खान है उन्होंने I Am SRK के नाम से ट्विटर 2010 में ज्वाइन किया इससे पहले SRK कहीं लिखित में नहीं था सिर्फ  उन्हें बोला जाता था...  जब से Social Media पर I Am SRK किया उनको बहुत सारी Injuries हुई और उसके बाद सिर्फ आज तक एक ही Movie हिट हुई है चेन्नई एक्सप्रेस... क्योंकि वाइब्रेशन कनेक्ट होने में टाइम लगता है    क्योंकि सोशल मीडिया 24 घंटे Alive रहता है Social Media Name चेंज करने का बहुत बड़ा इंपैक्ट पड़ता है...  करोड़ों लोग SRK के नाम से मेंशन करते हैं   यह जो कॉन्बिनेशन  होते हैं  यह AddOne का काम करते हैं अगर Name  imbalance है इनका प्रभाव ज्यादा देखने को मिलता है  USSR (1922 To 1991)  का एक और उदाहरण है

बजरंगबली की कृपा प्राप्त करने के लिए करें यह आसान उपाय

बजरंगबली की कृपा प्राप्त करने के लिए करें यह आसान उपाय अगर आप भी महाबली हनुमान जी की कृपा प्राप्त करना चाहते हैं तो आज हम आपको ऐसे कुछ आसान उपाय बताने वाले हैं जो आपको मंगलवार के दिन करना है अगर आप इन उपायों को करते हैं तो इससे आपकी सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी और बड़ी ही सरलता से आप अपनी सभी समस्याओं से छुटकारा प्राप्त कर सकते हैं। *आइए जानते हैं यह उपाय कौन से हैं* 1. इस उपाय को करने के लिए आप मंगलवार के दिन सुबह के समय नहाने के पश्चात बड़ के पेड़ का एक पत्ता तोड़ लीजिए और इस पत्ते को अच्छी तरह साफ पानी से धो लीजिए धोने के पश्चात इस पत्ते को कुछ समय के लिए हनुमानजी की प्रतिमा के सामने रख दीजिए और इसके बाद इस पत्ते के ऊपर केसर से श्री राम लिख दीजिए। जब आप यह सभी कार्य कर ले तो इसके पश्चात आप इस पत्ते को अपने पर्स में रखिए अगर आप इस उपाय को करते हैं तो इससे आपको धन से संबंधित कोई भी परेशानी नहीं होगी और आपके घर परिवार में हमेशा बरकत बनी रहेगी जब यह पता पूरी तरह से सूख जाए तो इस पत्ते को आप नदी में प्रवाहित कर दीजिए और इसी प्रकार से एक और पत्ता अभिमंत्रित करके आप अपने पर्स में रख सकते हैं।

Some deep analysis of Mars in 7th house ( few points may fearful..so don't read)

Some deep analysis of Mars in 7th house ( few points may fearful..so don't read) 1. Major thing it causes is obsession...either person has high feelings for opposite sex or vice versa (mark my words) 2. Stubborn...they might not listen to family members 3. If bad ..can cause increase in body weight 4. If good ..nice physique 5. Features and face can be glowing.. 6. Can be very good in bed ... highly lustful 7. Female born with this can have prominent breast. 8. If bad .. partner can be sickly.. death or divorce or separation can happen. 9. Excessive love can bring disappointments 10. In male chart .. aggressive partner..not respect by wife 11. For Capricorn lagna ..this placement can give loose morals if aspected by Saturn 12 . Results can be modified for cancer rising. A lot more pertaining to lordship 🙏🙏🙏

कुशा का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्त्व

कुशा का आध्यात्मिक एवं पौराणिक महत्त्व 〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️🌼〰️〰️ कुश / कुशा एक घास है। इसका वैज्ञानिक नाम Eragrostis cynosuroides है। उत्तराखण्ड में इसको कांस कहते हैं।  अध्यात्म और कर्मकांड शास्त्र में प्रमुख रूप से काम आने वाली वनस्पतियों में कुशा का प्रमुख स्थान है।  इसको कुश ,दर्भअथवा ढाब भी कहते हैं। जिस प्रकार अमृतपान के कारण केतु को अमरत्व का वर मिला है, उसी प्रकार कुशा भी अमृत तत्त्व से युक्त है। यह पौधा पृथ्वी लोक का पौधा न होकर अंतरिक्ष से उत्पन्न माना गया है।  मान्यता है कि जब सीता जी पृथ्वी में समाई थीं तो राम जी ने जल्दी से दौड़ कर उन्हें रोकने का प्रयास किया, किन्तु उनके हाथ में केवल सीता जी के केश ही आ पाए। ये केश राशि ही कुशा के रूप में परिणत हो गई।  इसके सिरे नुकीले होते हैं उखाडते समय सावधानी रखनी पडती है कि जड सहित उखडे और हाथ भी न कटे। कुशल शब्द इसीलिए बना ।" ऊँ हुम् फट " मन्त्र का उच्चारण करते हुए उत्तराभिमुख होकर कुशा उखाडी जाती है । भारत में हिन्दू लोग इसे पूजा /श्राद्ध में काम में लाते हैं। श्राद्ध तर्पण विना कुशा के सम्भव नहीं हैं । कुशा से बनी अंग

श्री कृष्ण कथा

कहते हैं कि जब राधा जी की मृत्यु हुई तब आखिरी बार कान्हा ने बँसी बजाई थी राधा जी के कहने पर। उसके बाद उन्होंने बाँसुरी तोड़ दी और फिर कोई भी वाद्य यंत्र नहीं बजाया। अपनी सबसे प्रिये दोनों (राधा और बाँसुरी) को एकसाथ खो दिया था उन्होंने। क्या आज के समय में किसी मे इतना सामर्थ्य है कि अपने प्रेमी/प्रेमिका को खोने पर इस स्तर की पीड़ा का अनुभव कर सके? लोग मिनटों में बदल लेते हैं अपना प्यार, पर कभी कुछ त्याग नहीं पाते।  जिंदा व्यक्ति के कहने पर नहीं कर सकते तो उसके मरने के बाद तो क्या ही फर्क पड़ेगा। आज हर प्रेमी युगल स्वयं की "राधा कृष्ण" से तुलना करने लगता है, ईश्वर के नाम पर छल आम बात है अब। श्री राम के नाम पर पत्नी को छोड़ देना, श्री कृष्ण के नाम पर प्रेमी/प्रेमिका को त्यागना, भोलेनाथ के नाम पर चरसी बन जाना।  यूँ ही पतन नहीं हो रहा हिंदू धर्म का, इस विकृत मानसिकता को समझना पड़ेगा। जब भी समाज में उपस्थित इस मनोरोग को देखती हूँ तो मन कराह उठता है और फिर से आवाज़ आती है, "लो कान्हा जन्म धरा पर अब, तेरे नाम से छल रहे हैं सब"

कैसे करें पहचान भूत-प्रेत बाधा की और कैसे करें निदान.????*

*भूत-प्रेत बाधा निवारण के सरल उपाय...* *भूत-प्रेत बाधा : पहचान और निदान......* अक्सर सुनने में आता है कि उसके ऊपर भूत आ गया है या उसको प्रेत ने पकड़ लिया है जिसक कारण उसके घर वाले बहुत परेशान हैं। उसको संभाल ही नहीं पाते हैं। तान्त्रिक, मौलवी या ओझा के पास जाकर भी कुछ नहीं हुआ है। समझ नहीं आता है क्या करें..??? केसे जाने की भूत-प्रेत बाधा है या नहीं..?? आप अपनी या किसी की कुण्डली देखें और यदि ये योग उसमें विद्यमान हैं तो समझ लें कि जातक या जातिका भूत-प्रेत बाधा से परेशान है। *भूत-प्रेत बाधा के योग इस प्रकार हैं-* *पहला योग-*  कुण्डली के पहले भाव में चन्द्र के साथ राहु हो और पांचवे और नौवें भाव में क्रूर ग्रह स्थित हों। इस योग के होने पर जातक या जातिका पर भूत-प्रेत, पिशाच या गन्दी आत्माओं का प्रकोप शीघ्र होता है। यदि गोचर में भी यही स्थिति हो तो अवश्य ऊपरी बाधाएं तंग करती हैं। *दूसरा योग-* यदि किसी कुण्डली में शनि, राहु, केतु या मंगल में से कोई भी ग्रह सप्तम भाव में हो तो ऐसे लोग भी भूत-प्रेत बाधा या पिशाच या ऊपरी हवा आदि से परेशान रहते हैं। *तीसरा योग-* यदि किसी की कुण्डली में शनि-मंगल

What is 8 & 6

What is 8 & 6 If you are born on the 8th, 17th, or 26th of any month, as per number 8 numerology, your day number is 8. If you get No. 6 by adding the date, month, and year of your birth day, your Life No. is 6, ruled by Venus. Right Names & Success Name Numerology is more powerful than numbers.  If your name is right, for 8 and 6 you can enjoy a prosperous life with good family and children. You acquire cars and properties. You become a scientist, doctor, or engineer. You specialize in law, politics, media, and advertisements.  You become an artist with great achievements. You research the Occult with your scientific talents. You come up well in life and achieve great success. Wrong Name & Failures  In the beginning, Saturn dominates your life. When you become old, Venus has its say along with Saturn. Saturn gives you stomach troubles. It makes you over sensual. Other Difficulties Saturn makes you get into other difficulties as well.  You run the risks of mental depression

रत्न माणिक्य

रत्न माणिक्य   ✨✨लग्न के अनुसार रत्न विचार ✨✨ ✨ मेष लग्न - मेष लग्न के जातक बुद्धि बल प्राप्त करने , आत्मोन्नति के लिये तथा सन्तान सुख , प्रसिद्धि , बल प्राप्त करने , और राज्यकृपा प्राप्ति के लिये माणिक्य धारण करें । सूर्य की महादशा में उसको धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा ।  ✨वृष लग्न इस लग्न के जातकों को माणिक्य केवल सूर्य की महादशा में धारण करने से शुभ फल प्राप्त होगा । उनको इसका धारण करने से मानसिक शान्ति , सुख विद्याध्ययन में सफलता , गृह - भूमि लाभ , मातृ - सुख तथा वाहन - सुख प्राप्त होगा ।  ✨मिथुन लग्न की कुण्डली में सूर्य तृतीय भाव का स्वामी होगा । अतः इस कुण्डली के जातक को यह रत्न कभी भी धारण करना लाभप्रद ने होगा ।  ✨कर्क लग्न के लिये सूर्य धन भाव का स्वामी होगा । अतः इस कुण्डली के जातक धन - भाव या आंखों में कष्ट होने के समय माणिक्य धारण कर सकते हैं । धनभाव मारक भाव भी है । अतः माणिक्य यदि मोती के साथ धारण किया जाये तो श्रेयस्कर होगा । सूर्य की महादशा में माणिक्य विशेषकर शुभ फलदायक होगा ।  ✨सिंह लग्न में सूर्य लग्नेश है । अतः इस लग्न के लिये माणिक्य अत्यन्त शुभ फलदायक रत्न है

अश्विनी नक्षत्र

अश्विनी नक्षत्र राशियों में अश्विनी नक्षत्र की स्थिति 0.00 अंशों से 13.20 अंशों तक मानी गयी है। अश्विनी के भारतीय ज्योतिष शास्त्र में पर्यायवाची नाम हैं, तुरंग, दस् एवं हृथ। यूनानी अथवा ग्रीक उसे कैस्टर-पोलक्स' कहते हैं, जबकि अरबी में 'अश शरातन'। चीनी इस नक्षत्र को 'लियू कहते हैं । अश्विनी नक्षत्र में तारों की संख्या में मतभेद है। यूनानी, अरबी उसमें दो तारों की स्थिति मानते हैं,  जबकि भारतीय ज्योतिष के अनुसार तीन तारों को मिलाकर इस नक्षत्र की रचना की गयी है। अश्विनी की आकृति अश्व अथवा घोड़े के समान कल्पित की गयी, इसीलिए इस नक्षत्र को यह नाम दिया गया। बाद में इनका संबंध देवगण के वैद्य द्वय अश्विनी कुमारों से भी जोड़ दिया गया।  सर्वप्रथम अश्विनी नक्षत्र का ज्योतिषीय परिचयः अश्विनी नक्षत्र के देवता हैं- अश्विनी कुमार, जबकि स्वामी केतु मान गया है। (केवल विंशोतरी दशा में) गण: देव  योनिः अश्व  एवं  नाड़ी: आदि है। नक्षत्र के चरणाक्षर हैं- चू, चे, चो, ला यह नक्षत्र प्रथम राशि मेष का प्रथम नक्षत्र है। (मेष राशि में अन्य नक्षत्र हैं- भरणी के चारो चरण और कृतिका का एक चरण) यह गंडमू

गुरु चांडाल योग

जन्म कुंडली में अत्याधिक हानिकारक पांच दोष, इनका उपाय अवश्य करें , अन्यथा बहुत कष्ट उठाने पड़ेंगे ! कुंडली में मौजूद गुण-दोष व्यक्ति के जीवन पर बड़ा असर डालते हैं. ज्योतिष में ऐसे ही 5 सबसे खतरनाक दोषों के बारे में बताया गया है. जब किसी व्यक्ति की कुंडली में कोई अशुभ ग्रह किसी शुभ ग्रह के साथ संयोजन करता है तो ऐसी स्थिति में कुंडली दोष का निर्माण होता है. इन दोषों की वजह से व्यक्ति के जीवन में तमाम तरह की समस्याएं आ सकती हैं. ये दोष आर्थिक स्थिति, करियर, रिश्तों में दिक्कतें, बीमारियों के अलावा समाज में मान-सम्मान और प्रतिष्ठा की हानि जैसे कई स्थायी प्रभाव डालते हैं.  1. कालसर्प दोष ---: कालसर्प दोष का नाम सुनकर ही लोग परेशान हो जाते हैं, लेकिन यदि आपकी कुंडली में कालसर्प दोष है तो उसे समझने की जरूरत हैं, परेशान होने की नहीं. कुंडली में कालसर्प दोष राहु और केतु के एक साथ आने से होता है. इसके अलावा यदि सभी सात प्रमुख ग्रह राहु और केतु ग्रह की धुरी के भीतर होते हैं तो भी व्यक्ति की कुंडली में कालसर्प दोष उत्पन्न होता है. इस दोष की वजह से जीवन में अधिक संघर्ष रहता है. बार-बार बनते-बनते का